झारखंड में बागियों के कारण लोकसभा चुनाव दिलचस्प हो गया है। ‘इंडिया’ ब्लॉक में एकजुटता के बावजूद बागी नेताओं के कारण आधा दर्जन संसदीय सीटों पर समस्या है। ऐसी समस्या भाजपा के खेमे में भी है। झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के बिशुनपुर से विधायक चमरा लिंडा और बोरियो से विधायक लोबिन हेंब्रम पार्टी से बगावत करके चुनावी मैदान में ताल ठोक रहे हैं। अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित लोहरदगा सीट से पूर्व केंद्रीय मंत्री सुदर्शन भगत का टिकट काटकर समीर उरांव को भाजपा ने उम्मीदवार बनाया है। सुदर्शन भगत 2019 के चुनाव में यहां से करीब दस हजार वोट से जीते थे। यहां से भाजपा का चक्कर लगा आए कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुखदेव भगत कांग्रेस के उम्मीदवार हैं। यहीं से गुमला जिला के बिशुनपुर से झामुमो विधायक चमरा लिंडा निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में पर्चा भर दिया है।
लिंडा की आदिवासी जमात में ठीकठाक पकड़ है। उनका नाम झामुमो के स्टार प्रचारकों की सूची में शामिल था। नामांकन दाखिल करने के बाद उन्होंने पत्रकारों से कहा था कि उन्होंने दो साल पहले ही पार्टी को अपने फैसले से अवगत करा दिया था कि टिकट मिले या न मिले, वे अपने बल पर लोहरदगा सीट से चुनाव जरूर लड़ेंगे। झारखंड के अलग राज्य बनने के बाद से लिंडा तीन बार लोहरदगा संसदीय सीट से लड़ चुके हैं, और 2009 में वे दूसरे स्थान पर रहे थे। पर इस सीट को लेकर गठबंधन में एकजुटता नहीं थी और झामुमो इस पर अड़ा हुआ था। लिंडा के मैदान में उतरने से मुकाबला रोचक हो गया है।
इसके अलावा झामुमो के वरिष्ठ नेता बोरियो से विधायक लोबिन हेंब्रम ने राजमहल सीट से पर्चा भर दिया है, जबकि यहां से झामुमो सांसद विजय हांसदा पार्टी के अधिकृत उम्मीदवार हैं। विजय हांसदा पिछले चुनाव में एक लाख वोट से जीते थे। ऐसे में लोबिन की बगावत से विजय हांसदा के माथे पर पसीना आना स्वाभाविक है। चमरा और लोबिन दोनों लंबे समय से संसदीय चुनाव के लिए ताल ठोक रहे थे। पार्टी दोनों के खिलाफ कार्रवाई पर विचार कर रही है। पार्टी महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि उनके खिलाफ अनुशासनिक कार्रवाई पर पार्टी जल्द ही विचार करेगी।
Bu hikaye Outlook Hindi dergisinin May 27, 2024 sayısından alınmıştır.
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