स्वस्थ रहने के लिए पौष्टिक चीजों का भोजन में शामिल होना बहुत जरूरी है, इसलिए भोजन में फल, सब्जियां, अनाज, कंद, दालें, तेल आदि का समन्वय बने रहना जरूरी है. भोजन में जरूरी तत्त्वों की कमी से न केवल काम करने की कूवत घटती है, बल्कि शरीर को जरूरी एनर्जी भी नहीं मिल पाती है. ऐसे में हमें भरपूर एनर्जी देने वाली चीजों को अपने भोजन का हिस्सा जरूर बनाना चाहिए.
भोजन में भरपूर एनर्जी देने वाली चीजों में साबूदाना का अहम रोल माना जाता है. इस से बनने वाली खिचड़ी, खीर, कचरी, पापड़, पकौड़ी इत्यादि को एनर्जी का फुल डोज माना जाता है.
साबूदाना को कार्बोहाइड्रेट, बी विटामिन बी कौंप्लैक्स, फोलिक एसिड, पोटैशियम, कैल्शियम का जबरदस्त स्रोत माना जाता है. खाने में इस के उपयोग से थकान, ब्लड प्रैशर, वजन बढ़ना, हड्डियों की समस्या इत्यादि से बचा जा सकता है. यह चेहरे के लिए एक बेहतर फेस मास्क का काम भी करता है, इसलिए बाजार में इस का रेट अच्छा बना रहता है.
ऐसे तैयार होता साबूदाना
साबूदाना कसावा नाम के फसल के कंदों की प्रोसैसिंग के बाद तैयार किया जाता है, जो एक झाड़ीनुमा पौधा होता है. साबूदाना बनाने के लिए सब से पहले कसावा के कंद को पहले अच्छे से धोया जाता है. इस के बाद कंदों को छील कर उस की पिसाई की जाती है.
कंदों की पिसाई के बाद उसे प्रोसैसिंग की कई प्रक्रियाओं से गुजारा जाता है, जिस से कंद का फाइबर अलग हो जाता है और लिक्विड फार्म में सिर्फ इस का स्टार्च बचता है.
लिक्विड फार्म में तैयार स्टार्च को बड़ेबड़े टैंक में भर कर उसे फर्मेंट किया जाता है. फर्मेंटेशन की प्रक्रिया के तहत पानी और स्टार्च अलगअलग हो जाते हैं. इस के बाद स्टार्च का पाउडर बना कर उस से छोटीछोटी गोलियां बनाई जाती हैं. इन गोलियों को थोड़ी देर गरम बरतन में रख कर हिलाया जाता है और उस के बाद गोलियों को सूखने के लिए रख देते हैं. आखिरी स्टैप होता है ग्लूकोज और स्टार्च के मिश्रण से इस की पौलिश करने का. पोलिश के बाद साबूदाना पूरी तरह से तैयार हो जाता है.
कसावा की खेती
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मिट्टी जांच से मिले पोषक तत्त्वों की जानकारी
आमतौर पर पौधों में समुचित विकास के लिए उन्हें 16 पोषक तत्त्वों की जरूरत होती है, जिन में हाइड्रोजन, औक्सीजन, नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश, कैल्शियम, मैगनीशियम, सल्फर आदि खास होते हैं.
कृषि वानिकी में लगाए सहजन
व्यावसायिक खेती के अलावा घर पर भी इस का पौधा लगाया जा सकता है. पौधा लगाने के पहले 3 साल तक इस की खास देखभाल की जरूरत पड़ती है. उस के बाद यह अपनेआप बढ़ता रहता है.
मिठास का खजाना मोंक फ्रूट की खेती
डाबिटीज से जूझ रहे लोग अगर मीठा खाने का शौक पूरा करना चाहते हैं, तो डा कुछ ऐसी चीजें हैं, जो चीनी की जगह इस्तेमाल की जा सकती हैं. ये डायबिटीज से जूझ रहे लोगों को नुकसान भी नहीं पहुंचाती हैं. इस में स्टीविया की पत्तियां सब से कारगर मानी जाती हैं.
सब से दयनीय मजदूर भारत को किसान
चुनावी व्यस्तताओं के बीच अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस आया और चला भी गया. पूरे साल यह देश कोई न कोई राष्ट्रीय अथवा अंतर्राष्ट्रीय दिवस मनाता रहता है. बाल दिवस, वृद्ध दिवस, महिला दिवस, किसान दिवस, पर्यावरण दिवस वगैरह. अब तो हालात ये हैं कि साल के दिन भी कम पड़ गए हैं. एक ही तारीख में कई अलगअलग राष्ट्रीय अथवा अंतर्राष्ट्रीय दिवस पड़ रहे हैं, किसे मनाएं और किसे छोड़ें? पर क्या सचमुच हमारे देश की सरकारें और हम स्वयं इन तमाम गंभीर सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरण संबंधी मुद्दों के प्रति गंभीर हैं?
कृषि मशीनरी को बढ़ावा देने के लिए प्रशिक्षण
2 मई, 2024. महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर के प्रसार शिक्षा निदेशालय द्वारा लघु एवं सीमांत किसान परिवारों में कृषि मशीनरी को बढ़ावा देने व कृषि में श्रम साध्य साधनों के उपयोग पर एकदिवसीय प्रशिक्षण का आयोजन कृषि विज्ञान केंद्र, चित्तौड़गढ़ पर किया गया.
जई की नई किस्म से बढ़ेगा पशुओं का दूध
चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के चारा अनुभाग ने जई की नई उन्नत किस्म एचएफओ 906 विकसित की है. देश के उत्तरपश्चिमी राज्यों के किसानों व पशुपालकों को जई की इस किस्म से बहुत लाभ होगा.
कलमी या करमुआ साग की करें उन्नत खेती
पोषक गुणों से भरपूर प्रचलित सागसब्जियों के अलावा कुछ ऐसी भी सब्जियां हैं, जो आमतौर पर मिट्टी और पानी दोनों जगहों पर बहुत कम लागत और मेहनत में उगाई जा सकती हैं. हालांकि ऐसी सागसब्जियों का बहुत ज्यादा व्यावसायिक उत्पादन नहीं किया जा रहा है, ऐसे में अगर किसान कम चलन वाली पोषक गुणों से भरपूर इन सब्जियों की खेती करे, तो अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.
मुनाफा दिलाए कुंदरू की खेती
कुंदरू की सब्जी को सेहत के लिहाज से काफी फायदेमंद माना जाता है. कुंदरू में कई तरह के पोषक तत्त्व पाए जाते हैं. इसे अन्य सब्जियों की तुलना में विटामिन और मिनरल का काफी अच्छा स्त्रोत माना जाता है. कुंदरू की 100 ग्राम की मात्रा में विटामिन बी-2 (राइबोफ्लेविन) 0/08 मिलीग्राम, 1.6 ग्राम फाइबर, 1.4 मिलीग्राम आयरन, 40 मिलीग्राम कैल्शियम और 0.07 मिलीग्राम विटामिन बी 1 (थियामिन) पाया जाता है.
आम की बेहतर कीमत दिलाए अच्छी पैकेजिंग
आम के फलों को अगर अच्छे बाजार मूल्य पर बेचना चाहते हैं, तो इस के लिए जरूरी है कि आम के फल देखने में दागधब्बे रहित हों और दिखने में सुंदर भी हों. साथ ही, उन का साइज भी औसत में एकजैसा होना जरूरी है. इस के लिए जितना जरूरी आम के बागों की समय से सिंचाई, गुड़ाई, जुताई और कीट व बीमारियों का प्रबंधन होता है, उतना ही जरूरी हो जाता है कि फलों की बढ़वार की नियमित निगरानी और उस का बैगिंग किया जाना.
मिट्टी में उपजाऊपन बढ़ाए हरी खाद
आज के समय में किसान या उपज लेने के लिए कैमिकल खादों का जम कर इस्तेमाल करते हैं. इस वजह से मिट्टी की पैदावार कूवत पर उलटा असर पड़ता है, इसलिए मिट्टी के इन गुणों को सुधारने के लिए हरी खाद का इस्तेमाल समय की पुकार है. किसान अपने खेत में हरी खाद का इस्तेमाल कर के मिट्टी की पैदावार कूवत बढ़ाने के साथ-साथ ज्यादा उपज ले सकेंगे.