साल 2006 में 68.6 मिलियन टन उत्पादन था, जो 2021-22 में बढ़ कर 109.58 मिलियन टन हो गया. गेहूं की उत्पादकता साल 2006 में 2,602 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर थी, जो 2021-22 में बढ़ कर 3,424 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर हो हैं.
भारत के कुल गेहूं उत्पादन का तकरीबन 91 फीसदी केवल 5 राज्यों उत्तर प्रदेश, पंजाब, मध्य प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान और बिहार से प्राप्त होता है. भारत में उत्पादन की दृष्टि से उत्तर प्रदेश का पहला स्थान है. यद्यपि खाद्यान्न का उत्पादन मांग के अनुरूप वर्तमान समय में कम है, लेकिन भविष्य में बढ़ती जनसंख्या और निरंतर सिकुड़ती हुई कृषि भूमि व इसी के साथ कृषि लागतों का अधिक महंगा होना इस ओर इंगित करता है कि गेहूं में और अधिक उत्पादन करना होगा, ताकि खाद्यान्न सुरक्षा को योजनागत तरीके से सफलतापूर्वक मजबूत व सुरक्षित बनाया जा सके.
मिट्टी व आबोहवा
गेहूं के उम्दा उत्पादन के लिए मुनासिब जल निकास वाली समतल चिकनी दोमट या बलुई दोमट भूमि अच्छी होती है. उत्तर प्रदेश में सभी प्रकार की सामान्य मिट्टी में इस की खेती की जा सकती है. इस के अलावा ऐसी भूमि, जिस का पीएच मान 6 से 8.5 के बीच होता है, उस में उत्पादन लिया जा सकता है.
खेत की तैयारी
सब से पहले 2 जुताई मिट्टी पलटने वाले हैरो से करते हैं, फिर 2-3 जुताई कल्टीवेटर या देशी हल से करते हैं या फिर एक ही जुताई रोटावेटर से कर लेते हैं. अंत में पाटा चला कर खेत को समतल कर लेते हैं.
बीज की मात्रा व शोधन
सामान्य दशा में गेहूं की बोआई के लिए प्रति हेक्टेयर 100 किलोग्राम बीज की जरूरत होती है. मोटे दाने की दशा में यह मात्रा तकरीबन 120 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर हो जाती है. यदि छिटकवां विधि या देर से बोआई की जा रही है, तो प्रति हेक्टेयर 125 किलोग्राम बीज की जरूरत पड़ती है.
बीज शोधन के लिए 2.5 ग्राम थिरमा 2.5 ग्राम कार्बंडाजिम या 5 ग्राम ट्राईकोडर्मा स्पोर में से किसी एक दवा को प्रति किलोग्राम बीज की दर से ले कर किसी साफ घड़े में बीज और दवा डाल कार पौलीथिन से मुंह बांध कर अच्छी तरह लगाते हैं.
बोआई का समय और दूरी
This story is from the December First 2022 edition of Farm and Food.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 8,500+ magazines and newspapers.
Already a subscriber ? Sign In
This story is from the December First 2022 edition of Farm and Food.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 8,500+ magazines and newspapers.
Already a subscriber? Sign In
मिट्टी जांच से मिले पोषक तत्त्वों की जानकारी
आमतौर पर पौधों में समुचित विकास के लिए उन्हें 16 पोषक तत्त्वों की जरूरत होती है, जिन में हाइड्रोजन, औक्सीजन, नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश, कैल्शियम, मैगनीशियम, सल्फर आदि खास होते हैं.
कृषि वानिकी में लगाए सहजन
व्यावसायिक खेती के अलावा घर पर भी इस का पौधा लगाया जा सकता है. पौधा लगाने के पहले 3 साल तक इस की खास देखभाल की जरूरत पड़ती है. उस के बाद यह अपनेआप बढ़ता रहता है.
मिठास का खजाना मोंक फ्रूट की खेती
डाबिटीज से जूझ रहे लोग अगर मीठा खाने का शौक पूरा करना चाहते हैं, तो डा कुछ ऐसी चीजें हैं, जो चीनी की जगह इस्तेमाल की जा सकती हैं. ये डायबिटीज से जूझ रहे लोगों को नुकसान भी नहीं पहुंचाती हैं. इस में स्टीविया की पत्तियां सब से कारगर मानी जाती हैं.
सब से दयनीय मजदूर भारत को किसान
चुनावी व्यस्तताओं के बीच अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस आया और चला भी गया. पूरे साल यह देश कोई न कोई राष्ट्रीय अथवा अंतर्राष्ट्रीय दिवस मनाता रहता है. बाल दिवस, वृद्ध दिवस, महिला दिवस, किसान दिवस, पर्यावरण दिवस वगैरह. अब तो हालात ये हैं कि साल के दिन भी कम पड़ गए हैं. एक ही तारीख में कई अलगअलग राष्ट्रीय अथवा अंतर्राष्ट्रीय दिवस पड़ रहे हैं, किसे मनाएं और किसे छोड़ें? पर क्या सचमुच हमारे देश की सरकारें और हम स्वयं इन तमाम गंभीर सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरण संबंधी मुद्दों के प्रति गंभीर हैं?
कृषि मशीनरी को बढ़ावा देने के लिए प्रशिक्षण
2 मई, 2024. महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर के प्रसार शिक्षा निदेशालय द्वारा लघु एवं सीमांत किसान परिवारों में कृषि मशीनरी को बढ़ावा देने व कृषि में श्रम साध्य साधनों के उपयोग पर एकदिवसीय प्रशिक्षण का आयोजन कृषि विज्ञान केंद्र, चित्तौड़गढ़ पर किया गया.
जई की नई किस्म से बढ़ेगा पशुओं का दूध
चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के चारा अनुभाग ने जई की नई उन्नत किस्म एचएफओ 906 विकसित की है. देश के उत्तरपश्चिमी राज्यों के किसानों व पशुपालकों को जई की इस किस्म से बहुत लाभ होगा.
कलमी या करमुआ साग की करें उन्नत खेती
पोषक गुणों से भरपूर प्रचलित सागसब्जियों के अलावा कुछ ऐसी भी सब्जियां हैं, जो आमतौर पर मिट्टी और पानी दोनों जगहों पर बहुत कम लागत और मेहनत में उगाई जा सकती हैं. हालांकि ऐसी सागसब्जियों का बहुत ज्यादा व्यावसायिक उत्पादन नहीं किया जा रहा है, ऐसे में अगर किसान कम चलन वाली पोषक गुणों से भरपूर इन सब्जियों की खेती करे, तो अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.
मुनाफा दिलाए कुंदरू की खेती
कुंदरू की सब्जी को सेहत के लिहाज से काफी फायदेमंद माना जाता है. कुंदरू में कई तरह के पोषक तत्त्व पाए जाते हैं. इसे अन्य सब्जियों की तुलना में विटामिन और मिनरल का काफी अच्छा स्त्रोत माना जाता है. कुंदरू की 100 ग्राम की मात्रा में विटामिन बी-2 (राइबोफ्लेविन) 0/08 मिलीग्राम, 1.6 ग्राम फाइबर, 1.4 मिलीग्राम आयरन, 40 मिलीग्राम कैल्शियम और 0.07 मिलीग्राम विटामिन बी 1 (थियामिन) पाया जाता है.
आम की बेहतर कीमत दिलाए अच्छी पैकेजिंग
आम के फलों को अगर अच्छे बाजार मूल्य पर बेचना चाहते हैं, तो इस के लिए जरूरी है कि आम के फल देखने में दागधब्बे रहित हों और दिखने में सुंदर भी हों. साथ ही, उन का साइज भी औसत में एकजैसा होना जरूरी है. इस के लिए जितना जरूरी आम के बागों की समय से सिंचाई, गुड़ाई, जुताई और कीट व बीमारियों का प्रबंधन होता है, उतना ही जरूरी हो जाता है कि फलों की बढ़वार की नियमित निगरानी और उस का बैगिंग किया जाना.
मिट्टी में उपजाऊपन बढ़ाए हरी खाद
आज के समय में किसान या उपज लेने के लिए कैमिकल खादों का जम कर इस्तेमाल करते हैं. इस वजह से मिट्टी की पैदावार कूवत पर उलटा असर पड़ता है, इसलिए मिट्टी के इन गुणों को सुधारने के लिए हरी खाद का इस्तेमाल समय की पुकार है. किसान अपने खेत में हरी खाद का इस्तेमाल कर के मिट्टी की पैदावार कूवत बढ़ाने के साथ-साथ ज्यादा उपज ले सकेंगे.