सुप्रीम कोर्ट ने भी स्वीकार किया है कि स्वच्छ पेयजल को हासिल करना जिंदगी की मूलभूत शर्त है और अनुच्छेद 21 के तहत यह केन्द्र एवं राज्य सरकारों का कर्तव्य है कि नागरिकों को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराए। पर इस अधिकार को कैसे उपलब्ध कराया जाए? पहली बात तो यह है कि शहरी जल व्यवस्था और ग्रामीण जल शोधन मे निवेश कौन करेगा? निजी क्षेत्र या सार्वजनिक क्षेत्र? इसे लेकर निजी और सार्वजनिक क्षेत्र के उत्तरदायित्व की बेवजह बहस चलाई जाती है। ऐसी बहस आमतौर पर एक ज्यादा महत्वपूर्ण सवाल से ध्यान हटा देती है कि जल परियोजनाओं को कैसे बनाया और कामयाब किया जाए। लेकिन मोदी सरकार ने इस समस्या को बड़ी गंभीरता से लिया है और जल जीवन मिशन स्कीम शुरु की है और इसके लिये 350 लाख करोड़ रूपए का बजट निर्धारित किया गया है। सरकार के आम जनजीवन से जुड़े लक्ष्यों में जनभागीदारी की भी महत्वपूर्ण भूमिका होती है, इस बात को ध्यान में रखते हुए लायंस क्लब नई दिल्ली अलकनंदा ने करीब 45 लाख रूपयों के आरओ के साथ वाटर कूलर स्थापित किये हैं। क्लब ने दिल्ली की सबसे अधिक पीड़ित आबादी यानी गरीब आबादी के बच्चों के एमसीडी स्कूलों की पहचान करके स्वच्छ शुद्ध पेयजल की व्यवस्था करने की पहल की थी, ऐसे ही अनेक जनकल्याणकारी स्वयंसेवी संगठन गरीब लोगों के लिये शुद्ध जल उपलब्ध कराने के कार्य कर रहे हैं।
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मस्ती में सरोबार होकर मनाते हैं राजस्थान में होली
होली के अवसर पर राजस्थान के विभिन्न शहरों में कई तरह के आयोजन किए जाते हैं। राजस्थान में होली के विविध रंग देखने में आते हैं। होली के दिनों में जयपुर के इष्टदेव गोविंद देव मंदिर में नजारा देखने लायक होता है।
सीएए नागरिकता देने का कानून है, न कि छीनने का
नागरिकता संशोधन कानून यानी सीएए को लेकर पूरे देश में एक बार फिर से चर्चा तेज हो गई है। इससे पहले भी नागरिकता संशोधन कानून को लेकर कई बार विवाद देखने को मिल चुके हैं। इसकी लंबे समय से प्रतीक्षा थी कि नागरिकता संशोधन कानून यानी सीएए कब अमल में आएगा।
गठबंधन में उलझनों से आसान होती भाजपा की राह
इंडिया गठबन्धन लगातार कमजोर होता हुआ दिखाई दे रहा है जबकि केंद्र की सत्ता पर काबिज राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन-एनडीए में नये दलों के जुड़ने की खबरों से उसके बड़े लक्ष्य के साथ जीत की राह आसान होती जा रही है। लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने अपने सहयोगी दलों के साथ 400 सीटें जीतने का लक्ष्य निश्चित किया है।
सीएए पर भ्रम की राजनीति के निहितार्थ
भारत में नागरिकता संशोधन अधिनियम के लागू होने के बाद एक बार फिर से राजनीतिक गुणा भाग का खेल प्रारंभ हो गया है। तुष्टीकरण की राजनीति करने वाले राजनीतिक दल इस मामले में पूर्व नियोजित राजनीति ही कर रहे हैं।
अठारहवीं बार बिसात पर भारत का लोकतंत्र
भारत का लोकतंत्र अठारहवीं बार बिसात पर है। लोकतंत्र को जीतने के लिए बाजियां लग रहीं है। कोई जान की बाजी लगा रहा है तो कोई ईमान की बाजी लगा रहा है। किसी ने आँखें खोलकर बाजी लगाने की तैयारी की है तो कोई आँखें बंद कर ब्लाइंड खेलने पर आमादा है।
क्या कारण है कांग्रेस की मंद होती रोशनी के?
देश की सबसे पुरानी एवं मजबूत कांग्रेस पार्टी बिखर चुकी है, पार्टी के कद्दावर, निष्ठाशील एवं मजबूत जमीनी नेता पार्टी छोड़कर अपनी सबसे बड़ी प्रतिद्वंद्वी पार्टी भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो रहे हैं, वह भी तब जब लोकसभा चुनाव सन्निकट है।
लोकगीतों के संग चढ़ता है होली का रंग!
होली का रंग चढ़ने लगा है, हर कोई मदमस्त होने लगा है। प्रकृति भी खिली खिली दिखने लगी, मौसम मे गर्माहट सी होने लगी पर होली पर हुड़दंग ठीक नहीं है। होली पर बदरंगता ठीक नहीं है, होली पर होली रहना जरूरी है। बुराईयों से मुक्ति पाना जरूरी है जो भी विकार बचे है जला दो होली में आत्मा का परमात्मा से योग लगा लो होली में।
जागरूक मतदाता के हाथ हो राजनीति की नकेल
देश के मतदाताओं के मन की बात जानने का दावा करने वालों अथवा अनुमान लगाने वालों का, मानना है कि आज की स्थिति को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि आम चुनाव में भाजपा को आसानी से बढ़त मिलने की संभावना है।
यूपी के चुनावी चक्रव्यूह में फंसे राजनीतिक दल
उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों को लेकर पूरे देश मे कौतुहल दिखाई दे रहा है। लोकसभा सीटों के हिसाब से सबसे बड़े राज्य यूपी में मुकाबला त्रिकोणीय होता नजर आ रहा है। त्रिकोणीय मुकाबले में एक तरफ एनडीए के तले मोदी की 'सेना' जीत की हुंकार भर रही है तो दूसरी ओर राहुल गांधी के अगुवाई में 'इंडी' गठबंधन ताल ठोक रहा है।
कांग्रेस से पलायन को लेकर गंभीर क्यों नहीं हैं आलाकमान?
कांग्रेस के दिग्गज एवं कद्दावर नेताओं में नाराजगी, हताशा एवं राजनीतिक नेतृत्व को लेकर निराशा के बादल लगातार मंडरा रहे हैं, पार्टी लगातार बिखराव एवं टूटन की ओर बढ़ रही है। पार्टी में उल्टी गिनती चल रहा है, लेकिन आश्चर्य इस बात को लेकर है कि इस उल्टी गिनती को रोकने के लिए कोई मजबूत उपाय नहीं हो रहे हैं।