पृथ्वीलोक पर व्यापार करने का स्पष्ट अर्थ होता है, धन में गुणात्मक वृद्धि | धनोपार्जन करने के लिए मानव को तरहतरह के पापड़ बेलने पड़ते हैं- अक्सर, असत्य, हिंसा, शोषण ' एवं येन-केन- प्रकरेण उपायों का सहारा लेना पड़ता है। इसलिए सत्य के मार्ग पर चलने वालों के लिये व्यापार में पदार्पण करना निश्चित ही अरुचिकर हो जाता है। परंतु नानक के अनुसार व्यापार की परिभाषा बिल्कुल ही भिन्न थी। उनके लिए भूखों को भोजन खिलाना, जरूरतमंदों की सेवा करना, व परमात्मा के नाम का गुणगान करना ही सच्चा कारोबार था। अतः वे बहुत ही अनूठे किस्म के व्यापारी थे, महत्त्वाकांक्षा के लिए उनके जीवन में कोई स्थान न था। उनका व्यक्तित्व अलौकिक था, कृत्रिम व पदार्थवादी जीवनशैली उन्हें जरा भी न भाती थी। वे सदा प्रभु सिमरन में तीन लीन रहते। इस कारण उनके पिताश्री अक्सर उनसे खफा रहते। आखिर एक दिन उन्होंने नानक को कुछ रुपये दिये व सख्त हिदायत दी कि शहर जाकर कोई मुनाफे का सौदा करके ही लौटें। उनका अभिप्राय था कि वहां से न्यूनतम मूल्यों में दालें, नमक, गेहूं आदि घरेलु सामग्री लाकर अधिकतम कीमतों में विक्रय करें। हालांकि नानक को व्यापारिक आदान-प्रदान में किंचित भी रुचि न थी।
फिर भी अपने बापूजी के आदेश की अवहेलना न करते हुए वे सरलता से राजी हो गये। नानक के संगी बाला को भी उन्होंने साथ में भेज दिया। दोनों वहां के थोक विक्रेताओं की मंडी चौरखाना की ओर चल दिये। मार्ग पर उन्हें बीहड़ वन में से गुजरकर जाना था। वहीं वृक्षों की आड़ में उन्होंने कुछ साधुओं को देखा, जो कि तकरीबन नग्न अवस्था में थे। वस्त्रों के नाम पर वे मात्र छोटी सी लुंगी पहने हुए थे। उनकी हालत जराजीर्ण थी । वे कंकाल की भांति नजर आ रहे थे। वे बुभुक्षित थे, ऐसा लग रहा था कि काफी दिनों से उनके उदर में कुछ नहीं गया था।
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उत्साह एवं उमंग का त्यौहार बैसारवी
बैसारवी के दिन पंज प्यारों का रूप धारण कर इनका स्मरण किया जाता है। इस दिन पंजाब का परंपरागत नृत्य भांगड़ा और गिद्दा किया जाता है। उत्तर भारत में बैसारवी को अलग-अलग तरह से मनाया जाता है।
धर्म-कर्म और उनका वैज्ञानिक महत्व
पूजा और धर्म-कर्म से जुड़े जिन नियमों का पालन आप हमेशा से करते आ रहे हैं, क्या आप उनका असल अभिप्राय जानते हैं?
हनुमान साधना के अद्भुत चमत्कार
रामभक्त श्री हनुमान को कलियुग में प्रत्यक्ष देव माना जाता है। श्री राम के आशीर्वाद के फलस्वरूप राम से अधिक हनुमान की पूजा जन सामान्य में प्रचलित है। हनुमान जी रुद्र के ग्यारहवें अवतार हैं, इसीलिए तंत्रोपासना में भी इन्हें उतना ही महत्त्व प्राप्त है, जितना कि वैष्णव परंपरा में। प्रभु हनुमान का आराधक दूसरों द्वारा किए गए तंत्र प्रयोगों के सहज रूप से अछूता रहता है।
सूर्यग्रहण एवं इससे जुड़ी सावधानियां
जब सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी पूर्ण या आंशिक रूप से एक रेखा में आ जाते हैं। वे संरेखित होकर एक अनोखा व रोमांचक दृश्य प्रस्तुत करते हैं, जो पृथ्वी वासियों के लिए अत्यंत कौतूहल का विषय बन जाती है।
किशोरों के जीवन में हस्तक्षेप की सीमारेखा अनिवार्य है
यदि हम बच्चों पर अपनी पसंद थोप देंगे तो इसकी संभावना अधिक है कि वे अपने दोस्तों के बीच में उपहास के पात्र बन जाएं। इससे उनके व्यक्तित्व का विकास बुरी तरह से प्रभावित हो सकता है जो हर तरह से उनकी उन्नति में बाधक होगा।
सुहागिनों का लोक पर्व गणगौर
होली के दूसरे दिन से ही गणगौर का त्यौहार आरंभ हो जाता है जो पूरे सोलह दिन तक लगातार चलता रहता है। इस दिन भगवान शिव ने पार्वती जी को तथा पार्वती जी ने समस्त स्त्री समाज को सौभाग्य का वरदान दिया था। सुहागिनें व्रत धारण करने से पहले रेणुका (मिट्टी) की गौरी की स्थापना करती हैं एवं उनका पूजन करती हैं।
चैत्र नवरात्रि पर भगवान श्रीराम की पूजा का क्या है महत्व
हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की नवमी को रामनवमी कहते हैं और मानते हैं इस दिन मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम का जन्म हुआ था इसीलिए यह पर्व रामनवमी के पर्व के रूप में मनाया जाता है।
आंखों का दुश्मन ग्लूकोमा
ग्लूकोमा एक नेत्र रोग है, जो आंख के अंदर के द्वव्य का दबाव बढ़ने से होता है । इलाज न करवाने पर इंसान अंधा भी हो सकता है।
लंबी सीटिंग से सेहत को खतरा
लगातार बैठना आज वजह बन रहा कई स्वास्थ्य समस्याओं की । इन्हें नज़र अंदाज करना खतरनाक हो सकता है। जानिए कुछ ऐसे ही परिणामों के बारे में-
गर्भावस्था के दौरान दांतों का रखें ऐसे ख्याल
गर्भावस्था के दौरान दांतों की समस्या गर्भवती महिला और उसके होने वाले बच्चे दोनों के लिए हानिकारक हो सकता है। इसलिए गर्भावस्था में दांतों की ख़ास देखभाल की जरूरत होती है।