साल 2022 के आखिर में देश का सबसे अमीर और दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा अमीर शख्स बनने पर गौतम अदाणी ने इन रैंकिंग को बेमतलब कहकर झटक दिया था. बंदरगाहों से बिजली तक अरबों डॉलर के विशालकाय समूह अदाणी ग्रुप के चेयरमैन ने इंडिया टुडे से कहा था, "मुझे चुनौतियों से निपटने में रोमांच मिलता है-वे जितनी ज्यादा बड़ी होती हैं, मैं उतना ही ज्यादा खुश होता हूं." अब अपने करियर की सबसे बड़ी चुनौती उनके सामने मुंह बाए खड़ी है और नतीजे अब तक तो पूरी तरह प्रतिकूल रहे हैं, उनके लिए और अहमदाबाद स्थित उस समूह के लिए भी, जिसे उन्होंने अकेले अपने दम पर खड़ा किया है.
अदाणी एंटरप्राइजेज अभी एफपीओ (फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफर) की तैयारी कर ही रही थी कि 24 जनवरी को न्यूयॉर्क स्थित शॉर्ट-सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च अपनी सनसनीखेज रिपोर्ट लेकर आई, जिसमें शेयर बाजार में हेर-फेर और हिसाब-किताब में धोखाधड़ी सहित कई आरोप लगाए गए थे. समूह के शेयर धड़ाम से नीचे आ गिरे और देखते ही देखते एक हफ्ते के भीतर समूह की नौ कंपनियों में निवेशकों की 120 अरब डॉलर (करीब 10 लाख करोड़ रुपए) की संपदा स्वाहा हो गई. शेयर बाजारों में सूचीबद्ध इन नौ कंपनियों का बाजार पूंजीकरण 7 फरवरी को महज 9.8 लाख करोड़ रुपए रह गया, जो दो माह पहले उनके मूल्य से करीब आधा था. फोर्ब्स की सबसे अमीर लोगों की सूची में अदाणी 7 फरवरी को लुढ़ककर 17वीं पायदान पर पहुंच गए और भारत के सबसे अमीर शख्स का दर्जा गंवा बैठे.
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