CATEGORIES
Categories
वास्तु से पाएँ आरोग्यता!
घर का वास्तुसम्मत होना आपके जीवन को सौहार्दपूर्ण, हर्षित, स्वस्थ और समृद्ध रखेगा। ऐसे में अनुभव में पाया गया है कि जिस घर में वास्तुदोष होता है, उस घर में रहने वाले व्यक्तियों का स्वास्थ्य शीघ्र खराब होता है।
पुष्कर तीर्थ में किया था सीताजी ने श्राद्ध!
श्राद्ध के दौरान सूक्ष्म रूप में पितर आते हैं। इसलिए हमें श्रद्धा और भक्ति के साथ पितर पक्ष में उनका तर्पण एवं श्राद्ध अवश्य करना चाहिए।
डाक टिकट की दुनिया में रामायण का अंकन
डाक टिकट चिपकने वाले कागज से निर्मित एक साक्ष्य जो यह दर्शाता है कि डाक सेवाओं का शुल्क का भुगतान हो गया है। डाक टिकट, डाक भुगतान करने का सबसे लोकप्रिय तरीका है। डाक टिकट के संग्रह को 'फिलैटली' कहा जाता है। डाक टिकट के इतिहास का अध्ययन करें, तो ज्ञात होता है कि एक अध्यापक सर रोलैण्ड हिल को डाक टिकट का जनक कहा जाता है।
व्याघ्रपादपुर (बघेरा-केकड़ी) का रावणानुग्रह शिलाफलक
भगवान् शिव के वामांग में देवी पार्वती का और स्तम्भ रथिका में शिवगणों का सुन्दर अंकन उत्कीर्ण है। इस स्वरूप का सुन्दर शिला चित्रण बघेरा के तोरण स्तम्भ पर शिल्पित है।
सत्य एवं अहिंसा के अग्रदूत महात्मा गाँधी
2 अक्टूबर, 1869 ई. को अवतरित हुए महान् स्वतंत्रता सेनानी, अहिंसा तथा सत्याग्रह के पुजारी राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी का स्वतंत्रता संग्राम में अतुलनीय योगदान था। बापू के इस योगदान के लिए समस्त देश गर्वानुभव करता है और उन्हें बिना याद किए नहीं रह सकता है।
पूर्वजन्म और केतु!
वैदिक ज्योतिष ज्ञान का अपार भण्डार है। इसमें अतीत को पहचानने और भविष्य को जानने की अपार संभावनाएँ निहित हैं।
प्रकृति का अनुपम उपहार है 'तुलसी'
तुलसी की पत्तियाँ, फूल, फल, जड़, शाखाएँ, तना आदि सभी कुछ पवित्र होता है। तुलसी के पौधे के नीचे की भूमि भी पवित्र मानी जाती है।
समय का फेर जब मारे पलटी, कर दे सब ढेर!
जब जीवनचक्र में शुभ समय चल रहा होता है, तो वह शुभ समय जातक को स्वतः ही शुभ कर्म भी कराता रहता है। वहीं जब समय अशुभ चलता है, तो वह पापकर्म कराता है।
ये तेरा घर, ये मेरा घर!
'एक अपना घर हो', ऐसा सपना प्रत्येक व्यक्ति देखता है। अपने भविष्य को सुरक्षित रखने, सफल जीवन और पारिवारिक जिम्मेदारियों को पूरा करने में अपने घर की भूमिका सदैव से अहम रही है।
घर में कोई भी समस्या हो, तो करें ये अचूक उपाय!
हमारी किस्मत पर केवल ग्रह ही असर नहीं डालते, कभी कभी हमारे घर में छोटी-छोटी समस्याओं से भी हमारे जीवन में बड़ी-बड़ी मुश्किलें पैदा हो जाती हैं। आज बात करेंगे कि आपके जीवन में कौनसी चीजें हैं, जिनको आप नजरंदाज कर रहे हैं और जिस वजह से आपकी जिन्दगी में मुश्किलें बढ़ रही हैं और अगर घर में छोटी-छोटी समस्याएँ हैं, तो उनका समाधान क्या है?
विशेष सिद्धिदायक हैं शक्तिपीठ
हृदय से ऊर्ध्व भाग के अंग जहाँ गिरे, वहाँ वैदिक और दक्षिण मार्ग की सिद्धि होती है और हृदय से निम्न भाग के अंग जहाँ गिरे, वहाँ वाममार्ग की सिद्धि होती है।
चन्द्रयान-3 का खुलासा - चन्द्रमा पर रह सकेगा इंसान! चाँद पर भी बन सकती है 'बस्ती!'
चाँद की सतह ऊष्मा को रोकने वाली है और यहाँ कि मिट्टी के अन्दर ऑक्सीजन मौजूद है।
पितरों का सम्मान करना हमारा नैतिक कर्त्तव्य
हमें भारतीय संस्कृति पर पूर्ण विश्वास करते हुए अपना नैतिक कर्त्तव्य समझकर अपने पूर्वजों के प्रति कर्त्तव्यपालन करना चाहिए, क्योंकि पितरों का सम्मान करना हमारा नैतिक कर्त्तव्य है।
जीवन प्रबन्धन के देवता श्रीगणेश!
भारत में आदिकाल से ही गणेश पूजा की परम्परा चली आ रही है। कोई भी शुभ कार्य श्रीगणेश पूजन से ही आरम्भ होता है। चाहे वह विवाह हो अथवा भवन निर्माण आदि।
श्रीगणेशपञ्चरत्नम्
आद्य शंकराचार्य ने भगवान् गणेश की स्तुति हेतु 'श्रीगणेशपञ्चरत्नम्’ नामक सुन्दर स्तोत्र की रचना की। इस स्तोत्र में छह पद हैं। अन्तिम पद में फलश्रुति का वर्णन करते हुए कहा गया है कि प्रतिदिन इस स्तोत्र का प्रात:काल पाठ करने पर आरोग्य, निर्दोषत्व, सत्साहित्य में उपलब्धि, सुपुत्र लाभ, लम्बी आयु और आठों विभूतियाँ प्राप्त हो जाती हैं। इसी कारण इस स्तोत्र का पाठ विद्यार्थियों, कलाविदों, साहित्यकारों, विद्वानों, शिक्षकों, लेखकों आदि को करने की सलाह दी जाती है।
शुक्र एवं शनि का फल
कैसे करें सटीक फलादेश (भाग-194) मीन लग्न के अष्टम भाव में स्थित
महान् दार्शनिक, शिक्षाविद् और कुशल प्रशासक डॉ. राधाकृष्णन
डॉ. राधाकृष्णन प्रेरक, मनस्वी और उदात्त शिक्षक के रूप में सदैव व्यक्ति, समाज, राष्ट्र की चेतना को 'सत्यम्, शिवम्, सुन्दरम्' सिद्धि के लिए स्पन्दित करते रहे। वास्तव में आज मानव को उन जैसे ही स्वभाव की आवश्यकता है।
वृक्षों पर होता है अलौकिक शक्तियों का निवास
एक धार्मिक विधि सम्पन्न हो रही थी। वृद्धा ने आशीर्वाद दिया 'घर में लक्ष्मी का निवास हो, वंश को केले के पेड़ के अनुसार फूल दो, दूर्वांकर के समान वंश विस्तार हो, वट-वृक्ष एवं पीपल के समान तपस्वी बनकर सबको छाया का सुख दो।'
मूलसंज्ञक नक्षत्र में जन्म कहीं अशुभ कर्मों का फल तो नहीं
कोई वृन्दावन में प्रथम बार आते ही भक्ति पा जाता है और कोई 15 वर्षों से वहाँ रह रहा है, तब भी उसे भक्ति नहीं मिल पाती है, क्योंकि सबके कर्म अलग-अलग हैं और फल भी अलग-अलग प्रकार से प्राप्त होते हैं।
स्टूडियो के वास्तुदोष भी हैं नितिन देसाई की सुसाइड कारण!
वास्तुदोषों के कारण ही एन. डी. स्टूडियो जब से बना, तभी से ही नुकसान में चल रहा था। ज्यों-ज्यों स्टूडियो में नये-नये फ्लोर बनते गये, त्यों-त्यों नुकसान घटने की जगह बढ़ता ही गया।
प्रतीकों से जानिए कृष्ण स्वरूप
बाँसुरी अथवा मुरली के बिना कृष्ण की कल्पना नहीं की जा सकती। इसी तरह कृष्ण का मोर मुकुट, गायें, माखन के प्रति उनका लगाव, नृत्य और रास उनके व्यक्तित्व से जुड़े हैं।
जब राधा जी ने दी श्रीकृष्ण को चुनौती!
जब भक्त को अपने भगवान् के सिवाय और कुछ नहीं दिखाई देता, जब उसे अपने भगवान् से इतना प्रेम हो जाता है कि उसे अपना भी भान नहीं रहता कि वह कौन है? तब वह अपने असली स्वरूप को ही भूल जाता है। ऐसा ही एक बार राधा जी के साथ भी हुआ।
मणिपुर में हो रही हिंसा में वास्तुदोषों की भूमिका!
आग्नेय कोण में नीचाई हो, तो शत्रुओं से कष्ट होता है और विवाद होते हैं। मणिपुर एक अण्डाकार घाटी में स्थित है, इस भौगोलिक स्थिति के कारण मणिपुर में गरीबी है और यहाँ के लोगों को विभिन्न प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
जानें कुण्डली में छिपा कर्म रहस्य!
गलत कर्मों को करने से मनुष्य को डरना चाहिए, क्योंकि यदि नहीं डरें और गलत कर्म किए, तो यही कर्मा जब मनुष्य को पीड़ित करेगा, तो वह बड़ी भय वाली स्थिति होगी और फिर कर्ज का वह भोग लाचारी के साथ करना ही होगा।
दिव्य ज्योति है राधा!
भक्ति, प्रेम और रस की त्रिवेणी जब हृदय में बहने लगती है तो मन 'तीर्थ' बन जाता है। मन में जगे इस महाभाव को ही 'राधाभाव' कहते हैं। श्रीकृष्ण जिनके लिए परम आराध्य हैं। जो भक्त उन्हें अपना सर्वस्व मानते हैं उनके लिए श्रीकृष्ण ही आनंद का मूर्तिमान स्वरूप है और उनके प्रति प्रेम की सर्वोच्च अवस्था ही 'राधाभाव' है।
चाँद पर भारत के कदम ...'मैं अपनी मंजिल पर पहुँच गया और आप भी...'
यह संदेश चाँद से आया है और भेजने वाला है भारत के चन्द्रयान-3 मिशन का ‘विक्रम लैंडर'। 23 अगस्त, 2023 को चन्द्रमा की सतह पर पहुँचने के बाद उसने यह संदेश भेजा और उसके साथ ही चाँद की सतह की एक तस्वीर भी भेजी।
यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत ...
वसुदेव 'विशुद्ध चित्त' और देवकी 'निष्काम बुद्धि' थीं। ये दोनों मिलते हैं, तभी तो भगवान् का जन्म होता है।
चारधाम यात्रा की अधूरी है बिना नैमिषारण्य धाम
सनातन धर्म में प्रत्येक मनुष्य की इच्छा होती है कि वह एक बार चार धाम की यात्रा करे। यही कारण है कि प्रत्येक वर्ष बड़ी संख्या में लोग चार धाम की यात्रा पर निकलते हैं। चार धाम यात्रा करने पर पुण्य की प्राप्ति होती है। हालाँकि उत्तरप्रदेश में। एक ऐसा पवित्र तीर्थस्थल है, जहाँ दर्शन नहीं करने पर चारधाम की यात्रा अधूरी मानी जाती है।
विश्व हॉकी में भारतीय पताका फहराने वाले हॉकी के जादूगर मेजर ध्यान चन्द
1928 से 1936 तक तीन बार ओलम्पिक हॉकी प्रतियोगिता में भारत को सोने का तमगा दिलाने के बाद तो ध्यानचन्द की पूरे विश्व में जैसे धूम ही मच गई थी। खचाखच भरे स्टेडियम में लोग सिर्फ ध्यानचन्द को देखने आते थे।
आस्था और विश्वास की यात्रा अमरनाथ यात्रा
बाहर की ओर जल की मोटी धारा में से थोड़ा-थोड़ा जल प्रसाद के रूप में एक व्यक्ति सबको देता है। यहीं पर यात्रा की समाप्ति के पश्चात् यात्री वापस लौटना आरम्भ कर देते हैं।