This story is from the May 2022 edition of Jyotish Sagar.
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शिव-शक्ति के महामिलन का दिवस है महाशिवरात्रि
शिव का अर्थ है 'कल्याणकारी'। सृष्टि के कल्याण के लिए ही समुद्र मन्थन से उत्पन्न विष को अपने कण्ठ में उतारा और 'नीलकण्ठ' बन गए। शिव का जो कल्याण करने का भाव है, वही 'शिवत्व' कहलाता है। 'शिवोहम्' का उद्घोष वही व्यक्ति कर सकता है, जो स्वयं के भीतर इस शिवत्व को धारण कर लेता है। उसे अपने आचारव्यवहार में उतार लेता है। महाशिवरात्रि पर शिव की उपासना तभी सार्थक होती है, जब हम दूसरों के कल्याण के लिए विष पीने को भी उद्यत हो जाएँ। इसी तरह हम शिवत्व प्राप्त कर सकते हैं।
सफलता के लिए तिथि के अनुसार करें अपने कार्य
सेना सम्बन्धी कार्य, मुकदमेबाजी जैसे अदालती कार्य निबटाना, वाहन खरीदना, कलात्मक कार्यों जैसे विद्या, गायन-वादन, नृत्य आदि के लिए विशेष शुभ होती हैं।
स्वामी दयानन्द का बोधोत्सव दिवस है शिवरात्रि
आज समस्त आर्य जगत् महाशिवरात्रि को ‘महर्षि दयानन्द बोधोत्सव' के रूप में मनाता आ रहा है।
ऊँट पर बैठे आदमी को कैसे कुत्ता काट लेता है?
जानें हस्तरेखा विश्लेषण से
वास्तुनुरूप उत्तरामुखी भवन पर विशेष समीक्षा
महाशिवरात्रि पर विशेष
जन्मपत्रिका से जानें मकान प्राप्ति के योग
रोटी, कपड़ा और मकान इन तीन चीजों को जीवन-यापन की मूलभूत आवश्यकता माना जाता है। हम अपनी कमाई से रोटी की व्यवस्था करते हैं, कपड़ों की भी व्यवस्था करते हैं, लेकिन एक अपना मकान बनाना अधिक समय और लागत माँगता है।
शिवोपासना की महिमा
सृष्टि के प्रारम्भ में फाल्गुन त्रयोदशी (कृष्ण पक्ष की) तिथि को मध्यरात्रि में भगवान् शिव का ब्रह्मा से रूद्र के रूप में अवतरण हुआ था। शिवरात्रि के दिन व्रत एवं उपवास रखकर शिवलिंग पर बिल्वपत्र अर्पित करने चाहिए।
शिवरात्रि का वास्तविक मर्म
महाशिवरात्रि पर विशेष
रात्रिजागरण एवं चार प्रहर पजा
08 मार्च, 2024 (शुक्रवार)
होलिका दहन का शास्त्रीय विधान
गीता में भगवान् श्रीकृष्ण ने कहा है अर्जुन! जो कुछ करते हो, जो कुछ खाते हो, अग्नि के अर्पण करते हो, दान देते हो, तपस्या करते हो, उसे मेरे अर्पण करते हुए करो।