जुबिन हैरान और घबराया हुआ था. उस ने गिफ्टशौप पर लगभग एक घंटा बिता दिया था फिर भी वह अपने पापा के लिए गिफ्ट खरीदने का निर्णय नहीं कर पाया था.
दयालु सैल्स महिलाकर्मी ने उसे सलाह दी थी. फिर भी जुबिन संतुष्ट नहीं हो पाया. वह एक आइटम पसंद करता, लेकिन तुरंत निराश हो जाता, जब उसे यह विश्वास होता कि वह इस आइटम को खरीदने में समर्थ नहीं हो सकता.
निराश हो कर वह शौप से बाहर निकल आया. थकान से वह थोड़ा झुका और उसे अपने कंधों पर स्कूल -बैग थोड़ा भारी महसूस हुआ.
गिफ्टशौप उस के स्कूल के पास थी और वह वहां घर लौटते समय रुक गया था. पापा चिंतित हो रहे होंगे. जल्दी ही अंधेरा होने जा रहा था.
"ठहरो," वह अपने रास्ते पर रुक गया और खुद को सीधा खड़ा किया जैसे उस में कुछ विचार आ में गया हो. "क्या आज कोको मेरे साथ रहने नहीं आ रहा है?" दोपहर में उस के दादाजी को उस के पास जरूर पहुंच जाना है, पिछली रात उस के पापा ने इस बारे में बताया.
जुबिन शर्मीला लड़का था. उस ने थोड़ा सा असहज महसूस किया. उस ने सोचा कि दादाजी उस का घर पर इंतजार कर रहे थे. इस से पहले वास्तव में उस ने उन के साथ कभी ज्यादा समय नहीं बिताया था.
पापा के व्यस्त कार्यक्रमों के चलते वे असम में अपने पैतृक घर की शायद ही कभी कोई यात्रा कर पाते थे. उस के पास वहां गर्मी की छुट्टियां बिताने की वहां कुछ अस्पष्ट यादें थीं.
लेकिन इस से पहले उस की दादीमां का निधन हो गया था और उन के दादा अपने गृहनगर में एक पुराने आश्रय स्थल में चले गए थे.
"वे हमारे साथ क्यों नहीं रह सकते?" जुबिन ने पापा से पूछा था, लेकिन वह जानता था कि पापा को से अकेले ही उस की देखभाल करनी है. वह कोका की भी देखभाल कैसे करेंगे?
आखिरी बार वह कोका से डेढ़ साल पहले मिला था. जुबिन जैसे ही अपने घर के मुख्य दरवाजे पर पहुंचा, वह थोड़ा घबराया हुआ सा महसूस कर रहा था. उसे इस बात की चिंता थी कि कोका का साथ उसे मिलेगा कि नहीं.
"मुझे एक जरूरी बिजनैस मीटिंग के लिए मुंबई जाना है, " पापा ने उस से कल रात कहा था, "और जोया बैदेव छुट्टी पर हैं, इसलिए मैं ने कोका को तुम्हारे साथ रहने के लिए बुलाया है. वह सिर्फ एक सप्ताह के लिए यहां है. मैं जल्दी ही वापस आऊंगा."
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बहादुर हिप्पो
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जलियांवाला बाग बलिदानियों की याद
\"बहुत बढ़िया, आज के लिए नया शब्द है, एम. ए. एस. एस. सी. आर. ई. कंचना मैम ने ब्लैक बोर्ड पर एक के बाद एक अक्षर लिखा.