सेहत है सबसे पहले
आरती सरीन 59 वर्ष
वाइस-एडमिरल, डायरेक्टर जनरल मेडिकल सर्विसेज (नौसेना)
सशस्त्र बल चिकित्सा सेवा में कमिशन प्राप्त वाइस-एडमिरल आरती सरीन को करीब चार दशक लंबे शानदार करियर में तीनों सेनाओं में काम करने का गौरव हासिल है. सेना भवन में सर्जन वाइसएडमिरल के कमरे में सर्जरी करते महर्षि सुश्रुत की पेंटिंग टंगी है, जो शायद सेना में डॉक्टर के तौर पर उनकी शानदार सेवा पर मोहर है. सरीन ने आर्ल्ड फोर्सेज मेडिकल कॉलेज पुणे से एमबीबीएस किया और रेडिएशन आँकोलॉजी का विशेष अध्ययन किया.
वाइस-एडमिरल सरीन का जन्म नौसैन्य अफसरों के परिवार में हुआ. उनके पिता करियर नौसेना अधिकारी थे और उनके भाई भी. वाइस- एडमिरल करीब 7,000 चिकित्सा नौसैन्य कर्मियों की प्रभारी हैं. उन्होंने एएफएमसी पुणे से रेडियोलॉजी में एमडी और टाटा मेमोरियल अस्पताल मुंबई से रेडिएशन आँकोलॉजी में डीएनबी किया. इसके अलावा उन्होंने अमेरिका की पिट्सबर्ग यूनिवर्सिटी से गामा नाइफ सर्जरी का प्रशिक्षण लिया है.
वाइस-एडमिरल कहती हैं, "नौसेना के अफसर की संतान होने के नाते देश की सेवा करना मेरे खून में है, लेकिन प्रशिक्षण और सेना में काम करने के अनुभव से मेरे भीतर का सर्वश्रेष्ठ बाहर आया. शिखर पर पहुंचने से जिम्मेदारी बेशक और बढ़ जाती है." ऐसी ही एक यादगार जिम्मेदारी आइएनएसएस अश्विनी की कमान संभालना था, जो मुंबई में नौसेना का अस्पताल है और जिसके साथ 250 साल से ज्यादा का इतिहास पैवस्त है. वे कहती हैं, "उस संस्थान की अगुआई से ज्यादा गौरवपूर्ण कुछ नहीं होता जहां से आपने अपना प्रोफेशन शुरू किया था. कोविड महामारी की दूसरी लहर के दौरान वहां मैंने अपनी जिंदगी की सबसे कठिन चुनौती का सामना किया." सदर्न कमान की सीएमओ होने के नाते वे विदेशों में फंसे भारतीयों की स्वदेश वापसी के अभियान 'ऑपरेशन समुद्रसेतु' के साथ-साथ सात राज्यों में नौसेना प्रशिक्षण अड्डों पर कोविड की स्थिति से निबट रही थीं.
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