इजाजत [1987]: निर्देशक गुलजार की फिल्म फिल्म में मुख्य भूमिका अभिनेता नसीरुद्दीन शाह, अभिनेत्री रेखा और अनुराधा पटेल ने निभाई। फिल्म का नायक महेन्द्र माया से प्रेम करता है लेकिन परिस्थितिवश उसे सुधा से विवाह करना पड़ता है। सुधा से विवाह के बाद भी महेन्द्र के माया से संबंध रहते हैं और इस बात का पता चलने पर सुधा, महेन्द्र से रिश्ता खत्म कर लेती है। अलग होने के कई साल बाद महेन्द्र और सुधा रेलवे स्टेशन पर मिलते हैं और गुजरी यादों में खो जाते हैं।
अर्थ [1982]: निर्देशक महेश भट्ट की फिल्म। कुलभूषण खरबंदा, स्मिता पाटिल, शबाना आजमी ने फिल्म में मुख्य भूमिकाएं निभाई थीं। एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर को दर्शाती यह फिल्म महेश भट्ट के जीवन से प्रेरित है। फिल्म का नायक इंदर अपनी महत्वकांक्षाओं के कारण पत्नी पूजा को छोड़कर कविता के साथ रिश्ता कायम करता है। पूजा रिश्ते के इस विश्वासघात को स्वीकार करती है। लेकिन वह हार नहीं मानती बल्कि अपनी पहचान ढूंढने निकल पड़ती है।
पति पत्नी और वो [1978]: निर्देशक बीआर चोपड़ा की फिल्म । मुख्य भूमिका में अभिनेता संजीव कुमार, अभिनेत्री विद्या सिन्हा और रंजीता कौर नजर आए। फिल्म का नायक रंजीत अपनी पत्नी शारदा के साथ सुखद वैवाहिक जीवन व्यतीत कर रहा होता है। एक दिन रंजीत के जीवन में उसकी सेक्रेटरी निर्मला का प्रवेश होता है और फिर रंजीत के जीवन में बड़ा बदलाव आता है। रंजीत विवाहेतर संबंध बनाने में सफल हो जाता है मगर यह सफलता स्थाई नहीं होती।
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जौनपुर
इतिहास की गोद में ऊंघता-सा एक शहर है, उत्तर प्रदेश का जौनपुर। पुराने शहरों के साथ अक्सर ऐसा होता है कि वे किसी मील के पत्थर से यू टर्न लें और सभ्यता की सामान्य दिशा से उल्टी दिशा में चल पड़ें।
समय की गति की परख
इस संग्रह का महत्वपूर्ण पक्ष यह है कि कवि यहां अस्तित्ववाद के प्रश्नों से रूबरू होते हैं। निजी और वृहत्तर तौर पर जीवन को इस विमर्श के घेरे में लाकर कवि अस्तित्व से संबंधित प्रश्नों का उत्तर पाने का प्रयास करता है।
प्रकृति का सान्निध्य
वरिष्ठ कवयित्री सविता सिंह का नया संग्रह ‘वासना एक नदी का नाम है’ स्त्री-विमर्श को नई ऊंचाई पर ले जाता है।
आजाद तवायफ तराना
तवायफों पर आई नई वेबसीरीज हीरामंडी ने फिर कोठेवालियों और देवदासियों के साथ हिंदुस्तानी सिनेमा के रिश्तों की याद दिलाई
अगला द्रोण कौन
टीम इंडिया में अर्जुन तो बहुत, उन्हीं को संवारने के लिए एक ऐसे कोच की तलाश, जो टीम को तकनीकी-मानसिक मजबूती दे सके
ममता दीदी की दुखती रग
इस चुनाव में अपनी पार्टी के नेताओं का भ्रष्टाचार ही ममता की सबसे बड़ी चुनौती
हवा का रुख दोतरफा
ईडी की कार्रवाइयों और जनता के मुद्दों पर टिका है चुनाव
तीसरी बारी क्यों
विपक्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भ्रष्टाचार और संविधान बदलने तथा आरक्षण खत्म करने का आरोप लगाकर देश की जनता को गुमराह नहीं कर सकता
क्या बदलाव होने वाला है?
इस बार उत्तर प्रदेश के लोकसभा चुनाव में सवर्णों को अपने धर्म और वर्चस्व की चिंता दिख रही है, तो अवर्ण समाज के दिल को संविधान और लोकतंत्र का मुद्दा छू रहा
किस ओर बैठेगा जनादेश
बड़े राज्यों में कांटे के मुकाबले के मद्देनजर 4 जून को नतीजों के दिन ईवीएम से निकलने वाला जनादेश लगातार तीसरी बार एनडीए को गद्दी सौंपेगा या विपक्षी गठजोड़ 'इंडिया' के पक्ष में बदलाव की बानगी लिखेगा, यह लाख टके का सवाल देश की सियासत की अगली धारा तय करेगा