देश में गेहूं का औसत उत्पादन 3.1 टन प्रति हेक्टेयर है. पंजाब एवं हरियाणा राज्यों में गेहूं की औसत उपज 4.5 टन प्रति हेक्टेयर है.
गेहूं की उपज की संभावना को देखते हुए भरपूर उत्पादन में उन्नत किस्मों व सिंचाई के साथ उर्वरकों के प्रयोग की भी एक महत्त्वपूर्ण भूमिका है. संतुलित और प्रभावी उर्वरक के उपयोग द्वारा गेहूं की औसत उपज और भी बढ़ाई जा सकती है.
गेहूं की अच्छी उपज का आधार
भूमि की उपजाऊ शक्ति ही फसलों की अच्छी उपज का आधार है. भरपूर उपज पाने के लिए किसान कड़ी मेहनत और खेती के आधुनिक तरीके अपनाते तो हैं, लेकिन आमतौर पर फसल को उस की आवश्यकतानुसार पूरी खुराक देने पर ज्यादा ध्यान नहीं दे पाते हैं.
कृषि अनुसंधान के परीक्षणों ने यह सिद्ध कर दिया है कि फसल की खुराक में नाइट्रोजन और फास्फोरस के साथ पोटाश का होना भी बहुत जरूरी है. संतुलित उर्वरक के उपयोग का महत्त्व सिंचित और असिंचित दोनों ही दशा के लिए समान है. गेहूं की फसल के अच्छे विकास के लिए पौधों को अनेक मुख्य, द्वितीय और सूक्ष्म पोषक तत्त्वों की जरूरत होती है. प्रत्येक फसल भूमि से सभी आवश्यक पोषक तत्त्वों को प्राप्त करती है.
गेहूं की अधिक उपजाऊ किस्में भूमि से ज्यादा पोषक तत्त्व लेती हैं. एक टन गेहूं के अनाज उत्पादन के लिए भूमि से औसतन 24.5 किलोग्राम नाइट्रोजन, 8.6 किलोग्राम फास्फोरस और 32.8 किलोग्राम पोटाश का अवशोषण होता है. हर किसान इस बात का अंदाजा लगाए कि उस के खेत से कितनी मात्रा में पोषक तत्त्वों की कमी हो सकती है, उसी के अनुसार खाद का प्रयोग करे.
गेहूं की फसल में पोटाश का महत्त्व
• पोटाश के प्रयोग से गेहूं के हर पौधे में अधिक कल्ले निकलते हैं, जिस से अधिक बालियां बनती हैं. बालियां व दाने बनने के समय पोटाश की सहायता से पूरी खुराक मिलने पर अधिक दाने बनते हैं. नतीजतन, अधिक उपज मिलती है.
Diese Geschichte stammt aus der December Second 2022-Ausgabe von Farm and Food.
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मिट्टी जांच से मिले पोषक तत्त्वों की जानकारी
आमतौर पर पौधों में समुचित विकास के लिए उन्हें 16 पोषक तत्त्वों की जरूरत होती है, जिन में हाइड्रोजन, औक्सीजन, नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश, कैल्शियम, मैगनीशियम, सल्फर आदि खास होते हैं.
कृषि वानिकी में लगाए सहजन
व्यावसायिक खेती के अलावा घर पर भी इस का पौधा लगाया जा सकता है. पौधा लगाने के पहले 3 साल तक इस की खास देखभाल की जरूरत पड़ती है. उस के बाद यह अपनेआप बढ़ता रहता है.
मिठास का खजाना मोंक फ्रूट की खेती
डाबिटीज से जूझ रहे लोग अगर मीठा खाने का शौक पूरा करना चाहते हैं, तो डा कुछ ऐसी चीजें हैं, जो चीनी की जगह इस्तेमाल की जा सकती हैं. ये डायबिटीज से जूझ रहे लोगों को नुकसान भी नहीं पहुंचाती हैं. इस में स्टीविया की पत्तियां सब से कारगर मानी जाती हैं.
सब से दयनीय मजदूर भारत को किसान
चुनावी व्यस्तताओं के बीच अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस आया और चला भी गया. पूरे साल यह देश कोई न कोई राष्ट्रीय अथवा अंतर्राष्ट्रीय दिवस मनाता रहता है. बाल दिवस, वृद्ध दिवस, महिला दिवस, किसान दिवस, पर्यावरण दिवस वगैरह. अब तो हालात ये हैं कि साल के दिन भी कम पड़ गए हैं. एक ही तारीख में कई अलगअलग राष्ट्रीय अथवा अंतर्राष्ट्रीय दिवस पड़ रहे हैं, किसे मनाएं और किसे छोड़ें? पर क्या सचमुच हमारे देश की सरकारें और हम स्वयं इन तमाम गंभीर सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरण संबंधी मुद्दों के प्रति गंभीर हैं?
कृषि मशीनरी को बढ़ावा देने के लिए प्रशिक्षण
2 मई, 2024. महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर के प्रसार शिक्षा निदेशालय द्वारा लघु एवं सीमांत किसान परिवारों में कृषि मशीनरी को बढ़ावा देने व कृषि में श्रम साध्य साधनों के उपयोग पर एकदिवसीय प्रशिक्षण का आयोजन कृषि विज्ञान केंद्र, चित्तौड़गढ़ पर किया गया.
जई की नई किस्म से बढ़ेगा पशुओं का दूध
चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के चारा अनुभाग ने जई की नई उन्नत किस्म एचएफओ 906 विकसित की है. देश के उत्तरपश्चिमी राज्यों के किसानों व पशुपालकों को जई की इस किस्म से बहुत लाभ होगा.
कलमी या करमुआ साग की करें उन्नत खेती
पोषक गुणों से भरपूर प्रचलित सागसब्जियों के अलावा कुछ ऐसी भी सब्जियां हैं, जो आमतौर पर मिट्टी और पानी दोनों जगहों पर बहुत कम लागत और मेहनत में उगाई जा सकती हैं. हालांकि ऐसी सागसब्जियों का बहुत ज्यादा व्यावसायिक उत्पादन नहीं किया जा रहा है, ऐसे में अगर किसान कम चलन वाली पोषक गुणों से भरपूर इन सब्जियों की खेती करे, तो अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.
मुनाफा दिलाए कुंदरू की खेती
कुंदरू की सब्जी को सेहत के लिहाज से काफी फायदेमंद माना जाता है. कुंदरू में कई तरह के पोषक तत्त्व पाए जाते हैं. इसे अन्य सब्जियों की तुलना में विटामिन और मिनरल का काफी अच्छा स्त्रोत माना जाता है. कुंदरू की 100 ग्राम की मात्रा में विटामिन बी-2 (राइबोफ्लेविन) 0/08 मिलीग्राम, 1.6 ग्राम फाइबर, 1.4 मिलीग्राम आयरन, 40 मिलीग्राम कैल्शियम और 0.07 मिलीग्राम विटामिन बी 1 (थियामिन) पाया जाता है.
आम की बेहतर कीमत दिलाए अच्छी पैकेजिंग
आम के फलों को अगर अच्छे बाजार मूल्य पर बेचना चाहते हैं, तो इस के लिए जरूरी है कि आम के फल देखने में दागधब्बे रहित हों और दिखने में सुंदर भी हों. साथ ही, उन का साइज भी औसत में एकजैसा होना जरूरी है. इस के लिए जितना जरूरी आम के बागों की समय से सिंचाई, गुड़ाई, जुताई और कीट व बीमारियों का प्रबंधन होता है, उतना ही जरूरी हो जाता है कि फलों की बढ़वार की नियमित निगरानी और उस का बैगिंग किया जाना.
मिट्टी में उपजाऊपन बढ़ाए हरी खाद
आज के समय में किसान या उपज लेने के लिए कैमिकल खादों का जम कर इस्तेमाल करते हैं. इस वजह से मिट्टी की पैदावार कूवत पर उलटा असर पड़ता है, इसलिए मिट्टी के इन गुणों को सुधारने के लिए हरी खाद का इस्तेमाल समय की पुकार है. किसान अपने खेत में हरी खाद का इस्तेमाल कर के मिट्टी की पैदावार कूवत बढ़ाने के साथ-साथ ज्यादा उपज ले सकेंगे.