जब भी किसी प्रकार की कोई दुर्घटना घटित होती है,हम क्या करते हैं? पीड़ित को संबल देते हैं, उसकी पीड़ा को कम करने का प्रयास करते हैं। पूरा परिवार उस घटनाक्रम से उसे बाहर निकालने की पूर्ण चेष्टा में लग जाता है, चाहे उस हादसे में पीड़ित ने अपना कोई अंग खो दिया हो, या फिर पूर्ण रूप से अपाहिज ही क्यों ना हो गया हो। परिवार का हर सदस्य उसकी ताकत बन साथ खड़ा रहता है,ताकि उसका मनोबल बना रहे, लेकिन बलात्कार या बलात्कार के पश्चात जिन्हें मार दिया जाता है या जो समाज और लोकलाज के भय से स्वयं अपने जीवन का अंत कर लेती हैं, उनका अध्याय ही समाप्त हो जाता है या फिर सारा परिवार और समाज उस पीड़िता के लिए सहानुभूति एवं दया दिखाते हुए इंसाफ़ की लड़ाई लड़ते हुए सड़क पर उतर आता है किंतु उस पीड़िता का क्या, जो बलात्कार के बाद अधमरी लाश के रुप में बच जाती है। उसके प्रति सभी का रवैया क्यों पूरी तरह से बदल जाता है?
क्यों समाज और समाज के तथाकथित बुद्धिजीवी वर्ग में यह बहस छिड़ जाती है कि इस घटना के पीछे गलती किसकी थी? और फिर अंत में पीड़िता को ही परम्पराओं एवं संस्कृति की दुहाई देते हुए दोषी के कटघरे में यह कहते हुए खड़ा कर दिया जाता है कि लड़कियों को अपने हद में रहना चाहिए, उन्हें अपनी अस्मिता और सीमा को ध्यान रखते हुए छोटे कपड़े नहीं पहनने चाहिए। देर रात तक घर से बाहर अकेले नहीं घूमना चाहिए। हमारे समाज में यह सारी बंदिशें केवल लड़कियों पर ही क्यों लगाई जाती है? लड़कों को क्यों कुछ नहीं कहा जाता? क्यों उन्हें उनकी हदें नहीं बताई जाती। क्यों उन्हें नारी जाति के सम्मान के प्रति जागरूक नहीं किया जाता? ऐसे अनेक सवाल हैं जो अब तक निरुत्तरित ही हैं।
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फिल्में, जो करें मोटिवेट
फिल्मों का असल जिंदगी से जुड़ाव होता है, लेकिन यही फिल्में असल लगने वाली परिस्थितियों से बाहर निकलने का जज्बा भी सिरवाती हैं।
मन और तन कीजिए स्वस्थ साउंड हीलिंग थेरेपी से
कई लोग नाश्ता नहीं करते, काफी सारे फास्ट फूड्स या जंक फूड्स रवाते हैं और बड़े पैमाने पर सप्लीमेंट फूड्स पर ही रहते हैं। ऐसा देरवा गया है स्वतंत्र महसूस करने के लिए करते हैं या फिर अपने पैसे से अपनी आजादी का प्रदर्शन करना चाहते हैं।
महिला सुरक्षा कानूनः संशोधन और निर्माण
महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों की बढ़ती संख्या को देखते हुए यह जरूरी है कि महिलाएं उनकी सुरक्षा के लिए निर्धारित कानूनों के बारे में जागरूक हों।
भाई-बहनों में झगड़े-विकास में साधक या बाधक
भाई-बहनों में झगड़े-लड़ाई होना तो बेहद आम बात है और हर घर की कहानी है। भले उनमे एक-दो साल का अंतर हो या फिर छह-सात साल का, उससे कोई फर्क नहीं पड़ता। इन झगड़ों में उनका प्यार भी छुपा होता है और तकरार भी। और कई बार बच्चे जिंदगी के जरूरी सबक भी इन झगड़ों से ही सीख जाते हैं।
मेरी खूबसूरती मेरे लंबे बालों में है
लंबे खूबसूरत बालों की तारीफ तो आप आए दिन सुनती ही होंगी। फिल्मी हीरो, शायरों, यहां तक कि विज्ञापन की दुनिया में भी लंबे बाल लहराते और अपना जादू बिखेरते दिरवेंगे। लेकिन आज जहां छोटे बालों का प्रचलन जोरों पर है, तब भी महिलाओं और युवतियों के बीच लंबे बालों का फैशन कम नहीं हुआ है और उनका व्यक्तित्व निरवार उन्हें और भी खूबसूरत बनाते हैं।
वेबसिरीज में भी दिखेंगी शिल्पा शिंदे
शिल्पा शिंदे को कौन नहीं जानता! छोटे पर्दे की अभिनेत्री शिल्पा शिंदे जल्द ही पौरुषपुर' नाम की वेब सिरीज में नजर आएंगी, जिसमें वो अपने लुक और किरदार से लोगों का दिल जीत लेंगी।
घर पर ही अगर पार्लर सेवाएं लेना चाहती हैं तो इन बातों का रखें ध्यान
कोरोना संक्रमण के कारण लोगों रखासकर महिलाओं में आज भी एक डर है। इस डर को दूर भगाने और सभी महिलाओं को विश्वास दिलाने के लिए अब बहुत से नामी पार्लर आगे आए और उन्होंने धीरे-धीरे अपनी सेवाओं को चलाना शुरू किया।
न्यूबॉर्न बेबी एंड मदर केयर के 21 टिप्स
मां और शिशु के रिश्ते को किसी भी परिभाषा में बयां नहीं किया जा सकता। इसकी शुरुआत मां की कोरव से होती है, जहां बच्चा नौ महीने तक रहकर खुद को सुरक्षित महसूस करता है। गर्भ से बाहर आते ही मां-बच्चे दोनों की दुनिया बदल जाती है और दोनों को ही विशेष देखभाल की जरूरत होती है।
ऊन खरीदते समय रखें इन बातों का ध्यान
अगर आपको स्वेटर बुनने का शौक है तो ऊन की पररव भी होगी। फिर भी कभी-कभार जल्दबाजी में या रात के समय ऊन खरीदने में धोरवा हो ही जाता है। इसलिए ऊन की खरीदारी संबंधी हमारे कछ सुझाव आपके काम आ सकते हैं।
गजब ड्रेपिंग गजब साड़ी
साड़ी का ड्रेप अगर अच्छे से बना हो तो साधारण सी साड़ी भी बढ़िया दिरखती है। ड्रेप आर्टिस्ट डॉली जैन के ड्रेपिंग स्टाइल कुछ ऐसे ही हैं और साड़ी का बिलकुल अलग रूप सामने लाते हैं।
WILL CITIES SURVIVE 2020?
COVID-19 IS REIGNITING OLD DEBATES ABOUT ZONING, PUBLIC HEALTH, URBAN PLANNING, AND SUBURBAN SPRAWL.
Recruiting - TOP TECH TALENT AT LOW COST?
It’s possible. The crisis has created a great hiring opportunity for companies, so long as you approach it the right way, through the right channels.
Why British Police Shows Are Better
When you take away guns and shootings, you have more time to explore grief, guilt, and the psychological complexity of crime.
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A Sea Change For The Supreme Court
The Sept. 18 death of Justice Ruth Bader Ginsburg set up a political fight over the future of the high court, with Republicans determined to seat her replacement before Election Day over Democrats’ objections.
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An Italian prosecutor takes on his country’s most powerful crime syndicate.
THE WAVE FILES
After the “soul-crushing” slog of Hemispheres, the planets seemed to align for Rush when it came time to record their next album, 1980’s Permanent Waves.
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Dream Theater maestro JOHN PETRUCCI geeks out on Permanent Waves, Alex Lifeson’s “How is that even possible?” solos and the undeniable majesty of Rush
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