उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने छह साल से अधिक के शासनकाल में कई बड़ी उपब्धियां हासिल की हैं। शासन चुस्त-दुरुस्त दिखाई दे रहा है। अभी तक योगी सरकार पर एक भी भ्रष्टाचार का आरोप नहीं लगा है। औद्योगिकीकरण को बढ़ावा मिल रहा है। वन डिस्ट्रिक-वन प्रोडेक्ट जैसी योजनाओं के सहारे सभी जिलों के क्षेत्रीय उत्पादों को आगे लाया जा रहा है। सबसे बड़ी बात यह है कि योगी राज में कानून व्यवस्था काफी चाक-चौबंद हैं। योगी का खौफ अपराधियों के सिर चढ़कर बोल रहा है। जो लोग कानून व्यवस्था के मामले में बसपा सुप्रीमो मायावती की सरकार की तारीफ करते नहीं थकते थे, वह अब माया सरकार की तुलना में योगी सरकार को इक्कीस बता रहे हैं। जानकार कहते हैं कि मायावती के शासनकाल में कुछ गुंडे-माफियाओं के खिलाफ तो कार्रवाई होती थी, लेकिन इस हकीकत से इनकार नहीं किया जा सकता है कि अपराधियों को संरक्षण देने में भले ही समाजवादी पार्टी की सरकारों का रिकॉर्ड काफी खराब रहा हो, परंतु बसपा भी अपराधियों को संरक्षण देने के मामले में कभी पाक-साफ नहीं रही। अतीक और मुख्तार अंसारी जैसे अपराधियों को बसपा ने भी खूब पालापोसा था। मुख्तार को तो एक बार बसपा वाराणसी से बीजेपी के दिग्गज नेता मुरली मनोहर जोशी के खिलाफ लोकसभा चुनाव तक लड़वा चुकी है। अफजाल अंसारी बसपा का ही सांसद था, जिसकी गत दिनों चार साल की सजा मिलने के बाद लोकसभा की सदस्यता खत्म हो चुकी है। इतना ही नहीं, मुख्तार अंसारी की कौमी एकता दल पार्टी का बसपा ने अपनी पार्टी में विलय तक करा लिया था। कुल मिलाकर इसमें कहीं कोई शक वाली बात नहीं है कि अतीक और मुख्तार सपा-बसपा के तमाम पालतू गुंडे-दबंगों की तरह ही पोषित गुंडे थे ।
कांग्रेस, सपा या अन्य विरोधी दल के नेता योगी सरकार की कानून-व्यवस्था को लेकर कुछ भी कहें, लेकिन आम लोगों को पता है कि गैर बीजेपी सरकारों के शासनकाल में माफियाओं की हैसियत इतनी बढ़ी हुई थी कि कोई पुलिस अधिकारी उन्हें छूने तक का साहस नहीं कर सकता था । कृष्णानंद राय हत्याकांड का एक घिनौना पक्ष यह था कि मुख्तार के हत्यारों ने उन पर एके-47 से केवल सैकड़ों गोलियां ही नहीं बरसाईं, बल्कि शिखा भी काट ले गए थे।
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दलतंत्र को लोकतंत्र की मजबूती के लिए काम करना चाहिए
वाणी की शक्ति अपरिमित है। संस्कृति मनुष्य को उदात्त बनाती है। संस्कृत देववाणी है। इसमें संस्कृति के विकास की विराट क्षमता है। भारतीय संस्कृति में वाणी और शब्द के आश्चर्यजनक सदुपयोग मिलते हैं लेकिन राजनैतिक क्षेत्र में सामान्य वक्तव्य भी हिंसक हो जाते हैं। भारतीय सुभाषितों में कहा गया है कि सत्य बोलो-सत्यम ब्रूयात। प्रिय बोलो-प्रियं ब्रूयात। लेकिन अप्रिय सत्य मत बोलो। यहां सत्य को भी अप्रिय होने के कारण उचित नहीं कहा गया।
देशभक्ति की भावना भरेंगे 'योद्धा' सिद्धार्थ मल्होत्रा
सिद्धार्थ मल्होत्रा, राशि खन्ना और दिशा पटानी अभिनित ऐक्शन फिल्म 'योद्धा' सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है। यह फिल्म एक विशेष टास्क फोर्स अधिकारी अरुण कात्याल (सिद्धार्थ मल्होत्रा) की यात्रा की कहानी पर आधारित है, जो देश को आतंकवादियों से बचाने के लिए कुछ भी करेगा।
धोनी का जलवा बरकरार!
आईपीएल के अपने पहले ही मैच में विस्फोटक बल्लेबाजी से जीता दिल
बदल रहे मौसम में अपने खान-पान का रखें ध्यान
कहा जाता है कि तंदुरुस्ती हजार नियायत है, सेहत ठीक रहेगी तभी हर काम फिट होगा। पंचतत्व से बना मानव शरीर ईश्वर की सर्वश्रेष्ठ रचनाओं में से एक है पर इसका संचालन खुद मानव के हाथ में है।
समुद्री डकैतों के लिए खौफ बन कर उभर रही भारतीय नौसेना
हिंद महासागर के कई इलाकों में समुद्री डकैती जारी है । सोमालिया, इथोपिया, इरिट्रिया और जिबूती जैसे देशों के समुद्री डकैत समंदर में सामानों से भरे जहाज लूटने में लगे हैं और अब भारतीय नौसेना इनके लिए एक काल बनके उभरी है। भारतीय नौसेना ने अरब सागर और अदन की खाड़ी जैसे क्षेत्रों में मैरीटाइम सर्जिकल स्ट्राइक करते हुए 35 समुद्री लुटेरों को पकड़कर उन्हें मुंबई लेकर आई। इस कार्यवाही को आईएनएस कोलकाता ने अंजाम दिया है।
उत्तराखंड में ऊर्जा निगम से मिल रही नई ऊर्जा
उत्तराखंड ऊर्जा निगम ने केन्द्र सरकार की दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना के तहत पर्वतीय क्षेत्रों में घर-घर बिजली पहुंचाने और फाल्ट की समस्या के निस्तारण के लिए ठोस पहल की। उत्तराखंड ऊर्जा निगम का दावा है कि प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों को 99 प्रतिशत विद्युतीकृत कर दिया गया है। हालांकि पहाड़ों के कुछ दुर्गम क्षेत्रों तक बिजली पहुंचना बाकी है।
बसपा फिर से सोशल इंजीनियरिंग की राह पर
बहुजन समाज पार्टी लोकसभा चुनाव में अपना पूरा दमखम दिखाने की कोशिश कर रही है। किसी भी चुनाव में मायावती की उपस्थिति इसलिए काफी महत्वपूर्ण हो जाती है क्योंकि उनके पास दलितों का अच्छा खासा वोट है। मायावती की पहचान एक सशक्त दलित नेता के रूप में भी होती है लेकिन चौंकाने वाली बात यह है इस बार है मायावती नहीं, उनके उत्तराधिकारी आकाश आनंद ने प्रचार की शुरुआत की। मायावती के भतीजे आकाश अब बीएसपी में नंबर 2 की हैसियत पर हैं।
यूपी में पेंडुलम की तरह झूलते ओबीसी वोटर!
केन्द्र में मोदी को शीर्ष तक पहुंचाने में ओबीसी की बड़ी भूमिका रही है। राज्यों में मुलायम, लालू एवं नीतीश की राजनीति भी ओबीसी की फैक्ट्री से ही निकली। आज भी कई राज्यों में राजनीतिक दलों का भविष्य ओबीसी वोटरों के मूड पर निर्भर करता है। यह तब है जबकि चुनाव आयोग के पास ऐसा कोई आंकड़ा नहीं है, जो बता सके कि किस वर्ग ने किस दल को वोट किया।
पश्चिमी यूपी के मुसलमान इस बार किसके साथ?
पश्चिमी यूपी की 27 सीटों पर पहले तीन चरणों में मतदान होना है, जहां मुस्लिम वोटर की बड़ी आबादी किसी भी चुनाव का परिणाम बदलने का माद्दा रखती है। सपा, बसपा ने पिछले चुनाव में इसी समीकरण के जरिए आठ सीटें जीती थीं। वर्ष 2013 के मुजफ्फरनगर दंगों के बाद जाटों और मुस्लिमों के बीच जो दूरी बढ़ी, वह रालोद के लगातार प्रयास से कम हुई थी।
पहला द्वार पश्चिमी यूपी तो 7वां पूर्वांचल में खुलेगा
19 और 26 अप्रैल को प्रथम एवं द्वितीय चरण का मतदान होगा। इन दोनों चरणों में पश्चिमी यूपी की 16 सीटों पर वोटिंग होगी। प्रथम और दूसरे चरण के मतदान में पश्चिमी उत्तर प्रदेश की क्रमशः आठ-आठ सीटों के उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला होगा। 07 मई को भी तीसरे चरण में दस सीटों पर मतदान होगा। इसमें भी 10 में से पश्चिमी यूपी की चार सीटें शामिल होंगी।