"मुझे भूख नहीं है, आप ही खा लेना," 10 वर्षीय मुकुल केवल टोस्ट खा कर स्कूल के लिए निकल गया.
"पता नहीं, इस लड़के को कैसे समझाऊं. इसे कभी भूख ही नहीं लगती," मुकुल की मम्मी ने टेबल पर ने रखी आमलेट की प्लेट उठाते हुए कहा.
मुकुल के साथ यही दिक्कत थी. दूसरे लड़कों की तरह वह एक्टिव नहीं था. खेलकूद में भी उस की खास रुचि नहीं थी. इस कारण न तो उसे अच्छी भूख लगती थी और न ही उस की सेहत बन पाती थी.
इंटरवल हुआ तो सारे छात्र मैदान में आ गए.
"अरे मच्छर, परे हट," रोहन ने मुकुल को धक्का दिया तो वह जमीन पर गिर गया.
यह देख कर वहां खड़े लड़के जोरजोर से हंसने लगे. दुबलापतला मुकुल रोनी सूरत बना कर वहां से चुपचाप चला गया.
"तुम ने रोहन को कुछ कहा क्यों नहीं? क्या तुम उस से डरते हो?" मुकुल के दोस्त रवि ने पूछा.
"यदि मैं उस से कुछ कहता तो हो सकता है, वह मुझे मुक्का मार देता. तुम ने देखा नहीं, वह कितना ताकतवर है."
"तो तुम भी अपनी सेहत पर ध्यान दो. नहीं तो आज रोहन ने तुम्हें धक्का दिया, कल कोई दूसरा ऐसा कर सकता है," रवि बोला.
जब स्कूल की छुट्टी के बाद मुकुल घर गया तो वह रवि की बातों में व्यस्त था. घर लौटते हुए रास्ते में उस ने एक घर देखा, जिस पर नेमप्लेट लगी हुई थी, "नत्थू पहलवान."
"यदि मैं नत्थू पहलवान की तरह ताकतवर बन जाऊं तो कोई मुझे परेशान नहीं कर पाएगा," नेमप्लेट देख कर मुकुल ने मन ही मन सोचा और दरवाजा खुला देख कर भीतर घुस गया.
नत्थू पहलवान अपने घर की खाली जमीन पर दौड़ लगा रहा था. उस के शरीर से पसीना निकल रहा था, पर फिर भी वह दौड़े जा रहा था.
"मुझे एक आइडिया मिल गया. पहलवान की मजबूती का राज यही होगा," यह सोच कर मुकुल उस के घर से बाहर आ गया और पार्क में दौड़ने के लिए चला गया.
कुछ ही कदम दौड़ने के बाद उस की सांस फूल गई और वह जमीन पर ही बैठ गया. मुकुल ने दौड़ लगाने का इरादा छोड़ दिया और घर लौट आया.
अगले दिन स्कूल में अपने दोस्त रवि के साथ खेलते समय रोहन आया और उस ने मुकुल की गेंद मैदान से बाहर फेंक दी.
"तुम ने मेरी गेंद बाहर क्यों फेंकी?" मुकुल ने डरते हुए पूछा तो रोहन ने अपना बैट उठाया और चलते बना. उस की इस हरकत पर मुकुल मन मसोस कर रह गया.
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भीम का संकल्प
वर्ष 1901 की बात है. उस समय भारत में अंग्रेजों का राज था. महाराष्ट्र के सतारा में एक 9 वर्ष का बालक भीम अपने बड़े भाई, भतीजे और दादी के साथ रहता था. उस के पिता कोरेगांव में खजांची की नौकरी करते थे.
अंधेर नगरी चौपट राजा
चीकू खरगोश और मीकू चूहा विश्व भ्रमण पर निकले थे. घूमतेघूमते दोनों 'जंबलटंबल' नामक शहर के बाहरी इलाके में जा पहुंचे..
रैटी की पूंछ
रैटी चूहा आनंदवन में अपनी कजिन चिंकी चिपमंक के साथ रहता था, जो दो महीने पहले लंदन से आया था. एक दिन रैटी अपने घर में उदास बैठा था. उसे उदास देख कर उस की दोस्त चिंकी ने पूछा, \"क्या बात है रैटी, तुम बड़े उदास लग रहे हो. किसी परेशान किया क्या? कहीं बैडी बिल्ली ने तुम्हें पंजा तो नहीं मारा या फिर हमेशा की तरह तुम्हारे पेट में भूख के मारे चूहे कूद रहे हैं. शायद इसीलिए तुम्हारे चेहरे पर बारह बज रहे हैं.\"
जलियांवाला बाग बलिदानियों की याद
\"बहुत बढ़िया, आज के लिए नया शब्द है, एम. ए. एस. एस. सी. आर. ई. कंचना मैम ने ब्लैक बोर्ड पर एक के बाद एक अक्षर लिखा.
शारजाह में ईद
दानिया बहुत उत्साहित थी, क्योंकि मम्मी ने दानिया बताया कि चचेरी बहन एजा और रूही ईद के लिए उन से मिलने आ रही हैं. एजा और रूही लंदन, यूनाइटेड किंगडम में रहती थीं. वे पहली बार शारजाह, संयुक्त अरब अमीरात, मध्यपूर्व के लिए उड़ान भर रही थीं.
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सुबहसुबह अचानक किसी ने दरवाजा खटखटाया तो टौमी बिलाव ने जा कर दरवाजा खोला. दरवाजे पर उस की पड़ोसिन पेन्नी बिल्ली थी. उस के हाथ में एक बहुत बड़ा डब्बा था, जिस में से बहुत अच्छी खुशबू आ रही थी. यह देख कर टौमी बहुत हैरान हुआ और मन ही मन सोचने लगा कि पेन्नी मिठाई का डब्बा ले कर मेरे घर आई है. मैं उसे बरसों से जानता हूं. अव्वल दर्जे की कंजूस है.
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तनु को रंगों से बहुत प्यार था. उस की ड्राइंग कौपी का हर पन्ना रंगबिरंगा रहता था. उस का कमरा गुलाबी और हरे जीवंत रंगों से सजा था. उसे अपने गमलों में चमकीले और रंगबिरंगे फूल पसंद थे.
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\"कहो टिन्नी, आजकल कैसी कट रही है तुम्हारी जिंदगी?\" जियो सियार ने टिन्नी लोमड़ी से पूछा तो उस ने लंबी सांस भरी...
मोजारेला चीजस्टिक
जिग्गी चिपमंक स्कूल बस में नया बच्चा था. उन की बस सर्विस बहुत खराब थी, खास कर सुबह के समय जब बस बच्चों को लेने आती थी तो उन्हें काफी देर तक इंतजार करना पड़ता था. स्कूल पहुंचने में अकसर उन्हें देर हो जाती थी.