"भैया, मैं लाली के बिना नहीं जी सकता, " विकेश रुंधे गले से बोला. उस की सुर्ख आंखों से झरझर आंसू बह रहे थे, "कुछ करो न भैया."
“तू रो मत विकेश," तसल्ली देता हुआ बिट्टू सामने खड़े विकेश को समझा रहा था, "अरे, पगले पहले तू ये मोती जैसे बहते आंसुओं को पोंछ, फिर देखता हूं हमें क्या करना है. मुझ से तेरी ये हालत देखी नहीं जाती भाई."
"पर... पर वो भैया मेरे दिल से निकलती ही नहीं. दिल को समझाता हूं तो उस की भोली सूरत आंखों के सामने आ जाती है. भाई, तुम्हीं बताओ कि ऐसी हालत में मैं क्या करूं ? दिल से उस की यादों को कैसे भुलाऊं? कैसे निकालूं?"
"वक्त बड़ेबड़े जख्मों को समय का मरहम लगा कर भर देता है मेरे भाई. तेरे भी जख्म जख्म जरूर भर जाएंगे. बस, थोड़ा सब्र करना होगा."
"सब्र ही तो नहीं होता अब मुझ से जब से उस की शादी की बात मैं ने सुनी है, जलन के मारे मेरा दिल भुनता ही जा रहा है."
"तेरा ही नहीं भाई, मेरा भी दिल जल रहा है. मेरे से भी प्यार किया था उस ने. जितना तेरे दिल को चोट पहुंची है, उतनी ही चोट मेरे दिल को भी पहुंची है. कैसे भुला सकता हूं मैं उस की बेवफाई को कभी नहीं. न तो उस की यादों को मैं अपने दिल से जुदा कर सकता हूं और न करूंगा."
"मैं तो कहता हूं भाई, जैसे हमें धोखा दे कर वह तीसरे की बाहों में सिमट रही है..." कहतेकहते विकेश बीच में रुक गया.
"ठीक है, सिमट जाने दो उसे." उस की अधूरी बात बिट्टू ने पूरी की, "सिमट गई तो क्या हुआ? उसे हम इतनी आसानी से नहीं भूलने देंगे. तू चिंता क्यों करता है ?" इस के बाद विकेश और बिट्टू घंटों बातें करते रहे. गुस्से के मारे दोनों के चेहरे तमतमा उठे थे.
दरअसल, विकेश और बिट्टू रिश्ते में दोनों चचेरे भाई थे. दोनों ही बिहार के बेगूसराय जिले के अहमदपुर ( घाघरा) के रहने वाले थे. वे दोनों ही एक ही लड़की लाली से प्यार करते थे. फिर अचानक न जाने उन के बीच में ऐसा क्या हुआ कि लाली ने दोनों को छोड़ कर तीसरे से ब्याह रचा लिया. इसी बात को ले कर दोनों परेशान थे और उन के मन में कोई खतरनाक योजना खाका बना रही थी.
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