मैं और मच्छर
Sarita|November Second 2022
कोरोनाकाल में तालीथाली बजाने के बाद हम ने कोरोना को भगा दिया है तो ये मच्छर क्या चीज हैं. अब मच्छरों से डेंगू हो या मलेरिया, जब सबकुछ रामभरोसे है तो मेरी तरह आप भी इन मच्छरों से क्यों नहीं दोस्ती कर लेते?
प्रभाष पाठक
मैं और मच्छर

ल मुझे कान के डाक्टर के पास जाने की सख्त आवश्यकता महसूस हुई. हुआ यों था कि कल शाम को गलती से मेरे कमरे की खिड़कियां खुली रह गईं. इस कारण पूरे कमरे में मच्छरों का साम्राज्य हो गया. कमरे में जब मैं 'मच्छर की आत्मकथा ' कविता पढ़ रहा था, तभी मच्छरों के दल ने मेरे शरीर के खुले हिस्सों पर हमला बोल दिया. कुछ पैर में काट रहे थे तो कुछ हाथ में काटने को तत्पर थे, पर कुछ ऐसे भी थे जो मेरे कान पर भी बैठ कर हमला बोल रहे थे, लेकिन मुझे भनक तक नहीं लग रही थी.

मच्छरों के विषय में यह सर्वविदित है कि वे हमला करने से पूर्व अपने होने या आने की सूचना देते हैं जैसे युद्ध शुरू होने से पूर्व शंख बजाया जाता है. लेकिन कल मुझे ताज्जुब हुआ जब मच्छरों की आवाज मुझे सुनाई ही नहीं दी जबकि मुझे कान में चुभन महसूस हो रही थी.

मैं ने कविता पढ़ना छोड़ कर मच्छरों की आवाज पर ध्यान केंद्रित किया पर तब भी मुझे मच्छरों की भनभनाहट सुनाई नहीं पड़ी. अब मुझे न तो मच्छरों के काटने की चिंता थी और न ही मुझे मच्छरों को भगाने की. अब मुझे चिंता खाए जा रही थी कि क्या ध्वनि प्रदूषण के असर से मच्छरों की भनभनाहट सुनाई नहीं पड़ रही है या मेरे कानों में कोई खराबी आ गई है या फिर आजकल मच्छरों ने भनभनाना ही बंद कर दिया है? 

कुछ समय पूर्व तक मच्छरों की भनभनाहट से मैं सचेत हो जाया करता था और गले के ऊपर के हिस्से को मच्छरों के प्रकोप से बचाने का पूर्ण प्रयास करता था लेकिन कल जब कान के कई हिस्सों पर सूजन हो गई, तब मुझे लगा इस में मच्छरों का दोष नहीं है. मुझे सचेत करने में मेरे कान सक्षम नहीं हो पा रहे, यह जान कर मैं ने डाक्टर से संपर्क करना ज्यादा मुनासिब समझा.

मैं ने डाक्टर साहब से संपर्क साधा. मेरी बारी आने पर डाक्टर साहब ने बड़ी बारीकी से मेरे बाएं कान का मुआयना किया और कान के पास फुसफुसा कर पूछा कि भई, क्या दिक्कत है? तो मैं ने चिंतित स्वर में कहा, "डाक्टर साहब, सुनने में कुछ परेशानी हो रही है."

उन्होंने दाएं कान का भी अवलोकन किया और पिछली आवाज से कम आवाज में फिर फुसफुसा कर ही पूछा, 'यह तकलीफ कितने दिनों से है?" 

This story is from the November Second 2022 edition of Sarita.

Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 8,500+ magazines and newspapers.

This story is from the November Second 2022 edition of Sarita.

Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 8,500+ magazines and newspapers.

MORE STORIES FROM SARITAView All
सत्तापरस्त एजेंडे वाली फिल्में क्या गुल खिलाएंगी
Sarita

सत्तापरस्त एजेंडे वाली फिल्में क्या गुल खिलाएंगी

हाल के कुछ सालों में भारतीय सिनेमा तेजी से बदला है. कई फिल्में सरकारपरस्त और भगवा एजेंडे वाली बनी हैं. सरकारी व भगवा एजेंडे वाली फिल्मों की लंबी कतार आगे भी देखने को मिलेगी. पर इन का भविष्य क्या है?

time-read
6 mins  |
April First 2024
बीमारियों को न्योता देता मोटापा
Sarita

बीमारियों को न्योता देता मोटापा

मोटापा भारत समेत पूरी दुनिया की समस्या बनता जा रहा है. हालांकि यह समस्या ऐसी है जिसे वक्त रहते नियंत्रित किया जा सकता है, परंतु उस के लिए सही आकलन करना जरूरी है. जानिए कि कब मोटापे का अलार्म बजने लगता है?

time-read
2 mins  |
April First 2024
महिलाएं हक के लिए करें नौकरी
Sarita

महिलाएं हक के लिए करें नौकरी

महिलाओं व पुरुषों के बीच लैंगिक असमानता आज भी व्याप्त है. देखा गया है कि जो युवती आर्थिक रूप से मजबूत व आत्मनिर्भर होती है वह अपने निर्णय लेने में ज्यादा सक्षम होती है. लैंगिक असमानता को मिटाने के लिए युवतियों का आर्थिक रूप से मजबूत होना बेहद जरूरी है.

time-read
8 mins  |
April First 2024
महिलाओं को कमजोर बनातीं धार्मिक कलश यात्राएं
Sarita

महिलाओं को कमजोर बनातीं धार्मिक कलश यात्राएं

8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर देशभर में कई छोटेबड़े आयोजन हुए थे. उन समारोहों में अपने अपने क्षेत्रों की महिलाओं को सफल सम्मानित किया गया था और जम कर हुई भाषणबाजी में महिलाओं को देवी साबित करने का रिवाज भी कायम रहा था. वक्ताओं ने गागा कर बताया था कि आज महिलाएं किसी क्षेत्र में उन्नीस नहीं हैं. तमाम भाषणों का सार कुछ यों निकलता है.

time-read
5 mins  |
April First 2024
मजबूत हो रहे हैं औरतों के हक बढ़ रहे हैं तलाक के मामले
Sarita

मजबूत हो रहे हैं औरतों के हक बढ़ रहे हैं तलाक के मामले

जैसेजैसे औरतें शिक्षित हुईं, नौकरी में आगे बढ़ीं, उन्हें अपने खिलाफ होने वाली गलत बातों पर आवाज उठाना भी आने लगा. आर्थिक मजबूती इंसान में हिम्मत लाती है. यही औरतों के साथ भी हुआ. अब पति की मारपीट व गालियां जब बरदाश्त नहीं होतीं तो वे तलाक का रास्ता अपनाने से गुरेज नहीं करतीं.

time-read
6 mins  |
April First 2024
एंटीएस्टैब्लिशमेंट प्रोफेसर जी एन साईबाबा आखिर किस बात की सजा मिली
Sarita

एंटीएस्टैब्लिशमेंट प्रोफेसर जी एन साईबाबा आखिर किस बात की सजा मिली

प्रोफैसर साईबाबा हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के बीच फुटबौल सा बन चुके हैं जो 8 वर्षों से किक ही खा रहे हैं. लेकिन उन की दास्तां दुखद रूप से दिलचस्प है जिस का सार यह है कि उन का मनोबल दक्षिणपंथियों से टूट नहीं रहा.

time-read
5 mins  |
April First 2024
सरकारी कामों में घुसता धार्मिक पाखंड
Sarita

सरकारी कामों में घुसता धार्मिक पाखंड

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अभय श्रीनिवास ओक आजकल न्यायपालिका के कार्यक्रमों में पूजापाठ पर बात कहने का कोई मौका ही ढूंढ़ रहे थे क्योंकि उन्हें लगता था कि अति होने लगी है जिस की कोई भी बुद्धिमान, तार्किक व व्यावहारिक आदमी अब और ज्यादा अनदेखी नहीं कर सकता.

time-read
5 mins  |
April First 2024
हिंदू सवर्णों को बहकाने की नीयत से सीएए
Sarita

हिंदू सवर्णों को बहकाने की नीयत से सीएए

लोकसभा चुनाव से ठीक पहले मोदी सरकार ने ध्रुवीकरण का अब एक और दांव चल दिया है. सोचसमझ कर तारीख भी रमजान की चुनी. सीएए यानी नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 से केवल कुछ गैरमुसलिमों को फायदा होगा पर आपसी मनमुटाव बढ़ेगा.

time-read
4 mins  |
April First 2024
अपनी ताकत को पहचाने ट्रायल कोर्ट
Sarita

अपनी ताकत को पहचाने ट्रायल कोर्ट

ट्रायल कोर्ट के बाद बड़ी संख्या में मुकदमे हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक जा रहे हैं. जिन की क्षमता है वे तो राष्ट्रपति तक भी पहुंच रहे हैं. एक मुकदमा सालोंसाल लटका रहता है. न्याय की आस में दोनों पक्ष अपना सबकुछ गंवाते हैं. संविधान ने ट्रायल कोर्ट को सब से अधिक ताकत दी है. अगर ट्रायल कोर्ट मजबूत हो, मुकदमों में जल्द फैसला हो तो लोगों का न्याय पर भरोसा बढ़ेगा और अपीलें कम होंगी.

time-read
10 mins  |
April First 2024
इलैक्टोरल बौंड चुनावी दानपेटी
Sarita

इलैक्टोरल बौंड चुनावी दानपेटी

भारतीय जनता पार्टी की सरकार इलैक्टोरल बौंड स्कीम यह कह कर लाई थी कि इस से कालाधन समाप्त होगा, मगर यह स्कीम तो भ्रष्टाचार को कानून का जामा पहना कर उसे वैध बनाने की करतूत साबित हुई. इस के तहत तमाम कंपनियों से करोड़ों रुपयों की धनउगाही की गई और बदले में उन को बड़ेबड़े धंधे दिए गए. सर्वोच्च न्यायालय की सख्ती के बाद इस भ्रष्ट स्कीम के रहस्य खुल चुके हैं.

time-read
10+ mins  |
April First 2024