अगर आलाकमान ने उन्हें मुख्यमंत्री नहीं बनाया तो क्या वे बगावत कर देंगे? 16 मई को दिल्ली के लिए रवाना होते वक्त यह पूछे जाने पर कांग्रेस नेता डी. के. शिवकुमार ने कहा कि उनकी पहली प्राथमिकता अगले साल आम चुनावों में राज्य की 28 लोकसभा सीटों में से कम से कम 20 सीटें जीतने की है. हो सकता है कि उन्होंने यह प्रतिक्रिया मुख्यमंत्री पद की रेस को लेकर सवालों का सीधा जवाब देने से बचने के लिए दी हो, लेकिन इस तरह उन्होंने न केवल अपनी पार्टी के नेताओं के लिए बल्कि प्रतिद्वंद्वी भाजपा के लिए भी अगली बड़ी चुनौती को सटीक तरीके से रख दिया. कांग्रेस को लगता है कि वह पार्टी के पक्ष में मतदाताओं के में मौजूदा मिजाज को 2024 के लोकसभा चुनावों तक बनाए रख सकेगी. वहीं, भाजपा की कोशिश यहां से सबक लेते हुए मतदाताओं को फिर से अपने पक्ष में लाने की होगी.
कुल 224 सीटों वाली विधानसभा में 135 सीटों के साथ, कर्नाटक में कांग्रेस ने भारी जीत दर्ज की है. इस जीत ने पूरे भारत में पार्टी नेतृत्व और कार्यकर्ताओं में फिर से जोश भर दिया है. छह महीने से भी कम समय में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भाजपा के खिलाफ कांग्रेस की यह दूसरी बड़ी जीत है. इसने दिसंबर 2022 में हिमाचल प्रदेश में भाजपा को हराकर सत्ता हासिल की थी. पार्टी के भीतर और बाहर कई लोग बताने लगे हैं कि यह कांग्रेस का पुनरुद्धार है और नरेंद्र मोदी का जादू फीका पड़ रहा है. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव सहित कई अन्य विपक्षी नेता जो कांग्रेस के हाथ में विपक्ष की कमान देने को तैयार नहीं नजर आते थे, अब उन्होंने भी अपना राग बदला है और इशारों में कांग्रेस के साथ हाथ मिलाकर भाजपा के खिलाफ एक बड़ा मोर्चा तैयार करने की संभावनाएं जताने लगे हैं, बशर्ते कांग्रेस उन राज्यों में नेतृत्व क्षेत्रीय दलों को करने दे जहां वे प्रमुख ताकत हैं.
This story is from the May 31, 2023 edition of India Today Hindi.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 8,500+ magazines and newspapers.
Already a subscriber ? Sign In
This story is from the May 31, 2023 edition of India Today Hindi.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 8,500+ magazines and newspapers.
Already a subscriber? Sign In
रूहानी सफर
आर्टिकल 370 में अहम किरदार निभाने के बाद यामी गौतम अब मां बनने और अपनी अगली रिलीज धूमधाम के बारे में
महायुति में भीतर ही शुरू दो-दो हाथ
सीट बंटवारे को लेकर सत्तारूढ़ गठबंधन के तीनों घटकों के बीच तनातनी का दौर. क्या ये सहयोगी दल आम चुनाव से पहले समय रहते अपने मतभेदों को सुलटा लेंगे? या फिर एक-दूसरे पर बीस पड़ने की चाहत उनका खेल बिगाड़ेगी?
झीनी होती रेशमी चदरिया और बेपर्दा गरीबी
लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण में बिहार की जिन पांच सीटों पर वोट पड़ने हैं, उनका कोई न कोई रिश्ता रेशम उद्योग से जुड़ा है, मगर लाखों लोगों की उम्मीद रहा यह उद्योग इन दिनों आखिरी सांसें गिन रहा है और हैरत की बात है कि इस चुनावी शोर में इसकी सुध लेने वाला कोई नहीं दिखता
धोरों की धरती पर अब दूसरे दौर का रोचक रण
दूसरे दौर की 13 में से तीन अहम सीटों पर रोचक हुआ मुकाबला. कहीं निर्दलीय डाल रहा नकेल तो कहीं पार्टी प्रत्याशी ही अड़ंगा
आकाश का प्रभावी आगाज
बसपा के नेशनल कोऑर्डिनेटर आकाश आनंद ने अपनी जनसभाओं मे अनोखे अंदाज से लोगों का ध्यान खींचा. पहली बार सोशल मीडिया पर सक्रिय दिख रही पार्टी
हिंदुत्व और ग्लैमर की जुगलबंदी
दूसरे चरण के चुनाव में मेरठ-हापुड़ लोकसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी अरुण गोविल और मथुरा सीट पर हेमा मालिनी की चुनावी जंग पर सबकी नजरें
युवा भारत की आवाज
लोकसभा चुनाव 2024 में वोट करने की तैयारी करते वक्त देश के युवाओं का अपनी आकांक्षाओं और उम्मीदों का इजहार
क्यों जेन वी है निर्णायक
विकसित भारत पीढ़ी (जनरेशन वी) वाले 21 करोड़ युवा मतदाता आखिर किस पर अपनी मुहर लगाएंगे? अतीत की तरह युवा इस बार भी चुनावी नतीजों को तय करने में निर्णायक साबित हो सकते हैं -
नजदीकी मुकाबला
दांव पर केवल एक लोकसभा सीट नहीं है, बल्कि नतीजों से यह भी पता चलेगा कि गोरखाओं में किसका दबदबा सबसे ज्यादा है - बिमल गुरुंग, अनित थापा या फिर अजय एडवर्ड्स का
फिर सूपड़ा साफ करने की तैयारी
गुजरात में भाजपा के अपराजेय होने में मोदी की लोकप्रियता के अलावा सरकार और पार्टी की चुस्त-दुरुस्त मशीनरी का भी योगदान है