CATEGORIES

अनोखा भविष्यवक्ता!
Jyotish Sagar

अनोखा भविष्यवक्ता!

कभी-कभी जीवन में ऐसी घटनाएँ घटित हो जाती हैं, जिन्हें देखकर हमें आश्चर्यचकित होना पड़ता है...

time-read
2 mins  |
June 2023
शक्ति का प्रतीक 'देवी दुर्गा'
Jyotish Sagar

शक्ति का प्रतीक 'देवी दुर्गा'

यह उत्सव राजा कंसनारायण ने अपने क्षेत्र राजाशाही (बंगाल) प्रान्त के ताहिरपुर में आयोजित किया था। कहा जाता है कि तभी से दुर्गा पूजा को विशेष लोकप्रियता मिली। इनकी पूजा पद्धति को 'कंसनारायण पद्धति' कहा जाता है।

time-read
6 mins  |
June 2023
कर्नाटक में कांग्रेस के नए सितारे डी.के.शिवकुमार
Jyotish Sagar

कर्नाटक में कांग्रेस के नए सितारे डी.के.शिवकुमार

कर्नाटक में कांग्रेस की बड़ी जीत में जिन प्रमुख नेताओं की भूमिका अहम मानी जा रही है, उनमें डी.के. शिवकुमार भी शामिल हैं।

time-read
3 mins  |
June 2023
कर्नाटक में कांग्रेस की जीत - क्या कहते हैं राहुल-प्रियंका के सितारे?
Jyotish Sagar

कर्नाटक में कांग्रेस की जीत - क्या कहते हैं राहुल-प्रियंका के सितारे?

कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत की एक बड़ी वजह राहुल- प्रियंका दोनों की कड़ी मेहनत मानी जा रही है।

time-read
1 min  |
June 2023
सांस्कृतिक एकता का प्रतीक पुरी की रथयात्रा
Jyotish Sagar

सांस्कृतिक एकता का प्रतीक पुरी की रथयात्रा

नारद ने ही श्रीभगवान् से प्रार्थना की कि हे भगवान् आप चारों के जिस महाभाव में लीन मूर्तिस्थ रूप में मैंने दर्शन किए हैं, वह सामान्यजनों के दर्शन हेतु पृथ्वी पर सदैव सुशोभित रहें और महाप्रभु ने 'तथास्तु' कह दिया।

time-read
5 mins  |
June 2023
आयुर्वेद के अनुसार आरोग्य हेतु अनुकूल रत्न का चयन
Jyotish Sagar

आयुर्वेद के अनुसार आरोग्य हेतु अनुकूल रत्न का चयन

भारतीय ज्योतिष में रत्नों का विशेष महत्त्व है। कुल 84 रत्न और उपरत्न हमें पृथ्वी और समुद्र के गर्भ से प्राप्त होते हैं, जिनका मानव जीवन पर गहरा प्रभाव है।

time-read
3 mins  |
May 2023
देवताओं का मिलन-पर्व है कुल्लू दशहरा
Jyotish Sagar

देवताओं का मिलन-पर्व है कुल्लू दशहरा

कुल्लू दशहरा में रामलीला का मंचन नहीं होता वरन् पालकियों में सजे-धजे देवी-देवता पधारते हैं, जो भगवान् श्री रघुनाथ जी की रथयात्रा में शामिल होते हैं।

time-read
3 mins  |
May 2023
अखण्ड सुहाग की कामना का पर्व - वटसावित्री अमावस्या
Jyotish Sagar

अखण्ड सुहाग की कामना का पर्व - वटसावित्री अमावस्या

वटसावित्री का पर्व विवाहिताओं के लिए अखण्ड सुहाग की कामना का द्योतक है। सीता और सावित्री की संस्कृति वाले देश में वट अमावस्या स्त्रियों के अदम्य साहस को भी दर्शाती है।

time-read
3 mins  |
May 2023
नमामि पुण्य-निर्झरिणी
Jyotish Sagar

नमामि पुण्य-निर्झरिणी

गुप्तकालीन स्थापत्य कला में गंगा-यमुना अपने कर (हाथ) में पूर्ण कुम्भ के स्थान पर चँवर के साथ प्रदर्शित हैं। इन नदी मूर्तियों के चामरधारी मानवीय स्वरूप की कल्पना कुमारसम्भव में भी प्राप्य है।

time-read
3 mins  |
May 2023
न्याय के पोषक हैं शनिदेव
Jyotish Sagar

न्याय के पोषक हैं शनिदेव

शनि, न्याय के देव हैं, लेकिन उनके बारे में कई तरह की शंकाएँ मन में रहती हैं। उन्हें 'क्रूर' तक कहा जाता है।

time-read
3 mins  |
May 2023
सारनाथ दिखाता है महात्मा बुद्ध का सामाजिक पहलू
Jyotish Sagar

सारनाथ दिखाता है महात्मा बुद्ध का सामाजिक पहलू

जीवन में दो अतियाँ हैं: एक इन्द्रिय सुख और विलासिता की अति और दूसरी जीवन से विरक्ति एवं आत्मदमन की अति। तुम्हें इन दोनों ही अतियों से बचकर मध्यम मार्ग का चुनाव करना है।

time-read
2 mins  |
May 2023
मेरी लाठी मेरे सिर पर ही बरसी
Jyotish Sagar

मेरी लाठी मेरे सिर पर ही बरसी

सफल होने पर मनुष्य की मेहनत जिम्मेदार होती है और असफल होने पर वह भाग्य को जिम्मेदार मानता है जबकि भाग्य कर्म का ही परिणाम है।

time-read
2 mins  |
May 2023
सोलह संस्कारों की वैज्ञानिकता और माहात्म्य
Jyotish Sagar

सोलह संस्कारों की वैज्ञानिकता और माहात्म्य

सनातन हिन्दू धर्म एक शाश्वत और प्राचीन धर्म है। यह एक वैज्ञानिक और विज्ञान आधारित धर्म होने के कारण निरन्तर विकास कर रहा है।

time-read
5 mins  |
May 2023
जानें शनि-मंगल-केतु कैसे निर्मित करते हैं तकनीकी गुरु योग!
Jyotish Sagar

जानें शनि-मंगल-केतु कैसे निर्मित करते हैं तकनीकी गुरु योग!

जब मंगल, शनि एवं केतु का सम्बन्ध आपस में बन रहा हो, दृष्टि से देख रहे हों अथवा मंगल शनि की राशि में हो और शनि मंगल की राशि को देख रहे हों और केतु शनि पर अथवा मंगल पर अपनी दृष्टि डाल रहा हो, तब यह योग निर्मित होता है।

time-read
3 mins  |
May 2023
एक रहस्यमयी दशा: शुक्र में शनि की दशा और शनि में शुक्र की दशा!
Jyotish Sagar

एक रहस्यमयी दशा: शुक्र में शनि की दशा और शनि में शुक्र की दशा!

चन्द्रमा की लग्न कर्क में तथा सूर्य की लग्न सिंह में शुक्र और शनि केन्द्रेश होते हैं तथा अपनी दशा-अन्तर्दशा में विशेष उन्नतिकारक नहीं होते। सामान्यतः इनका विपरीत फल प्राप्त होता है।

time-read
2 mins  |
May 2023
श्रीगुरुगीता (भाग-18)
Jyotish Sagar

श्रीगुरुगीता (भाग-18)

सद्गुरु के निवास से न केवल वह आश्रम या पीठ ही शुद्ध या पवित्र होती है, वरन् वह सम्पूर्ण प्रदेश भी पवित्र और ऊर्जावान् बन जाता है।

time-read
4 mins  |
April-2023
और उस योगी ने मृत चिड़िया को जीवित कर दिया....
Jyotish Sagar

और उस योगी ने मृत चिड़िया को जीवित कर दिया....

मन और मस्तिष्क की शक्ति अपरम्पार है। मन की गति अति तीव्र होती है; प्रकाश की गति से भी तीव्र।

time-read
4 mins  |
April-2023
अन्य ग्रहों पर जीवन की सम्भावना!
Jyotish Sagar

अन्य ग्रहों पर जीवन की सम्भावना!

आकाशगंगा

time-read
5 mins  |
April-2023
शुक्र और शनि के फल
Jyotish Sagar

शुक्र और शनि के फल

कैसे करें सटीक फलादेश (भाग-189) कुम्भ लग्न के अष्टम भाव में स्थित

time-read
9 mins  |
April-2023
शंकर के अंशावतार आदि गुरु शंकराचार्य
Jyotish Sagar

शंकर के अंशावतार आदि गुरु शंकराचार्य

आद्यगुरु श्री शंकराचार्य जयन्ती (25 अप्रैल, 2023) पर विशेष

time-read
6 mins  |
April-2023
पुण्यपर्व अक्षया तृतीया शास्त्रीय और लौकिक महत्त्व
Jyotish Sagar

पुण्यपर्व अक्षया तृतीया शास्त्रीय और लौकिक महत्त्व

हमारे देश के पर्वों और उत्सवों में से कुछ तो ऋतु पर्व हैं, जिनमें नई फसल पकने का आमोदप्रमोद और ऋतु परिवर्तन का उल्लास रचा-बसा होता है।

time-read
7 mins  |
April-2023
भगवान् विष्णु के आवेशावतार भगवान् परशुराम
Jyotish Sagar

भगवान् विष्णु के आवेशावतार भगवान् परशुराम

सप्तम भाव में सूर्य भी उच्च राशिगत होकर स्थित है। इस प्रकार चारों ही केन्द्र भाव में उच्चस्थ ग्रह हैं। इस ग्रह स्थिति के फलस्वरूप परशुराम जी की जन्मपत्रिका में कमल नामक श्रेष्ठ योग निर्मित हो रहा है। इन ग्रहों की श्रेष्ठ परिस्थिति के कारण ही परशुराम जी इतने पराक्रमी एवं बलशाली हुए। इन्हीं ग्रह स्थितियों के फलस्वरूप उन्होंने 21 बार पृथ्वी को क्षत्रिय विहीन कर दिया था।

time-read
3 mins  |
April-2023
छत्रपति शिवाजी सूर्य, शनि और गुरु ने बनाया मराठा सरताज
Jyotish Sagar

छत्रपति शिवाजी सूर्य, शनि और गुरु ने बनाया मराठा सरताज

लग्नेश की लग्न पर दृष्टि तथा गुरु की भी लग्न पर दृष्टि होने से शिवाजी इतने बलिष्ठ तथा पराक्रमी देह वाले और प्रसिद्ध थे। षष्ठेश एवं सप्तमेश शनि के तृतीय भाव में उच्च का होने के कारण शिवाजी ने सभी शत्रुओं का दमन किया। तृतीयेश शुक्र की अपने भाव पर दृष्टि से वे महान् पराक्रमी हुए।

time-read
4 mins  |
April-2023
कुण्डली का प्रत्येक भाव कुछ बोलता है
Jyotish Sagar

कुण्डली का प्रत्येक भाव कुछ बोलता है

यह स्थान व्यापार और कर्म से जो लाभ होता है, उससे सम्बन्धित है। ठेकेदारी, बड़ा भाई, आभूषण, दामाद, बहू, लाभ, चोट, पिण्डली आदि का विचार किया जाता है।

time-read
3 mins  |
April-2023
गुरु-चाण्डाल योग की व्याख्या
Jyotish Sagar

गुरु-चाण्डाल योग की व्याख्या

गुरु-चाण्डाल योग में विच्छेदात्मक पापग्रह राहु गुरु के नैसर्गिक कारकत्व और शुभ फलों को नष्ट-भ्रष्ट कर देता है।

time-read
5 mins  |
April-2023
कुण्डली में गुरु-केतु के सम्बन्ध से होता है सर्वाधिक विकास
Jyotish Sagar

कुण्डली में गुरु-केतु के सम्बन्ध से होता है सर्वाधिक विकास

नवग्रहों के परिवार में केतु नौवाँ ग्रह है। यह यद्यपि राहु की तरह छाया ग्रह है, लेकिन इसके स्वतंत्र परिणाम भी अनुभव में आते हैं।

time-read
5 mins  |
April-2023
कब और कितना प्रभावी है गुरुचाण्डाल योग?
Jyotish Sagar

कब और कितना प्रभावी है गुरुचाण्डाल योग?

जीवे सकेतौ यदि वा सराहौ चाण्डालता पापनिरीक्षिते चेत् ।

time-read
7 mins  |
April-2023
होलिका दहन शास्त्रीय विधान
Jyotish Sagar

होलिका दहन शास्त्रीय विधान

ज्योतिष की दृष्टि से होलिका दहन शासक और शासित दोनों को प्रभावित करता है। प्रतिपदा, चतुर्दशी में दिन के समय और भद्रा के समय होलिका दहन करना अनिष्टकारक है। यह सम्पूर्ण राष्ट्र को हानिकारक है।

time-read
2 mins  |
March 2023
आरोग्य की देवी शीतला माता
Jyotish Sagar

आरोग्य की देवी शीतला माता

सुरभि महीने में अष्टमी व्रत और पराशक्ति शीतला माता की पूजा-आराधना अत्यधिक महत्त्वपूर्ण है। सुरभि महीने में चैत्र तथा वैशाख दोनों महीने आते हैं। ये दोनों महीने बसन्त ऋतु में समाविष्ट हैं।

time-read
2 mins  |
March 2023
ऊजाप्रदायक दुर्गापूजा!
Jyotish Sagar

ऊजाप्रदायक दुर्गापूजा!

इसके विधिविधान से अनुष्ठान करने से लौकिक एवं पारलौकिक सिद्धियाँ मिलती हैं। इसके स्वाध्याय से मनमस्तिष्क ऊर्जावान् होते हैं। इसके बीजमन्त्रों में 'ऐं, क्लीं, हीं, श्रीँ अक्षर आवश्यक हैं। प्रकृति की त्रिगुणात्मक शक्ति (सत, रज और तम) 'दुर्गा' में समाहित हैं। दुर्गा की आराधना से मूलाधार चक्र को शक्ति प्राप्त होती है।

time-read
3 mins  |
March 2023