बहुत ही ज्यादा मुश्किल प्रसव था परंतु अणिमा का चेहरा विजयी मुसकान से दिपदिप कर रहा था. आखिर 'वाई' क्रोमोजोम ने विजय पाई थी. पिछले 2 बार से इसी एक क्रोमोजोम के अभाव में 'एक्स' क्रोमोजोम ही बेशर्मी से पदार्पण किए जा रही थी. सिर्फ अणिमा ही क्यों पूरा परिवार ही मानो राजसूय यज्ञ में सफल हो चक्रवर्ती सम्राट बन गया था.
उस की सास तो ऐसे खुश हो रही थी कि यह कुलतारण अवतरण न लेता, तो उन की महान वंशावली मटियामेट ही हो जाती, अणिमा का पति दौड़ कर लड्डू खरीद लाया था और थाली पीटने की आवाज के बैकग्राउंड में विजित भाव से पूरी दिलदारी से लड्डू वितरण कर मानो अपने 'वाई' क्रोमोजोम को प्रचारित करने में लगा था. इन सब के बीच 2 छोटीछोटी बच्चियां शायद पहली बार उस मिठाई का स्वाद चख रही थीं और पूरे मनोयोग से लड्डू भक्षण में तल्लीन थी. पड़ोस वाली 4 बेटियों की अम्मा, दुखी भाव से, दरवाजा बंद कर थाली के शोर को कोस रही थीं. इस बार पड़ोस में बजने वाले शोक गीत के श्रवणसुख से वंचित जो रह गई थीं वे.
किसी शहर से सौ किलोमीटर अंदर एक गांव में इस पुत्ररत्न ने जन्म ले कर उतनी ही खुशियां दी थीं जितनी कोई शहर की बेटी ने आईआईटी में सफल होने पर दिया होगा. सोच तो बदली है पर शायद बेहद कम, मुट्ठीभर लोगों की. आज भी 'बेटा' टर्म अपनेआप में 'बेटी' से उच्च होता है. जैसे, लोगबाग कहेंगे
"वाह विनोदजी, आप ने तो अपनी बेटियों की परवरिश बेटों से बढ़ कर की है.'
या
"मेरी बेटी किसी बेटे से कम है क्या?"
यानी, यहां बड़ाई बेटी की हो रही है पर यूनिट या पैमाना 'बेटा' ही है. यहां अंतर्मन में बेटे की चाहत बहुत गहरी पैठ की हुई है. पहले जहां हर कोई ऐसी ही सोच रखता था, अब बदलाव की लहर में कम से कम पढ़ेलिखे मध्यम वर्ग की सोच में कुछ बदलाव आया है. यह सुखद है.
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रोडरेज की समस्या
बढ़ते सड़क हादसों के साथ रोडरेज यानी रास्ते चलते झगड़ा, गालीगलौज और मारपीट करने की घटनाएं भी तेजी से बढ़ रही हैं. रोड पर लोग छोटीछोटी बातों पर भी हिंसक होने लगे हैं. आखिर ऐसा क्यों?
ममता से बंगाल छीनने की ललक
ममता बनर्जी के राजनीतिक सफर की कामयाबी पर उन के प्रतिद्वंदियों को रश्क होता है. आज ममता और बंगाल एकदूसरे के पर्याय हैं, जिस में सेंध लगाने की कोशिश हर राजनीतिक पार्टी कर रही है. फिर चाहे वह कांग्रेस हो, वाम पार्टियां या भाजपा हों.
लव जिहाद पौराणिकवाद थोपने की साजिश
पौराणिकवादी विचारधारा का पोषक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ हिंदू लड़कियों को आजाद नहीं छोड़ना चाहता. वह उन्हें अपनी पसंद का जीवन जीने या जीवनसाथी चुनने का अधिकार नहीं देना चाहता. मनुवादी व्यवस्था का समर्थक संघ पितृसत्ता को प्रभावशाली बनाना चाहता है ताकि ब्राह्मणों की दुकान चलती रहे. लव जिहाद का नाम ले कर बनाए गए धर्मांतरण कानून के जरिए हिंदू स्त्री को दहलीज के भीतर धकेले रखने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है, लेकिन यह 'सरकारी हिंदुत्व' लव जिहाद की आड़ में और भी बहुतकुछ करना चाहता है.
डाक्टरों के लिए मरीज का मनोविज्ञान जरूरी
मरीज शारीरिक रूप से ही नहीं, मानसिक रूप से भी बीमार होता है. डाक्टर और दवा के साथसाथ उसे मानसिक रूप से संतुष्ट कर दिया जाए तो उपचार के और बेहतर परिणाम सामने आएंगे.
नया साल कुछ नया करें
नया साल आता है और एक बार फिर मन करता है कुछ नया करने का. वैसे भी आने वाला साल पिछले सालों से कुछ अलग होगा. सुखदुख को अपने में समेटे आइए आगे बढ़ कर नए साल के लिए कुछ नया सोचें और नया करें.
नया साल नया फोन
नए साल की शुरुआत करें एक नए फोन के साथ. लेकिन अपने बजट का भी रखें पूरा ध्यान. यहां आप को स्मार्टफोन की दुनिया के सब से बेहतर फीचर्स के साथ बेहतरीन फोन की जानकारी प्राप्त होगी.
औनलाइन फास्टिंग
वर्क फ्रोम होम यानी तकरीबन पूरा काम औनलाइन. जो भी नैट के जरिए ड्यूटी कर रहे हैं उन की ड्यूटी का समय तय नहीं है. वे 24x7 ड्यूटी पर रहते हैं. ऐसे में वे तमाम प्रोब्लम्स के शिकार हो रहे हैं. सो, उन्हें चाहिए कि वे औनलाइन फास्टिंग करें.
किसान आंदोलन उलट आरोपों से बदनाम कर राज की तरकीब
सरकार ने अपने पुराने हथियार को निकाल कर किसान आंदोलन में माओवादियों, देशद्रोहियों के शामिल होने का हल्ला मचाना शुरू किया तो कितने ही हिंदी, अंगरेजी चैनलों व अखबारों ने इस हल्ले को सरकार की फेंकी हड्डी समझ कर लपकने में देर न लगाई रातदिन एक कर दिए.
हवेली चाहे जाए मुजरा होगा ही
निजीकरण के फायदे वही गिना रहे हैं जिन की जेब में मोटा पैसा है. इन में से 90 फीसदी वे ऊंची जातियों के अंधभक्त हैं जो सरकार के लच्छेदार जुमलों के झांसे में आ जाते हैं. इन में से कई लोग शौक तो सरकारी नौकरी का पालते हैं लेकिन सरकारी कंपनियां बिक जाएं, तो उन पर कोई फर्क नहीं पड़ता. ऐसे में युवाओं को सोचना है कि बिन सरकारी कंपनी के सरकारी नौकरी कैसे संभव है.
लक्ष्मी पूजन फिर भी जेब खाली की खाली
कोरोना के नाम पर पूरे देश में केंद्र सरकार द्वारा असफल तालाबंदी लागू की गई. परिणाम इतना भयावह है कि तालाबंदी थोपे जाने के 8 माह बाद भी देश किसी भी स्तर पर संभल नहीं पाया है. मजबूरीवश देशवासियों ने इस साल तमाम त्योहारों पर हाथ भींच लिए और अब दीवाली, शादियों की धूमधाम भी तालाबंदी की भेंट चढ़ रही है.
FAMILY PRIDE
Many Hands Helped Create this Daily Driver
DRIVER FREE BUT VIRUS FREE? ROBO CARS HIT NEW SPEED BUMP
The latest challenge for the autonomous vehicle industry: How to assure passengers that the car they are getting in is virus-free, even if it doesn’t have a driver.
The Power of Family
This year, we asked readers a question: "When you think of 'family', what's the image you see?" The winning submissions, and the stories behind them, were all universal and remarkably moving.
1010
Physics, Psychology and Desire
OLIVIA WANLESS
AUTODRIVE TEAM CAPTAIN
Up For a Challenge
University students compete with cutting-edge cars in the AutoDrive Challenge.
Childhood in an anxious age and the crisis of modern parenting
Imagine for a moment that the future is going to be even more stressful than the present. Maybe we don’t need to imagine this. You probably believe it. According to a survey from the Pew Research Center last year, 60 percent of American adults think that three decades from now, the U.S. will be less powerful than it is today. Almost two-thirds say it will be even more divided politically. Fifty-nine percent think the environment will be degraded. Nearly three-quarters say that the gap between the haves and have-nots will be wider. A plurality expect the average family’s standard of living to have declined. Most of us, presumably, have recently become acutely aware of the danger of global plagues.
THE ART OF RAY PROHASKA
Gratia “Ray” Prohaska was born in 1901 in Muo, a tiny fishing village on the Bay of Kotorska, in the town of Kotor, on the Dalmatian Coast in what would become Yugoslavia.
Best Friends in the end
You can be friends with your child…just not yet
Four fun things to experience with your kids this month
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