करीब एक पखवाड़ा पहले पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड यानी बीपीसीएल के प्रस्तावित निजीकरण पर अब विचार नहीं किया जा रहा है। पुरी ने मुंबई में एनर्जी टेक्नॉलजी मीट से इतर कहा, 'हम विनिवेश करना चाहते हैं, लेकिन हम ऐसी स्थिति में नहीं रह सकते जहां केवल एक बोली लगाने वाला हो..., फिलहाल इस पर विचार नहीं किया जा रहा है।' जानकारी के मुताबिक इस रुख का समर्थन करते हुए निवेश एवं सार्वजनिक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग ने भी कहा है, 'वैश्विक ऊर्जा बाजार में मौजूदा हालात के चलते इसमें रुचि रखने वाले अधिकांश योग्य पक्षों ने बीपीसीएल की मौजूदा विनिवेश प्रक्रिया में भागीदारी में असमर्थता व्यक्त की है।'
इस निर्णय के बाद केंद्र सरकार के लिए 2022-23 का विनिवेश लक्ष्य हासिल करना जहां और मुश्किल हो गया है, वहीं बीपीसीएल में सरकार की 53 फीसदी हिस्सेदारी बेचने की प्रक्रिया को स्थगित करने की वजह केवल बाजार के हालात अथवा केवल एक ही बोली लगाने वाले का होना नहीं है। बीपीसीएल के निजीकरण की प्रक्रिया को कठिन बनाने वाली एक और वजह देश के तेल क्षेत्र में मौजूद नीतिगत माहौल भी है। निश्चित तौर पर बीपीसीएल के लिए बोली लगाने वालों की कतार तब तक नहीं लगेगी जब तक कि उन मूल्य नीतियों में सुधार नहीं किया जाता है जो पेट्रोलियम उत्पादों से जुड़ी कंपनियों को संचालित करती हैं।
याद रहे कि अतीत में कई सरकारों ने पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों को नियंत्रण मुक्त करने का प्रयास किया लेकिन वे प्रयास इस क्षेत्र पर कुछ खास प्रभाव छोड़ने में नाकाम रहे। यहां चिंतित करने वाला पहलू यह है कि उन कदमों से ऐसी धारणा बनी कि तेल कीमतें विनियमित हो गई हैं और अब तेल रिफाइनर उनकी कीमतें तय करने के लिए स्वतंत्र हैं। परंतु पिछले दो दशक पर करीबी निगाह डालें तो आपको पता चलेगा कि इस मोर्चे पर बहुत कम प्रगति हुई है। तेल कीमतें वैसी ही विनियमित हैं जैसे कि 1970 और 1980 के दशक में अन्य उत्पाद थे।
This story is from the September 29, 2022 edition of Business Standard - Hindi.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 8,500+ magazines and newspapers.
Already a subscriber ? Sign In
This story is from the September 29, 2022 edition of Business Standard - Hindi.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 8,500+ magazines and newspapers.
Already a subscriber? Sign In
घरेलू बचत के दम पर बढ़ सकता है पूंजीगत खर्च
वित्तीय बचतों में आवंटन बैंकों गैर बैंकों की ओर जा रहा है
मारन से 450 करोड़ रु. लेगी स्पाइसजेट
विमानन कंपनी स्पाइसजेट अपने पूर्व प्रवर्तक कलानिधि मारन से 450 करोड़ रुपये वापस मांगेगी। दिल्ली उच्च न्यायालय के पिछले सप्ताह लंबे शेयर हस्तांतरण विवाद में विमानन कंपनी के पक्ष में फैसला सुनाने के बाद कंपनी यह कदम उठाएगी।
इस बार 1996 के बाद सबसे ज्यादा प्रत्याशी मैदान में
वर्ष 1951-52 में सीटों की संख्या 489 थी
नड्डा और खरगे को नोटिस
चुनाव में सामाजिक-सांस्कृतिक परिवेश को नुकसान पहुंचाने की अनुमति नहीं
स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में विज्ञापन पैमानों की ज्यादा अनदेखी
2023-24 में भारत में विज्ञापन नियमों का उल्लंघन करने में सबसे आगे स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र
'दक्षिण पूर्व एशियाई देशों से हो रही आधी आर्थिक धोखाधड़ी'
गृह मंत्रालय का कहना है कि कंबोडिया, थाईलैंड, म्यांमार ऑनलाइन धोखाधड़ी के नए वैश्विक केंद्र बनकर उभरे
रिजर्व बैंक के भारी लाभांश से मिलेगी केंद्र को वित्तीय ताकत
क्वांटइको रिसर्च के मुताबिक उम्मीद से ज्यादा लाभांश मिलने से जीडीपी के अनुपात के हिसाब से 35 से 40 आधार अंक की मदद मिलेगी
कारोबारियों की नजर चुनावी सट्टे के संकेतों पर
भारत के शेयर बाजारों में कारोबारी आम चुनाव के नतीजों के लिए नागरिकों और बाजार की अनिश्चितता से निपटने के लिए अवैध चुनावी सट्टा प्लेटफार्मों का सहारा ले रहे हैं।
सेंसेक्स में विप्रो की जगह ले सकती है अदाणी एंटरप्राइजेज
बीएसई सूचकांकों का अर्धवार्षिक पुनर्संतुलन शुक्रवार को होगा
उच्च स्तर पर एमकैप-जीडीपी अनुपात
सभी सूचीबद्ध कंपनियों का बाजार पूंजीकरण मार्च 2023 से 61 प्रतिशत तक बढ़ा है