जलवायु परिवर्तन के कृषि और खाद्य प्रणाली पर पड़ रहे प्रभावों पर विस्तार से चर्चा
Modern Kheti - Hindi|1st December 2022
जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (यूएनएफसीसीसी) के पार्टियों के सम्मेलन (कॉप 27) में पहली बार जलवायु परिवर्तन के कृषि और खाद्य प्रणाली पर पड़ रहे प्रभावों पर विस्तार से चर्चा हुई।
जलवायु परिवर्तन के कृषि और खाद्य प्रणाली पर पड़ रहे प्रभावों पर विस्तार से चर्चा

सम्मेलन की अध्यक्षता संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन, सीजीआईएआर और द रॉकफेलर फाउंडेशन द्वारा की गई। यह सम्मेलन ऐसे समय पर आयोजित किया गया है जिस समय भारत में गेहूं की फसल लू से प्रभावित हुई, पाकिस्तान और चीन में भयंकर बाढ़ और सूखा, यूरोप और अमेरिका में सूखे के हालात देखे गए हैं। यह पुख्ता सबूत हैं कि मौसम के इस भयंकर रूप से खाद्य और कृषि उत्पादन कैसे खतरे में है। 3.5 अरब किसानों और कृषि उत्पादकों का प्रतिनिधित्व करने वाले संगठनों ने 7 नवंबर को वैश्विक लीडर्स को एक पत्र लिखा है।

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मिट्टी के पीएच में सुधार और फसल पैदावार बढ़ाने के लिए वैज्ञानिकों ने विकसित किए नए उत्पाद
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मिट्टी के पीएच में सुधार और फसल पैदावार बढ़ाने के लिए वैज्ञानिकों ने विकसित किए नए उत्पाद

भारत में लगभग 67.3 लाख हैक्टेयर भूमि लवणीयता से प्रभावित है। लवणीय मिट्टी कृषि उत्पादकता पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है, जिससे अक्सर फसल उत्पादन गतिविधियां आर्थिक रूप से फायदेमंद नहीं हो पाती हैं।

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15th April 2024
जीएम कपास की पूरी क्षमता का दोहन करने के लिए बायोटेक, हस्तक्षेप जारी रखने का आह्वान
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जीएम कपास की पूरी क्षमता का दोहन करने के लिए बायोटेक, हस्तक्षेप जारी रखने का आह्वान

कपास विशेषज्ञों और वैज्ञानिकों ने आनुवंशिक रूप से संशोधित (जीएम) कपास पर ठोस जोर देने की आवश्यकता को रेखांकित करते हुए कहा है कि एक मजबूत कपड़ा मूल्य श्रृंखला सुनिश्चित करने और राज्यों की आकांक्षाओं को प्राप्त करने के लिए यह महत्वपूर्ण होगा।

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15th April 2024
पूर्वीजर हरियाणा में धान की सीधी बिजाई एक प्रयत्न तो बनता है
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पूर्वीजर हरियाणा में धान की सीधी बिजाई एक प्रयत्न तो बनता है

हरियाणा प्रदेश के उत्तर पूर्वी भाग (अंबाला, कुरुक्षेत्र, यमुनानगर, करनाल, पानीपत और सोनीपत आदि जिले) में धान की फसल का अपना ही एक महत्व है। यहां के धान की उच्च गुणवत्ता और विक्रय के लिए बाजार के स्थायी तंत्र की उपस्थिति के कारण धान का स्थान ग्रहण करने के लिए वर्तमान में कोई दूसरी फसल विद्यमान नहीं है। किन्तु जिस परम्परागत विधि से धान की खेती यहां पर की जा रही है वह बहुत ही दीर्घकालिक नहीं प्रतीत हो रही है।

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15th April 2024
बढ़ती अर्थव्यवस्था के शोर में कृषि को उपेक्षित न छोड़ा जाए...
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बढ़ती अर्थव्यवस्था के शोर में कृषि को उपेक्षित न छोड़ा जाए...

जय जवान जय किसान का नारा देने वाले देश का किसान देश की राजधानी दिल्ली को मांगों के समथर्न में घेरने की तैयारी से मोर्चा लेकर सीमा क्षेत्र में बैठा हुआ है। सरकार एवं किसान आंदोलनकारियों के बीच दौर की वार्ता अभी तक बेनतीजा ही रही है।

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15th April 2024
ग्रीन हाउस में फूलों की खेती
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ग्रीन हाउस में फूलों की खेती

हमारे देश की जलवायु ऐसी है जहां सभी प्रकार के फूल उगाये जाते हैं। किन्तु वर्तमान समय की विशेष आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए नियंत्रित वातावरण में फूल उपजाए जाते हैं, जो सामान्यतः खुले वातावरण में ठीक से नहीं उपजाए जा सकते हैं।

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15th April 2024
स्वैः मंडीकरण में पैकिंग एवं लेबलिंग का महत्व
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स्वैः मंडीकरण में पैकिंग एवं लेबलिंग का महत्व

\"मंडीकरण कृषि व्यापार का एक अहम पहलु है। उचित मंडीकरण द्वारा मंडी में उपभोक्ताओं की जरुरतों का पता लगाकर आवश्यक वस्तु/सेवा उपलब्ध करवाई जा सकती है। मंडीकरण गतिविधियों के कारण कृषि उद्यमी वस्तु की बेच संभावना में इजाफा कर सकते हैं और वस्तुओं के अच्छे मूल्य भी प्राप्त कर सकते हैं। मंडीकरण गतिविधियों में वस्तु की गुणवत्ता, पेशकारी, कीमत, बेच स्थान एवं प्रचार को शामिल किया जाता है।\"

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15th April 2024
सी. एस. टी. एल. से बीज सैंपल पुन: परिक्षण
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सी. एस. टी. एल. से बीज सैंपल पुन: परिक्षण

बीज खेती किसानों की जरूरत है, बीज उत्तम ही नहीं, सर्वोत्तम होना चाहिए। बीज की पावनता, पवित्रता, शुद्धता बनी रहे। इसके लिए भारत सरकार ने बीज अधिनियम-1966, बीज नियम-1968 तथा बीज नियंत्रण आदेश-1983 लागू किए हैं।

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15th April 2024
मधुमक्खी पालन पर मौसम का असर और उसका निवारण
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मधुमक्खी पालन पर मौसम का असर और उसका निवारण

मधुमक्खी पालकों को बदलते हुए मौसम में मधुमक्खियों का पालन करने में काफी कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है। बदलते मौसम के कारण मधुमक्खियों की आबादी और उत्पादन शक्ति पर गहरा असर पड़ता है जिसके परिणामस्वरूप मधुमक्खी पालकों को आर्थिक रुप से भी नुकसान होता है।

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15th April 2024
लम्पी त्वचा रोग के पीछे अनेक वेरिएंट
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लम्पी त्वचा रोग के पीछे अनेक वेरिएंट

मई 2022 में, भारत भर में मवेशी एक रहस्यमय बीमारी से मरने लगे थे। तब से लगभग 1,00,000 गायें इसके विनाशकारी प्रकोप से अपनी जान गंवा चुकी हैं, वैज्ञानिकों ने इसकी पहचान लम्पी या गांठदार त्वचा रोग के रूप में की।

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15th April 2024
फास्फोरस का अधिक उपयोग नुकसानदायक...
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फास्फोरस का अधिक उपयोग नुकसानदायक...

फास्फोरस के अधिक कुशल उपयोग से इस महत्वपूर्ण उर्वरक का सीमित भंडार 500 से अधिक वर्षों तक चल सकता है। बढ़ती आबादी की भोजन की मांग को पूरा करने के लिए दुनिया भर में फॉस्फोरस समेत कई उर्वरकों की मदद से फसलों के उत्पादन को बढ़ाया जा सकता है।

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15th April 2024