अशोक गुप्ता की दिल्ली से सटे साहिबाबाद इंडस्ट्रियल एरिया में छोटी सी औद्योगिक इकाई है। वे जेनरेटर और कई अन्य उपकरणों के पास बनाकर बड़ी कंपनियों को बेचते हैं। दो महीने पहले एक कंपनी ने उनसे पार्ट्स खरीदना बंद कर दिया। कारण बताया कि उनके तिमाही जीएसटी रिटर्न फाइल करने से इनपुट टैक्स क्रेडिट मिलने में देर होती है और पूंजी फंस जाती है। गुप्ता अकेले नहीं, उन जैसे अनेक छोटे कारोबारियों को इस दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है सरकार ने भले उन्हें तिमाही रिटर्न फाइल करने की सहूलियत दे रखी हो, लेकिन वास्तव में यह सहूलियत उनके कारोबार में रोड़ा बन रही है। बड़ी कंपनियां, जिन्हें वे माल सप्लाई करती हैं, या तो उन पर हर महीने रिटर्न फाइल करने का दबाव बना रही हैं या उनसे माल खरीदना बंद कर रही हैं।
नियम है कि जब तक सप्लायर (छोटी) कंपनी रिटर्न फाइल नहीं करेगी, तब तक उससे सामान खरीदने वाली कंपनी को इनपुट टैक्स क्रेडिट (आइटीसी) नहीं मिलेगा। जो छोटी कंपनियां बड़ी कंपनियों को नियमित रूप से सप्लाई करती हैं, उनका काम तो कमोबेश चल रहा है, लेकिन कम अवधि के लिए सप्लाई करने वाली छोटी कंपनियों को ज्यादा दिक्कतें आ रही हैं। खासकर उन्हें जो तिमाही जीएसटी रिटर्न फाइल करती हैं। यह समस्या काफी बड़ी है। इसकी वजह बताते हुए एसएमई चैंबर ऑफ इंडिया और महाराष्ट्र इंडस्ट्रियल एंड इकोनॉमिक डेवलपमेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष चंद्रकांत सालुंखे कहते हैं, "यह समस्या इसलिए बड़ी है क्योंकि छोटे सप्लायरों की संख्या काफी अधिक है और बड़ी कंपनियां हमेशा किसी एक सप्लायर से सामान नहीं खरीदतीं, वे सप्लायर बदलती रहती हैं।" सालुंखे के अनुसार जीएसटी को लेकर एसोसिएशन के पास सात-आठ हजार कंपनियों की तरफ से शिकायतें आई हैं। एमएसएमई मंत्रालय की 2019-20 की सालाना रिपोर्ट के अनुसार देश में 633.88 लाख एमएसएमई हैं। इनमें से 630.52 लाख लघु, 3.31 लाख छोटी और 5 हजार मझोली इकाइयां हैं।
सरकारी विभागों से पैसे भले छह महीने या सालभर बाद मिले, लेकिन कंपनियों को उस बिक्री पर जीएसटी समय पर जमा करना पड़ता है। इससे समस्या दोहरी होती है
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कोई भी संविधान नहीं बदल सकता
संसद की नई इमारत के प्रस्ताव से लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला खासे उत्साहित हैं। उन्हें पूरा भरोसा है कि 2022 में भारत की स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ पर संसद का सत्र नए भवन में आयोजित होगा। उनका कहना है कि किसी भी संसदीय लोकतंत्र में संविधान उसकी आत्मा होती है और कोई भी सरकार उसकी मूल भावना में बदलाव नहीं कर सकती। उन्होंने आउटलुक के एडिटर-इन-चीफ रूबेन बनर्जी और पॉलिटिकल एडिटर भावना विजअरोड़ा से खास बातचीत की है। उसके मुख्य अंश:
बिजनेस छिनने का डर
छोटी कंपनियों को तिमाही रिटर्न फाइल करने की सुविधा, लेकिन टैक्स क्रेडिट में देरी के कारण बड़ी कंपनियां उनसे सामान नहीं खरीद रहीं
एमएसपी तो बाजार के भी हित में
इसके कारण देश के कृषि बाजारों में कीमतों में उतार-चढ़ाव 20 से 25 फीसदी तक कम, नेताओं ने इसका इस्तेमाल वोट जुटाने में भी किया
"मैं हिंदी सिनेमा की बदलती रवायत की प्रोडक्ट"
भूमि पेडनेकर दुर्गामति: द मिथ में शीर्षक भूमिका निभा रही हैं। यह अनुष्का शेट्टी की तमिल-तेलुगु फिल्म भागमति का हिंदी में रीमेक है, जो इसी हफ्ते अमेजन प्राइम वीडियो पर रिलीज होगी। अपनी शुरुआती ही फिल्म दम लगा के हइशा में खूब तारीफ बटोर चुकी 31 साल की इस अभिनेत्री ने गिरिधर झा से अपने करिअर और बॉलीवुड में पांच साल बिताने के अनुभवों के बारे में बात की। पेश हैं अंश:
कितने तैयार हम
देश में जनवरी तक टीका लगना शुरू होने की उम्मीद, सीरम इंस्टीट्यूट-भारत बॉयोटेक ने आपात मंजूरी के लिए दी अर्जी, लेकिन असली सवाल कायम कि किसे, कब तक, और मुफ्त में या दाम देकर मिलेगी वैक्सीन
मजबूत किसान मोर्चेबंदी
नए केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की चौहद्दी और देश भर में मोर्चे पर डटे किसानों के पक्ष में बढ़ते जन समर्थन से क्या सरकार का कथित सुधार का एजेंडा दोराहे पर पहुंचा?
रजनी दांव से कौन होगा चित
रजनीकांत के आने से प्रदेश की दो प्रमुख पार्टियों द्रमुक और अन्नाद्रमुक की मुश्किलें बढ़ने के आसार
राज्य भी केंद्र को लोहे के चने चबवा सकते हैं
झारखंड के गठन के बीस साल हुए। इन वर्षों में झारखंड की दशा-दिशा क्या रही और चुनौतियां क्या हैं? इन सवालों के साथ एक साल पूरा कर रही झामुमो-कांग्रेस गठजोड़ सरकार के युवा मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन कोरोना के दौर में खाली खजाना और विपक्ष से भी मुकाबिल हैं। उन्होंने चुनौतियों और कामकाज पर आउटलुक के नवीन कुमार मिश्र से अपने अनुभव साझा किए। बातचीत के प्रमुख संपादित अंशः
सवाल कप्तानी का
फिलहाल तो विराट जमे हुए हैं मगर आने वाले कुछ महीनों में बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं
सार्वजनिक स्वास्थ्य में निवेश बढ़ाने की जरूरत
2021 में हमारा फोकस संक्रामक रोगों पर होना चाहिए, टीबी को खत्म करना सामाजिक आंदोलन बने
Scammed!
BEEP-BE-BE-BEEP!
बिना गिरवी के लोन स्कीम जारी, ब्याज भी पहले से कम
बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एमएसएमई को दी बड़ी राहत, भुगतान समस्या भी होगी दूर
GRIN IN GRIM TIMES
Robust credit growth of MSMEs at over 30% in April-November 2022
Big firms must step up, support MSMEs: Goyal
MAKING BIZ SIMPLER
ECLGS saved ₹2.2-trn loans from turning into NPAS: SBI report
THE EMERGENCY CREDIT Line Guarantee Scheme (ECLGS), launched in the wake of the pandemic in May 2020, has prevented loans of ₹2.2 trillion to micro, small and medium enterprises (MSMEs), or 12% of the outstanding credit to these units, from slipping into nonperforming assets (NPAs), according to a research report by State Bank of India (SBI).
Govt may announce universal enterprise IDs for small firms
The Union government is working on a Universal Enterprise ID system to help strengthen the credit ratings of small enterprises that serve as the engines of the Indian economy, an internal document showed.
States seek PLI, competitiveness index, credit rating for small cos
State governments have requested the Centre to implement a production-linked incentive scheme for micro, small, and medium enterprises (MSMEs) and support state-run financial institutions in assisting MSMEs in hill regions, documents reviewed by Mint showed.
MSMEs WANT MORE ATTENTION
Access to easier credit line and working capital as well as better subsidy are the key elements in the sector’s wishlist By Abhishek Sharma
FM may propose to upgrade, build MSME industrial areas
Centre may provide most of the financial support needed for industrial areas to develop
SMBs emerge as top job creators in India: Report
Jobs posted by small and midsize businesses (SMBs) clocked a 60 per cent (year-on-year) surge, with emerging small businesses from tier 1 and 2 cities posting more than 2.1 million jobs in 2022 alone, a new report showed on Monday.