सवा चार साल से जननायक जनता पार्टी (जजपा) के साथ हरियाणा में गठबंधन की सरकार चला रही भाजपा अगले लोकसभा चुनाव में इस गठजोड़ की तोड़ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 'गारंटी' के भरोसे 'दस पर दम' दिखाने की तैयारी में है। मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनावों में जीत से उत्साहित भाजपा के शीर्ष नेताओं की हालिया बयानबाजी लोकसभा चुनाव से पहले हरियाणा में गठबंधन टूटने का संकेत दे रही है। बीती 6 जनवरी को पंचकुला के रोड शो में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष नायब सैनी ने राज्य की सभी 10 लोकसभा सीटों पर जीत का दावा किया। जजपा ने भी मिशन 2024 के लिए अपना अलग मंच सजा लिया है।
नड्डा के रोड शो के दिन राज्य भाजपा की कोर कमेटी ने चुनाव रणनीति पर विचार किया। अगले दिन 7 जनवरी को जजपा ने मुख्यमंत्री खट्टर के निर्वाचन क्षेत्र करनाल की घरौंडा मंडी में मि 2024 के लिए कार्यकर्ताओं से अकेले आगे बढ़ने का आह्वान किया। जजपा ने भाजपा की 'विकसित भारत संकल्प यात्रा' की टक्कर में भाजपा के गढ़ करनाल से ही अपनी नवसंकल्प रैली का आगाज किया। उस मंच से पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष निशान सिंह कंबोज ने कार्यकर्ताओं को 'मिशन दुष्यंत 2024' के लिए तैयार रहने को कहा और दुष्यंत को अगला मुख्यमंत्री बताया। जजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अजय चौटाला ने कहा, "सीएम सिटी से जजपा का मिशन 2024 शुरू हो गया है।" वैसे, जजपा ने राजस्थान में भाजपा के खिलाफ 25 विधानसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन कोई भी जमानत तक नहीं बचा सका।
Bu hikaye Outlook Hindi dergisinin February 05, 2024 sayısından alınmıştır.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 8,500+ magazines and newspapers.
Already a subscriber ? Giriş Yap
Bu hikaye Outlook Hindi dergisinin February 05, 2024 sayısından alınmıştır.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 8,500+ magazines and newspapers.
Already a subscriber? Giriş Yap
जौनपुर
इतिहास की गोद में ऊंघता-सा एक शहर है, उत्तर प्रदेश का जौनपुर। पुराने शहरों के साथ अक्सर ऐसा होता है कि वे किसी मील के पत्थर से यू टर्न लें और सभ्यता की सामान्य दिशा से उल्टी दिशा में चल पड़ें।
समय की गति की परख
इस संग्रह का महत्वपूर्ण पक्ष यह है कि कवि यहां अस्तित्ववाद के प्रश्नों से रूबरू होते हैं। निजी और वृहत्तर तौर पर जीवन को इस विमर्श के घेरे में लाकर कवि अस्तित्व से संबंधित प्रश्नों का उत्तर पाने का प्रयास करता है।
प्रकृति का सान्निध्य
वरिष्ठ कवयित्री सविता सिंह का नया संग्रह ‘वासना एक नदी का नाम है’ स्त्री-विमर्श को नई ऊंचाई पर ले जाता है।
आजाद तवायफ तराना
तवायफों पर आई नई वेबसीरीज हीरामंडी ने फिर कोठेवालियों और देवदासियों के साथ हिंदुस्तानी सिनेमा के रिश्तों की याद दिलाई
अगला द्रोण कौन
टीम इंडिया में अर्जुन तो बहुत, उन्हीं को संवारने के लिए एक ऐसे कोच की तलाश, जो टीम को तकनीकी-मानसिक मजबूती दे सके
ममता दीदी की दुखती रग
इस चुनाव में अपनी पार्टी के नेताओं का भ्रष्टाचार ही ममता की सबसे बड़ी चुनौती
हवा का रुख दोतरफा
ईडी की कार्रवाइयों और जनता के मुद्दों पर टिका है चुनाव
तीसरी बारी क्यों
विपक्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भ्रष्टाचार और संविधान बदलने तथा आरक्षण खत्म करने का आरोप लगाकर देश की जनता को गुमराह नहीं कर सकता
क्या बदलाव होने वाला है?
इस बार उत्तर प्रदेश के लोकसभा चुनाव में सवर्णों को अपने धर्म और वर्चस्व की चिंता दिख रही है, तो अवर्ण समाज के दिल को संविधान और लोकतंत्र का मुद्दा छू रहा
किस ओर बैठेगा जनादेश
बड़े राज्यों में कांटे के मुकाबले के मद्देनजर 4 जून को नतीजों के दिन ईवीएम से निकलने वाला जनादेश लगातार तीसरी बार एनडीए को गद्दी सौंपेगा या विपक्षी गठजोड़ 'इंडिया' के पक्ष में बदलाव की बानगी लिखेगा, यह लाख टके का सवाल देश की सियासत की अगली धारा तय करेगा