इतिहास लेखन में चुनिंदा होना
India Today Hindi|April 26, 2023
इतिहास की किताबों में बदलाव के लिए कोविड-19 की आड़ लेने की कोई जरूरत नहीं है. किताबों से मुगल दौर के हिस्से, आरएसएस या गुजरात दंगों का जिक्र हटाना अपने आप में जायज है. स्कूल के बच्चों पर जटिलताओं का बोझ नहीं डाला जाना चाहिए
मक्खन लाल
इतिहास लेखन में चुनिंदा होना

लोग अक्सर हैरान होते हैं कि एक बार लिखे जाने के बाद इतिहास पत्थर में ढला क्यों नहीं होता - उसमें संशोधन क्यों करना पड़ता है. मगर इतिहास के दार्शनिकों ने इसे हमेशा गतिशील प्रक्रिया के रूप में समझा है. मसलन आर. जी. कलिंगवुड ने द आइडिया ऑफ हिस्ट्री में ये शब्द लिखे: "हर युग को अपनी मनःस्थितियों की रोशनी में अतीत की पुनव्यर्याख्या करनी चाहिए."

मार्क्सवादी इतिहास लेखन और इतिहास के साथ उसका रिश्ता हर युग के इतिहासकारों को स्वाभाविक रूप से मिलने वाली व्याख्या की इस छूट या गुंजाइश से कहीं ज्यादा अनोखा है. 1960 के दशक से ही भारत में पाठ्य पुस्तकें रोमिला थापर, आर. एस. शर्मा, इरफान हबीब, सतीश चंद्रा, बिपन चंद्रा वगैरह वामपंथी इतिहासकारों ने लिखीं. इनमें से ज्यादातर किसी न किसी कम्यूनिस्ट पार्टी के कार्ड धारक थे. मार्क्स और उनके अनुयायियों यानी मार्क्सवादी इतिहासकारों के लिए इतिहास का प्रश्न महज यह समझना नहीं है कि 'क्या हुआ', 'कैसे हुआ' और 'यह क्यों हुआ'. उनके लिए प्रश्न यह है कि इतिहास का इस्तेमाल करके 'दुनिया कैसे बदलें'. मार्क्सवादी इतिहासकार यह समझने में नाकाम रहे कि हम जिस समाज में रहते हैं, वह जटिल ऐतिहासिक प्रक्रिया के जरिए विकसित हुआ है, जो दासता के बाद सामंतवाद के उदय और बुर्जुआ तबके के हाथों सामंती कुलीनतंत्र को उखाड़ फेंकने के मार्क्सवादी फॉर्मूले से बहुत अलग है. फिर हमें यह भी स्वीकार करना होगा कि दुनिया भर में औपनिवेशवाद के अनुभव ने दिखाया है कि ज्यादा ताकतवर संस्कृति जो यथार्थ को पराधीन संस्कृति से बहुत अलग तरीकों से परिभाषित करती है, उनका दबदबा या तो पूरी तरह नष्ट कर देती है या कम से कम इतना तो करता ही है कि कम ताकतवर संस्कृतियों को की भूमिका में धकेल देती है. सांस्कृतिक तौर पर जिसे 'वैध' माना जाता था, उसे 'अवैध' बना देती है, और राजनैतिक तौर पर कमजोर संस्कृतियों को नई संहिता की बाध्यताओं के भीतर फिट होने के लिए अपने यथार्थ को किसी न किसी तरह रूपांतरित करना पड़ता है.

This story is from the April 26, 2023 edition of India Today Hindi.

Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 8,500+ magazines and newspapers.

This story is from the April 26, 2023 edition of India Today Hindi.

Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 8,500+ magazines and newspapers.

MORE STORIES FROM INDIA TODAY HINDIView All
अब जीने के कायदों पर किताब
India Today Hindi

अब जीने के कायदों पर किताब

अपनी नई किताब इलेवन रूल्स फॉर लाइफ के साथ चेतन भगत ने की है नॉन-फिक्शन की दुनिया में वापसी

time-read
1 min  |
May 08, 2024
'भोट जरूरी है मगर पेट उससे ज्यादा'
India Today Hindi

'भोट जरूरी है मगर पेट उससे ज्यादा'

बिहार के कोसी अंचल में ऐन चुनाव के दौरान बड़े पैमाने पर यहां के मजदूर फसल कटाई के लिए पंजाब का रुख कर रहे. स्टेशन बिहार छोड़कर जाने वालों से अटे पड़े. पेट की आग मताधिकार पर पड़ रही भारी

time-read
7 mins  |
May 08, 2024
भाजपा के ट्रंप कार्ड को चुनौती देती कांग्रेस
India Today Hindi

भाजपा के ट्रंप कार्ड को चुनौती देती कांग्रेस

टीम मोदी विधानसभा चुनाव में हासिल जीत की लय के भरोसे है लेकिन चतुराई से प्रत्याशियों का चयन शायद कांग्रेस का सूपड़ा साफ न होने दे

time-read
6 mins  |
May 08, 2024
धमक दिखाने उतरा मुलायम का परिवार
India Today Hindi

धमक दिखाने उतरा मुलायम का परिवार

लोकसभा चुनाव में भाग्य आजमा रहे सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव समेत मुलायम सिंह यादव परिवार के पांच सदस्य. यादव बेल्ट की कन्नौज, बदायूं, फिरोजाबाद और आजमगढ़ सीट को फिर से जीतने की चुनौती

time-read
8 mins  |
May 08, 2024
“मोदी 3.0 में टेक्नोलॉजी से जुड़े बदलाव हमारी बड़ी प्राथमिकता होंगे”
India Today Hindi

“मोदी 3.0 में टेक्नोलॉजी से जुड़े बदलाव हमारी बड़ी प्राथमिकता होंगे”

आम चुनाव 2024 के दौर में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण नॉर्थ ब्लॉक के लकदक परिसर से निकलकर चुनावी मैदान की धूल-गर्मी झेल रही हैं. चुनाव प्रचार की अपनी भारी व्यस्तता के बीच उन्होंने ग्रुप एडिटोरियल डायरेक्टर राज चेंगप्पा और मैनेजिंग एडिटर एम. जी. अरुण के साथ खास बातचीत में बेबाकी से जवाब दिए. उन्होंने बेरोजगारी और महंगाई जैसे असहज मसलों सहित अर्थव्यवस्था से जुड़े सभी मुद्दों पर रोशनी डाली और यह भी बताया कि अगर भाजपा लगातार तीसरी बार सत्ता में आती है तो हम मोदी 3.0 से क्या उम्मीद कर सकते हैं. बातचीत के संपादित अंशः

time-read
10+ mins  |
May 08, 2024
अर्थशास्त्र मोदी का कामयाबी और नाकामियां
India Today Hindi

अर्थशास्त्र मोदी का कामयाबी और नाकामियां

देश की अर्थव्यवस्था एक अहम चुनावी मामला. उसी के आईने में कुछ प्रमुख आर्थिक पैमानों पर मोदी सरकार के ट्रैक रिकॉर्ड का आकलन

time-read
5 mins  |
May 08, 2024
आप की अग्निपरीक्षा का वक्त
India Today Hindi

आप की अग्निपरीक्षा का वक्त

अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया के रूप में अपने शीर्ष नेतृत्व की गैरमौजूदगी में आम आदमी पार्टी सांगठनिक स्तर पर खुद को किस तरह से तैयार कर रही

time-read
7 mins  |
May 08, 2024
बहुमत तलाशते 'महाराजा'
India Today Hindi

बहुमत तलाशते 'महाराजा'

भाजपा ने मैसूरु के पूर्व शाही परिवार के वंशज यदुवीर कृष्णदत्त चामराज वाडियार को यहां से चुनावी मैदान में उतारा है जो सिद्धारमैया का गृहनगर है

time-read
3 mins  |
May 08, 2024
घिर गए ओवैसी
India Today Hindi

घिर गए ओवैसी

असदुद्दीन ओवैसी और उनकी एआइएमआइएम अपने गढ़ हैदराबाद में दबाव महसूस कर रहे हैं

time-read
4 mins  |
May 08, 2024
घरेलू मैदान में शाह
India Today Hindi

घरेलू मैदान में शाह

दूसरे कार्यकाल के लिए गांधीनगर से चुनाव लड़ते हुए केंद्रीय गृह मंत्री विशाल जनादेश पाने की गरज से विकास और गुजराती गौरव के नारे पर भरोसा कर रहे हैं. मगर नौकरियों और क्षत्रिय विवाद से जीत का अंतर कम होने का अंदेशा

time-read
9 mins  |
May 08, 2024