प्रकरण ही कुछ ऐसा है कि समय का पता नहीं लग रहा है। भरत मिलाप का प्रसंग चल रहा है। भरत जी राम को अयोध्या लौटाने के लिए चित्रकूट में अनेक प्रकार के तर्क प्रस्तुत कर रहे हैं।
"भरत जी के ग्लानिपूर्ण वचनों को सुनकर वसिष्ठ जी ने उन्हें कई प्रकार से समझाया, फिर श्रीराम ने कहा 'हे तात! तुम अपने हृदय में व्यर्थ ही ग्लानि करते हो, जीव की गति को ईश्वर के अधीन जनों तीनों कालों और तीनों लोकों के सत्पुण्यात्मा पुरुष तुमसे नीचे हैं। माता कैकेयी को वे ही मूर्ख दोष देते हैं, जिन्होंने गुरु और साधुओं की सभा का सेवन नहीं किया है। हे भरत! तुम्हारा नाम स्मरण करते ही सब पाप, प्रपंच और समस्त अमंगलों के समूह मिट जाएँगे तथा इस लोक में सुन्दर यश और परलोक में सुख प्राप्त होगा। गुरु जी ने मुझे आज्ञा दी है, इसलिए अब तुम जो कुछ कहो अवश्य ही मैं वही करना चाहता हूँ। तुम मन को प्रसन्न कर और संकोच को त्यागकर जो कुछ कहो, मैं आज वही करूँ।'
मनु प्रसन्न करि सकुच तजि कहहु करौं सोइ आजू।
सत्यसंध रघुबर बचन सुनि भा सुखी समाजु।।
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गंगाद्वार हरिद्वार
हरिद्वार हिन्दुओं के जहाँ धार्मिक तीर्थ के रूप में प्रतिष्ठा प्राप्त है, वहीं भारत का महत्त्वपूर्ण सांस्कृतिक नगर भी है।
भरत जी की चित्रकूट यात्रा
मानसपीठ (भाग-102)
कुम्भ पर्व हरिद्वार
इस वर्ष अप्रैल-मई माह में बृहस्पति कुम्भ राशि में तथा सूर्य मेष राशि में रहेंगे, फलतः हरिद्वार में कुम्भ महापर्व का आयोजन होगा।
भारत भी खोज रहा है चाँद पर पानी!
भारत भी अपने मून मिशन चन्द्रयान के माध्यम से चन्द्रमा पर पानी एवं खनिजों की खोज कर रहा है। चन्द्रयान-2 के ऑर्बिटर ने चाँद के 60 प्रतिशत ध्रुवीय क्षेत्र का भ्रमण कर लिया है। इससे मिले आँकड़ों के आधार पर अगले एक साल में भारत यह अनुमान लगाने की स्थिति में होगा कि चाँद पर कहाँ, कितना पानी है।
नक्षत्रीय आधार पर रुचकादि पंचमहापुरुष योगों का फल
स्वाति नक्षत्र में स्थित शश योग सर्वश्रेष्ठ फलकारक होता है। ऐसे योग में उत्पन्न जातक को इस योग के सभी शास्त्रोक्त शुभ फलों की प्राप्ति होती है। ऐसा जातक राजनेता, उच्च अधिकारी, निर्जन स्थान पर रहने वाले, कुशाग्र बुद्धि वाले तथा प्रत्येक कार्य को सोच-विचार कर करने वाले होते हैं।
प्रेम विवाह और उसकी सफलता के उपाय
चन्द्रकान्त मणि चन्द्रमा की किरणों को सोखकर धारणकर्ता के शरीर में प्रविष्ट करा देती है और उनके मन में प्रेम, समर्पण, कामुकता आदि का भाव जाग्रत कर देती है। ऐसी भी मान्यता चली आ रही है कि चन्द्रकान्त मणि को धारण करे लेने से प्रेम प्रसंगों में भी शीघ्र सफलता प्राप्त हो जाती है।
मकर संक्रान्ति एक, रूप अनेक
भारतीय परम्परा के अन्तर्गत जनजीवन के साथ त्योहारों का घनिष्ठ रिश्ता रहा है। कृषि प्रधान देश होने की वजह से ज्यादातर त्योहारों की पृष्ठभूमि में कृषि रही है। विश्लेषण करने से विदित होता है कि भारतवर्ष के पर्वत्योहार मास तथा मौसम के ऊपर आधारित है। इन त्योहारों को विशेष रूप से सूर्य प्रभावित करता है। धरा पर रहने वाले मनुष्य, जीव-जंतु, पक्षी और कीड़े विभिन्न वजहों से सूर्य के प्रति ऋणी हैं।
कमला हैरिस अमेरिका की पहली महिला उपराष्ट्रपति
सामान्यतः अमेरिकी राजनीति में उपराष्ट्रपति की प्रत्यक्ष भूमिका दृष्टिगोचर नहीं होती, परन्तु कमला हैरिस के ग्रहयोगों एवं दशाओं से यह परम्परा टूटती हुई दिखाई देगी।
जो बाइडेन चुनौतियाँ और ग्रह-स्थिति
उनके समक्ष जो चुनौतियाँ वर्तमान में दिखाई दे रही हैं, उनका वे बेहतर तरीके से सामना करने में सफल होंगे और अमेरिकी समाज, अर्थव्यवस्था तथा राजनीति को एक नई दिशा देने में सफल होंगे।
चाँद पर मिला पानी!
हाल ही में नासा ने घोषणा की है कि उन्हें चाँद की सतह पर पानी होने के निर्णायक साक्ष्य मिले हैं।
Part 2 - Where History Intersects With Myth
Ashwin Sanghi is an Indian author in the intersecting genre of mythology, fiction and thriller. In this second part of his interview with Rudy Singh, he speaks about mythology, history, his approach to writing and his upcoming books. Ashwin continues the conversation from where he left off.
रामायण साहित्यों में विज्ञान
वैमानिक-शास्त्र में चार प्रकार के विमानों का वर्णन है। ये काल के आधार पर विभाजित हैं। इन्हें तीन श्रेणियों में रखा गया है। इसमें श्मंत्रिका' श्रेणी में वे विमान आते हैं, जो सतयुग और त्रेतायुग में मंत्र एवं सिद्धियों से संचालित व नियंत्रित होते थे। दूसरी श्रेणी श्तांत्रिका' है, जिसमें तंत्र शक्ति से उड़ने वाले विमानों का ब्यौरा है। इसमें तीसरी श्रेणी में कलयुग में उड़ने वाले विमानों का ब्यौरा भी है, जो इंजन (यंत्र) की ताकत से उड़ान भरते यानी भारद्वाज ऋषि ने भविष्य की उड़ान प्रौद्योगिकी क्या होगी, इसका अनुमान भी अपनी दूरदृष्टि से लगा लिया था। इन्हें कृतक विमान कहा गया है। कुल २५ प्रकार के विमानों का इसमें वर्णन है।
स्त्री के बंधे हुए बाल हैं सौभाग्य की निशानी
स्त्री खुले बालों के कारण नकारात्मक ऊर्जा आती है और घर में क्लेष उत्पन्न होता है ।
अपने-अपने राम
राम सबके हैं और सब राम के हैं यह कोई राजनीतिक बयान नहीं है.इसके पीछे एक लंबा इतिहास और परंपरा है. जहां राम आपको अलग अलग रूप और चरित्र में दिखाई देते हैं.
आंधे की माक्खी राम उड़ावै
मंदिर के सरोवर की खुदाई से कुषाणकाल (प्रथम-द्वितीय शती ई.) से लेकर मध्यकाल 9-10वी शती ई. के मृदपात्र एवं अन्य पुरावशेष मिले थे. जिससे इस तीर्थ की प्राचीनता सिद्ध होती है.यहां महर्षि वाल्मीकि संस्कृत यूनिवर्सिटी भी बनाई जा रही है.
कैसा था रामराज्य?
प्रायः हम लोग एक आदर्श शासन व्यवस्था की तुलना रामराज्य से करते हैं। ऐसे में बहुत से लोग ऐसे भी हैं जिनके मन में एक न एक बार यह प्रश्न जरूर उठता है कि आरिवर रामराज्य में ऐसा क्या था जो त्रेता युग के रामराज्य का उदाहरण आज भी दिया जाता है। तो आइए जानें इसके बारे में इस लेव के माध्यम से।
संस्कृत साहित्य में रामकथा
संस्कृत साहित्य में रामकथा का प्रतिपादन सर्वप्रथम आदिकवि वाल्मीकि द्वारा रचित 'रामायण' शीर्षक ग्रंथ में किया गया है। प्राचीन कथाओं के अनुसार सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा ने स्वप्न में महर्षि वाल्मीकि को दर्शन देकर उन्हें रामायण की रचना के लिए प्रेरित किया तथा यह आश्वासन भी दिया कि वे अपने काव्य में राम के चरित्र का निर्माण जिस प्रकार से करेंगे राम अपने जन्म के पश्चात् उसी प्रकार का आचरण करेंगे।
क्या शूर्पणखा लंका के विनाश का कारण थी?
शूर्पणखा का अर्थ है, एक ऐसी स्त्री जो नाखून की तरह कठोर हो। उसके जन्म का नाम मीनाक्षी था, अर्थात् मछली जैसी सुंदर आंखों वाली। शूर्पणखा, रामायण की ऐसी पात्र है जिसे सदा गलत समझा गया है। वह उन भाइयों की छत्र-छाया में बड़ी हुई, जिनकी नियति में युद्ध लड़ना, जीतना तथा ख्याति व प्रतिष्ठा अर्जित करना लिखा था। परंतु इस सबके विपरीत शूर्पणखा के जीवन का मार्ग पीड़ा और प्रतिशोध से भरा था.
स्त्री को गुलाम बनाती धार्मिक कहानियां
धार्मिक किस्सेकहानियों में जैंडर असमानता की नींव इतनी निपुणता से रखी गई है कि महिलाएं चाह कर भी इसे हिला नहीं पा रही हैं...
पुण्यात्मा डॉक्टर रामानंद सागर के ऊपर लिखी गई यह वों किताब हैजिस पर उनके बेटेऔओर पोते नें मिलकर काम किया हे
पुण्यात्मा डॉक्टर रामानंद सागर के ऊपर लिखी गई यह वो किताब है जिस पर उनके बेटे और पोते नें मिलकर काम किया है