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बजरंगबली के चित्रों की घर में स्थापना द्वारा मनोरथों की सिद्धि
भक्ति में यदि किसी देवता का नाम लिया जा सकता है, तो वे हैं श्री बजरंगबली हनूमान जी। इनकी राम भक्ति का अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि जब इन्होंने अपनी छाती को फाड़ा, तो उसमें भी भगवान् श्रीराम विराजमान थे।

वाँगड़ की अयोध्या भीलूड़ा ग्राम
वाँगड़ की अयोध्यापुरी नाम से विख्यात भीलूड़ा धाम जो वर्तमान में डूंगरपुर जिले के भीलूड़ा ग्राम में विख्यात है। वाँगड़ बाँसवाड़ा डूंगरपुर जिले के रामोपासकों की आस्था का केन्द्र प्राचीनकाल से रहा है। संवत् 1619 करीब 450 वर्ष प्राचीन यह मन्दिर भीलूड़ा सरकार के नाम से विख्यात है। इस प्राचीन मूर्ति में साक्षात् रामजी विराजमान हैं। ऐसी अनुभूति यहाँ दर्शन से होती है।

पंचमुखी हनूमान् मूर्ति रहस्य
रावण हमारे जीवन का अहंकार है। अहिरावण अहंकार का भाई मोह है। मोह राम-लक्ष्मण अर्थात् ज्ञान-वैराग्य को मोहित कर पाताललोक (अधोगति) में बन्दी बना लेता है। ज्ञान और वैराग्य मोह द्वारा मोहित हो जाते हैं। मोह का मुकाबला सिर्फ साधक का प्रबल वैराग्य ही कर सकता है।

संसार में सिर्फ 'महावीर' ने आत्मा को 'समय' कहा
समय ही मनुष्यों के भीतर आत्मा के शिखरतम विकास की खबर दे रहा है। दरअसल समय के फलक पर इतनी गहरी दृष्टि के कारण ही महावीर सत्य के सम्पूर्ण स्वरूप को आकलित कर पाए।

पुत्र की मनोरथ का पर्व है सूर्य षष्ठी
भारतीय उत्सवों तथा पर्वों के पीछे कोई न कोई पौराणिक कहानियाँ प्रचलित हैं। भारतीय धर्मशास्त्रों में जो कहानियाँ प्रचलित हैं, विश्व के किसी भी शास्त्र में कदाचित् ही मिले।

दीपावली पर करें सुख-समृद्धि प्रदायक अचूक मन्त्र
जिस घर में दीपावली की रात्रि में लक्ष्मी सहस्रनाम एवं श्रीसूक्त का पाठ होता है, उस घर में माँ लक्ष्मी का अवश्य ही आगमन होता है। दीपावली की रात्रि में कनकधारा स्तोत्र का पाठ भी अवश्य करना चाहिए।

विश्वव्यापी दीपोत्सव!
दीपोत्सव किसी न किसी रूप में सारे विश्व में अलग-अलग नाम और रूपों में मनाया जाता रहा है। यूनान के प्रसिद्ध कवि होमर ने अपने महाकाव्यों 'ओडेसी' एवं 'इलियट' में स्थान-स्थान पर दीपोत्सव का वर्णन किया है। ईसा से पाँचवीं शताब्दी पूर्व मिस्र (इजिप्ट) एवं यूनान के मन्दिरों में मिट्टी एवं धातु के दीपकों को प्रज्वलित किया जाता था।

अष्टस्वरूपा लक्ष्मी एक ज्योतिषीय विवेचना
गृहस्थ और सामाजिक जीवन में माँ लक्ष्मी की कृपा की आवश्यकता का महत्त्व सर्वविदित है। माँ के आशीर्वाद के बगैर सौभाग्य और सफलता की कल्पना करना भी व्यर्थ है।

व्यवसाय में अक्षय उन्नति हेतु दिवाली पर करें शाबर मन्त्र का प्रयोग
एक ऐसी साधना, एक ऐसे शाबर मन्त्र का प्रयोग एवं विधि बताई गई है, जिसका प्रयोग करने से जातक अपने व्यवसाय, अन्नक्षेत्र को अक्षय बना सकता है अर्थात् उसका व्यवसाय निरन्तर उन्नति करता हुआ नवीन ऊँचाइयों को छूता है।

भावप्रकाश में देव धन्वन्तरि
देव-धन्वन्तरि को आरोग्य का देवता कहा गया है। कार्तिक त्रयोदशी (धनतेरस) को देव धन्वन्तरि के पूजन का विधान मिलता है।

पंचदिवसीय महोत्सव दीपावली
भारतीयों के लिए वार्षिक पर्व एवं महोत्सव के रूप में प्रतिष्ठित 'दीपावली' की प्रतिष्ठा दिनों-दिन बढ़ती जा रही है। सनातन धर्म अथवा यूँ कहें कि भारतीय संस्कृति एवं सभ्यता का यह दीपावली महापर्व सम्भवतः एकमात्र ऐसा पर्व है, जिसने पाश्चात्य अंधानुकरण के इस युग में भी कुछ परिवर्तनों के साथ अपना अस्तित्व न केवल बचाए रखा है, वरन् इस भौतिकवादी युग में अपनी उपादेयता दिन-प्रतिदिन बढ़ाई है।

वास्तु से पाएँ आरोग्यता!
घर का वास्तुसम्मत होना आपके जीवन को सौहार्दपूर्ण, हर्षित, स्वस्थ और समृद्ध रखेगा। ऐसे में अनुभव में पाया गया है कि जिस घर में वास्तुदोष होता है, उस घर में रहने वाले व्यक्तियों का स्वास्थ्य शीघ्र खराब होता है।

पुष्कर तीर्थ में किया था सीताजी ने श्राद्ध!
श्राद्ध के दौरान सूक्ष्म रूप में पितर आते हैं। इसलिए हमें श्रद्धा और भक्ति के साथ पितर पक्ष में उनका तर्पण एवं श्राद्ध अवश्य करना चाहिए।

डाक टिकट की दुनिया में रामायण का अंकन
डाक टिकट चिपकने वाले कागज से निर्मित एक साक्ष्य जो यह दर्शाता है कि डाक सेवाओं का शुल्क का भुगतान हो गया है। डाक टिकट, डाक भुगतान करने का सबसे लोकप्रिय तरीका है। डाक टिकट के संग्रह को 'फिलैटली' कहा जाता है। डाक टिकट के इतिहास का अध्ययन करें, तो ज्ञात होता है कि एक अध्यापक सर रोलैण्ड हिल को डाक टिकट का जनक कहा जाता है।

व्याघ्रपादपुर (बघेरा-केकड़ी) का रावणानुग्रह शिलाफलक
भगवान् शिव के वामांग में देवी पार्वती का और स्तम्भ रथिका में शिवगणों का सुन्दर अंकन उत्कीर्ण है। इस स्वरूप का सुन्दर शिला चित्रण बघेरा के तोरण स्तम्भ पर शिल्पित है।

सत्य एवं अहिंसा के अग्रदूत महात्मा गाँधी
2 अक्टूबर, 1869 ई. को अवतरित हुए महान् स्वतंत्रता सेनानी, अहिंसा तथा सत्याग्रह के पुजारी राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी का स्वतंत्रता संग्राम में अतुलनीय योगदान था। बापू के इस योगदान के लिए समस्त देश गर्वानुभव करता है और उन्हें बिना याद किए नहीं रह सकता है।

पूर्वजन्म और केतु!
वैदिक ज्योतिष ज्ञान का अपार भण्डार है। इसमें अतीत को पहचानने और भविष्य को जानने की अपार संभावनाएँ निहित हैं।

प्रकृति का अनुपम उपहार है 'तुलसी'
तुलसी की पत्तियाँ, फूल, फल, जड़, शाखाएँ, तना आदि सभी कुछ पवित्र होता है। तुलसी के पौधे के नीचे की भूमि भी पवित्र मानी जाती है।

समय का फेर जब मारे पलटी, कर दे सब ढेर!
जब जीवनचक्र में शुभ समय चल रहा होता है, तो वह शुभ समय जातक को स्वतः ही शुभ कर्म भी कराता रहता है। वहीं जब समय अशुभ चलता है, तो वह पापकर्म कराता है।

ये तेरा घर, ये मेरा घर!
'एक अपना घर हो', ऐसा सपना प्रत्येक व्यक्ति देखता है। अपने भविष्य को सुरक्षित रखने, सफल जीवन और पारिवारिक जिम्मेदारियों को पूरा करने में अपने घर की भूमिका सदैव से अहम रही है।

घर में कोई भी समस्या हो, तो करें ये अचूक उपाय!
हमारी किस्मत पर केवल ग्रह ही असर नहीं डालते, कभी कभी हमारे घर में छोटी-छोटी समस्याओं से भी हमारे जीवन में बड़ी-बड़ी मुश्किलें पैदा हो जाती हैं। आज बात करेंगे कि आपके जीवन में कौनसी चीजें हैं, जिनको आप नजरंदाज कर रहे हैं और जिस वजह से आपकी जिन्दगी में मुश्किलें बढ़ रही हैं और अगर घर में छोटी-छोटी समस्याएँ हैं, तो उनका समाधान क्या है?

विशेष सिद्धिदायक हैं शक्तिपीठ
हृदय से ऊर्ध्व भाग के अंग जहाँ गिरे, वहाँ वैदिक और दक्षिण मार्ग की सिद्धि होती है और हृदय से निम्न भाग के अंग जहाँ गिरे, वहाँ वाममार्ग की सिद्धि होती है।

चन्द्रयान-3 का खुलासा - चन्द्रमा पर रह सकेगा इंसान! चाँद पर भी बन सकती है 'बस्ती!'
चाँद की सतह ऊष्मा को रोकने वाली है और यहाँ कि मिट्टी के अन्दर ऑक्सीजन मौजूद है।

पितरों का सम्मान करना हमारा नैतिक कर्त्तव्य
हमें भारतीय संस्कृति पर पूर्ण विश्वास करते हुए अपना नैतिक कर्त्तव्य समझकर अपने पूर्वजों के प्रति कर्त्तव्यपालन करना चाहिए, क्योंकि पितरों का सम्मान करना हमारा नैतिक कर्त्तव्य है।

जीवन प्रबन्धन के देवता श्रीगणेश!
भारत में आदिकाल से ही गणेश पूजा की परम्परा चली आ रही है। कोई भी शुभ कार्य श्रीगणेश पूजन से ही आरम्भ होता है। चाहे वह विवाह हो अथवा भवन निर्माण आदि।

श्रीगणेशपञ्चरत्नम्
आद्य शंकराचार्य ने भगवान् गणेश की स्तुति हेतु 'श्रीगणेशपञ्चरत्नम्’ नामक सुन्दर स्तोत्र की रचना की। इस स्तोत्र में छह पद हैं। अन्तिम पद में फलश्रुति का वर्णन करते हुए कहा गया है कि प्रतिदिन इस स्तोत्र का प्रात:काल पाठ करने पर आरोग्य, निर्दोषत्व, सत्साहित्य में उपलब्धि, सुपुत्र लाभ, लम्बी आयु और आठों विभूतियाँ प्राप्त हो जाती हैं। इसी कारण इस स्तोत्र का पाठ विद्यार्थियों, कलाविदों, साहित्यकारों, विद्वानों, शिक्षकों, लेखकों आदि को करने की सलाह दी जाती है।

शुक्र एवं शनि का फल
कैसे करें सटीक फलादेश (भाग-194) मीन लग्न के अष्टम भाव में स्थित

महान् दार्शनिक, शिक्षाविद् और कुशल प्रशासक डॉ. राधाकृष्णन
डॉ. राधाकृष्णन प्रेरक, मनस्वी और उदात्त शिक्षक के रूप में सदैव व्यक्ति, समाज, राष्ट्र की चेतना को 'सत्यम्, शिवम्, सुन्दरम्' सिद्धि के लिए स्पन्दित करते रहे। वास्तव में आज मानव को उन जैसे ही स्वभाव की आवश्यकता है।

वृक्षों पर होता है अलौकिक शक्तियों का निवास
एक धार्मिक विधि सम्पन्न हो रही थी। वृद्धा ने आशीर्वाद दिया 'घर में लक्ष्मी का निवास हो, वंश को केले के पेड़ के अनुसार फूल दो, दूर्वांकर के समान वंश विस्तार हो, वट-वृक्ष एवं पीपल के समान तपस्वी बनकर सबको छाया का सुख दो।'

मूलसंज्ञक नक्षत्र में जन्म कहीं अशुभ कर्मों का फल तो नहीं
कोई वृन्दावन में प्रथम बार आते ही भक्ति पा जाता है और कोई 15 वर्षों से वहाँ रह रहा है, तब भी उसे भक्ति नहीं मिल पाती है, क्योंकि सबके कर्म अलग-अलग हैं और फल भी अलग-अलग प्रकार से प्राप्त होते हैं।