पंजाब
संयुक्त मछली पालन खेती की एक विविध और समन्वित विधि है। संयुक्त मछली पालन में मछली के साथ उत्पाद के रूप में कृषि उत्पादों का उत्पादन किया जाता है, यह माना जाता है कि इस तरह के संयोजन से प्रणाली के सभी भागों को लाभ होता है। ज्यादातर मामलों में, मुख्य लाभार्थी मछली है जो पशु और कृषि अपशिष्ट का प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से भोजन के रूप में उपयोग करते हैं। संयुक्त मछली पालन सिद्धांतों में पशुधन या कृषि फसलों के साथ मछली पालन शामिल है। इस प्रकार की खेती संसाधनों के उपयोग में बहुत दक्षता प्रदान करती है क्योंकि सिस्टम से अपशिष्ट या उप-उत्पादों के प्रभावी ढंग से पुनर्नवीनीकरण किया जाता है। यह अधिकतम उत्पादन के लिए उपलब्ध कृषि भूमि के कुशल उपयोग को भी सक्षम बनाता है। प्रोटीन युक्त मछली भोजन और रासायनिक उर्वरकों की बढ़ती लागत के साथ-साथ ऊर्जा संरक्षण के लिए सामान्य चिंता ने मछली पालन के लिए धान और अन्य फसल क्षेत्रों और पशु अपशिष्ट के उपयोग के बारे में जागरूकता पैदा की है। कृषि या पशुधन के साथ मत्स्य पालन एक अनूठा और लाभदायक उद्यम है। और उच्च कृषि आय प्रदान करता है। ग्रामीण आबादी के लिए प्रोटीन का एक सस्ता स्रोत प्रदान करता है। छोटी भूमि पर उत्पादकता बढ़ाता है और खेत जानवरों के लिए चारे की आपूर्ति बढ़ाता है। संयुक्त खेती का दायरा बहुत विस्तृत है। मछली के अलावा, प्रणाली मांस, दूध, फल, सब्जियां, मशरूम, चारा और अनाज प्रदान करती है और किसानों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार करती है और ग्रामीण अर्थव्यवस्था में भी सुधार करती है। संयुक्त मछली पालन को मौटे तौर पर दो श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है, जैसे कृषि-मछली प्रणाली और पशुधन-मछली प्रणाली। खेती आधारित प्रणालियों में धानमछली प्रणाली, बागवानी-मछली प्रणाली, मशरूम-मछली प्रणाली शामिल है। पशुधन प्रणालियों में सुअर-मछली प्रणाली, पोल्ट्रीमछली प्रणाली, बत्तख-मछली प्रणाली, बकरी-मछली प्रणाली, खरगोश- मछली प्रणाली शमिल है।
संयुक्त मत्स्य पालन के कुछ महत्वपूर्ण लाभकारी प्रकार :
This story is from the 15th August 2022 edition of Modern Kheti - Hindi.
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मिट्टी के पीएच में सुधार और फसल पैदावार बढ़ाने के लिए वैज्ञानिकों ने विकसित किए नए उत्पाद
भारत में लगभग 67.3 लाख हैक्टेयर भूमि लवणीयता से प्रभावित है। लवणीय मिट्टी कृषि उत्पादकता पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है, जिससे अक्सर फसल उत्पादन गतिविधियां आर्थिक रूप से फायदेमंद नहीं हो पाती हैं।
जीएम कपास की पूरी क्षमता का दोहन करने के लिए बायोटेक, हस्तक्षेप जारी रखने का आह्वान
कपास विशेषज्ञों और वैज्ञानिकों ने आनुवंशिक रूप से संशोधित (जीएम) कपास पर ठोस जोर देने की आवश्यकता को रेखांकित करते हुए कहा है कि एक मजबूत कपड़ा मूल्य श्रृंखला सुनिश्चित करने और राज्यों की आकांक्षाओं को प्राप्त करने के लिए यह महत्वपूर्ण होगा।
पूर्वीजर हरियाणा में धान की सीधी बिजाई एक प्रयत्न तो बनता है
हरियाणा प्रदेश के उत्तर पूर्वी भाग (अंबाला, कुरुक्षेत्र, यमुनानगर, करनाल, पानीपत और सोनीपत आदि जिले) में धान की फसल का अपना ही एक महत्व है। यहां के धान की उच्च गुणवत्ता और विक्रय के लिए बाजार के स्थायी तंत्र की उपस्थिति के कारण धान का स्थान ग्रहण करने के लिए वर्तमान में कोई दूसरी फसल विद्यमान नहीं है। किन्तु जिस परम्परागत विधि से धान की खेती यहां पर की जा रही है वह बहुत ही दीर्घकालिक नहीं प्रतीत हो रही है।
बढ़ती अर्थव्यवस्था के शोर में कृषि को उपेक्षित न छोड़ा जाए...
जय जवान जय किसान का नारा देने वाले देश का किसान देश की राजधानी दिल्ली को मांगों के समथर्न में घेरने की तैयारी से मोर्चा लेकर सीमा क्षेत्र में बैठा हुआ है। सरकार एवं किसान आंदोलनकारियों के बीच दौर की वार्ता अभी तक बेनतीजा ही रही है।
ग्रीन हाउस में फूलों की खेती
हमारे देश की जलवायु ऐसी है जहां सभी प्रकार के फूल उगाये जाते हैं। किन्तु वर्तमान समय की विशेष आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए नियंत्रित वातावरण में फूल उपजाए जाते हैं, जो सामान्यतः खुले वातावरण में ठीक से नहीं उपजाए जा सकते हैं।
स्वैः मंडीकरण में पैकिंग एवं लेबलिंग का महत्व
\"मंडीकरण कृषि व्यापार का एक अहम पहलु है। उचित मंडीकरण द्वारा मंडी में उपभोक्ताओं की जरुरतों का पता लगाकर आवश्यक वस्तु/सेवा उपलब्ध करवाई जा सकती है। मंडीकरण गतिविधियों के कारण कृषि उद्यमी वस्तु की बेच संभावना में इजाफा कर सकते हैं और वस्तुओं के अच्छे मूल्य भी प्राप्त कर सकते हैं। मंडीकरण गतिविधियों में वस्तु की गुणवत्ता, पेशकारी, कीमत, बेच स्थान एवं प्रचार को शामिल किया जाता है।\"
सी. एस. टी. एल. से बीज सैंपल पुन: परिक्षण
बीज खेती किसानों की जरूरत है, बीज उत्तम ही नहीं, सर्वोत्तम होना चाहिए। बीज की पावनता, पवित्रता, शुद्धता बनी रहे। इसके लिए भारत सरकार ने बीज अधिनियम-1966, बीज नियम-1968 तथा बीज नियंत्रण आदेश-1983 लागू किए हैं।
मधुमक्खी पालन पर मौसम का असर और उसका निवारण
मधुमक्खी पालकों को बदलते हुए मौसम में मधुमक्खियों का पालन करने में काफी कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है। बदलते मौसम के कारण मधुमक्खियों की आबादी और उत्पादन शक्ति पर गहरा असर पड़ता है जिसके परिणामस्वरूप मधुमक्खी पालकों को आर्थिक रुप से भी नुकसान होता है।
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फास्फोरस का अधिक उपयोग नुकसानदायक...
फास्फोरस के अधिक कुशल उपयोग से इस महत्वपूर्ण उर्वरक का सीमित भंडार 500 से अधिक वर्षों तक चल सकता है। बढ़ती आबादी की भोजन की मांग को पूरा करने के लिए दुनिया भर में फॉस्फोरस समेत कई उर्वरकों की मदद से फसलों के उत्पादन को बढ़ाया जा सकता है।