प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने जनवरी के पहले हफ्ते में जैसे ही फरवरी माह में होने वाले 'ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट2023' की तैयारियां युद्ध स्तर पर शुरू कीं, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से संबद्ध संस्था लघु उद्योग भारती ने भी सरकार के सहयोग के लिए अपने स्तर से प्रयास शुरू कर दिए. इसी संस्था के फतेहपुर जिले के अध्यक्ष, 37 वर्षीय सत्येंद्र सिंह पटेल ने 5 जनवरी को कुल आठ टीमों का गठन किया जिन्हें जिले के सभी आठ औद्योगिक क्षेत्रों में जाकर वहां के भूखंडों पर लगे उद्योगों के बारे में जानकारी जुटानी थी. बीस दिनों तक चले इस अभियान के दौरान 15 जनवरी को पटेल बिंदकी तहसील में बने चकहाता मिनी औद्योगिक क्षेत्र पहुंचे तो अचरज में पड़ गए. जो जमीन चकहाता मिनी औद्योगिक क्षेत्र को आवंटित थी, वहां गोशाला संचालित हो रही थी. जिला प्रशासन ने पांच साल पहले इस अस्थाई गोशाला का निर्माण कराया था जिसमें कुल 370 लावारिस गायों को रखा गया था.
जमीन के बारे में उद्योग विभाग के दस्तावेज जुटाए गए तो पता चला कि औद्योगिक क्षेत्र के जिस स्थान पर गोशाला संचालित हो रही है, वह और उसके आसपास के कुल 32 भूखंड, प्रदेश सरकार में लघु, सूक्ष्म और मध्यम (एमएसएमई) विभाग के कैबिनेट मंत्री राकेश सचान की एक संस्था के नाम दर्ज हैं. दो दिन बाद लघु उद्योग भारती की एक टीम फतेहपुर जिले की खागा तहसील के ऐराया ब्लॉक के सुधवापुर पौली मिनी औद्योगिक क्षेत्र पहुंची तो वहां कुल 40 भूखंड सचान की संस्था को आवंटित मिले. पटेल ने 11 फरवरी को फतेहपुर जिले में औद्योगिक भूखंडों के आवंटन में हुई गड़बड़ी से जुड़ी एक विस्तृत रिपोर्ट उद्योग निदेशालय, कानपुर को सौंपी. उद्योग विभाग की जांच में सामने आया कि फतेहपुर जिले में उत्तर प्रदेश स्टेट इंडस्ट्रियल स्टेट कॉर्पोरेशन (यूपीएसआइडीसी) के आठ औद्योगिक क्षेत्रों में 367 भूखंड हैं जिनमें 72 भूखंड सचान की दो संस्थाओं-सीमा शिक्षण एवं समाज सेवा संस्थान और अभिनव शिक्षा एवं समाज सेवा संस्थानको 11 मई, 2012 को आवंटित किए गए थे. उस वक्त सचान फतेहपुर से समाजवादी पार्टी (सपा) के सांसद थे. इसके बाद यूपीएसआइडीसी ने सचान की उक्त दोनों संस्थाओं को नोटिस जारी किया था.
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