पाकिस्तान और चीन के साथ भारत के रिश्ते बेहद तनावपूर्ण हालात से गुजर रहे हैं। पाकिस्तान जहां अपने अस्तित्व के बाद से ही भारत विरोधी गतिविधियों में संलिप्त है। वहीं चीन की चालबाजियां भी किसी से छिपी नहीं हैं। इस पर भी इन दोनों पड़ोसी मुल्कों की बढ़ती नजदीकियां भारत के लिए बड़ी चुनौती बनती जा रही हैं। चीन का पाकिस्तान को अत्याधुनिक युद्धपोत पीएनएस तुगरिल देना इसी की कड़ी है। ऐसे में दोधारी तलवार से निपटने को भारतीय नौसेना भी तेजी से जुट गई है। समुद्र में दुश्मनों को चुनौती देने के लिए भारतीय नौसेना ने हाल ही में स्कॉर्पियन श्रेणी की नई पनडुब्बी आईएनएस वेला और विध्वंसक आईएनएस विशाखापट्टनम को अपने बेड़े में शामिल किया है। पाकिस्तानी नौसेना ने हाल ही में चीन में निर्मित 054एपी युद्धपोत खरीदा है। इसे पीएनएस तुगरिल नाम दिया गया है। यह अब तक चीन द्वारा किसी भी देश को दिया जाने वाला सबसे बड़ा और आधुनिक युद्धपोत है। इसमें सतह से सतह पर, सतह से हवा में और पानी के अंदर मार करने की जबर्दस्त क्षमता है। पाकिस्तान इस युद्धपोत को हिंद महासागर में तैनात कर अपनी ताकत का प्रदर्शन करेगा।
पाकिस्तान नौसेना के मीडिया विंग के महानिदेशक, कैप्टन राशिद के बयान के मुताबिक तुगरिल वर्ग का पहला युद्धपोत, एचजेड शिपयार्ड, चीन के शंघाई में बना है। इसी तरह के तीन और युद्धपोत हैं, जो अगले साल के अंत तक पाकिस्तानी नौसेना में शामिल हो जायेंगे। कैप्टन राशिद के मुताबिक इन जहाजों को नौसैनिक बेड़े में शामिल करने से नौसेना की ताकत बढ़ेगी। इस युद्धपोत पर लगे हथियारों और सेंसर के कारण, ये प्रदर्शन की उत्कृष्ट मिशाल हैं, जो समुद्र में कई तरह के ऑपरेशन करने में सक्षम हैं। इसमें जमीन पर, हवा में और पानी में पनडुब्बियों को निशाना लगाने की क्षमता शामिल है। चार हजार टन भार के युद्धपोत मिलने से आवश्यक रक्षा क्षमता हासिल होगी, जिसका मतलब समुद्री सीमाओं और तटीय क्षेत्रों के लिए संभावित खतरों को समाप्त करना होगा। इसके साथ ही समुद्री परिवहन के साधनों को सुरक्षित करने में भी ये मददगार होगा।
पीएनएस तुगरिल मनीला, मलेशिया और श्रीलंका सहित क्षेत्रीय ठिकानों से होते हुए एक महीने में पाकिस्तान पहुंचेगा। इसके साथ ही 054एपी प्रकार का एक और युद्धपोत अगले छह महीनों में पाकिस्तान को मिल जाएगा और अगले छह महीने बाद तीसरा युद्धपोत भी पाकिस्तान के बेड़े में शामिल हो जायेगा। पाकिस्तान की नौसेना के बेड़े में जितने भी जहाज शामिल हुए हैं, तुगरिल उन सभी में सबसे आधुनिक जंगी कार्रवाई की क्षमता वाला युद्धपोत है।
दरअसल पाकिस्तानी नौसेना ने साल 1993 और 1994 के बीच ब्रिटिश रॉयल नेवी से चार युद्धपोत लिये थे। चार जहाजों पीएनएस बद्र, पीएनएस टीपू सुल्तान, पीएनएस बाबर और पीएनएस शाहजहां को उनका कार्यकाल पूरा होने पर बेड़े से हटा दिया गया था। पाकिस्तान की नौसेना ने चीन से 054 एपी प्रकार के युद्धपोत खरीदे और उन्हें ब्रिटेन से खरीदे गए 21 फ्रिगेट की जगह उपयोग करना शुरू कर दिया है, क्योंकि इन जहाजों ने भी अपना कार्यकाल पूरा कर लिया था। जून 2017 में, पाकिस्तान ने चीनी नौसेना द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे हथियारों और सेंसर से लैस 054एपी प्रकार के फ्रिगेट का ऑर्डर दिया था।
इन सबके बीच अभी भी पाकिस्तान और भारतीय नौसेनाओं के बीच बहुत बड़ा अन्तर है। दुनिया भर की सेनाओं की ताकत का विश्लेषण करने वाली ग्लोबल फायर इंडेक्स वेबसाइट के अनुसार भारत के पास वर्तमान में 285 युद्धपोत हैं। कुछ ताजा रिपोर्ट के अनुसार भारत के पास वर्तमान में 17 पनडुब्बियां हैं। इनमें 16 डीजल से और एक परमाणु ऊर्जा द्वारा संचालित है। जबकि पाकिस्तान के पास डीजल से चलने वाली नौ पनडुब्बियां हैं। फ्रिगेट की तुलना की जाये तो भारत को पाकिस्तान पर बढ़त हासिल है। लेकिन, अगर चीन के लिहाज से देखें तो स्थिति काफी अलग है। अमेरिकी रक्षा विभाग के एक बयान के मुताबिक पानी के जहाजों के लिहाज से चीन के पास दुनिया की सबसे बड़ी नौसेना है। वर्ष 2020 के अंत चीनी नौसेना के पास 70 से अधिक पनडुब्बियां (एसएसबीएन) थीं, जिनमें से सात परमाणु-संचालित और मिसाइलों से लैस हैं। वहीं 12 न्यूक्लियर अटैक सबमरीन (एसएसएन) हैं, और 50 डीजल से चलने वाली अटैकिंग सबमरीन भी चीनी नौसेना पीपुल्स लिबरेशन आर्मी नेवी (पीएलएएन) में मौजूद हैं। वहीं अपनी स्थिति में सुधार के लिए भारत सरकार ने अगले दस वर्षों में 56 युद्धपोत खरीदने की योजना को मंजूरी दी है। रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, दूसरी ओर पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पूंजी की कमी से जूझ रही है, इसलिए फ्रिगेट और पनडुब्बियों सहित आधुनिक हथियार हासिल करने के लिए, पाकिस्तान ने अपने सैन्य सहयोगी चीन की तरफ कदम तक, बढ़ाया है।
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टॉप गियर में योगी सरकार विरोधी दल में कलह
उत्तर प्रदेश की राजनीति में विपक्ष का सारा दारोमदार समाजवादी पार्टी पर आन पड़ा है। योगी सरकार को सदन में दो तिहाई बहुमत प्राप्त है। तो भी विरोधी दल यानी सपा का यह संख्या बल उसको घेरने के लिए पर्याप्त है। समाजवादी पार्टी अगले चुनावों तक जनता में अपने लिए कितना समर्थन और सम्मान अर्जित कर पाती है, यह सदन और सदन से बाहर उसके प्रदर्शन पर ही निर्भर करेगा। अखिलेश यादव ने इस अवसर को अच्छी तरह पहचाना है। लेकिन जिसे कहते हैं, सिर मुढ़ाते ही ओले पड़ना, समाजवादी पार्टी शक्तिशाली विपक्ष की भूमिका में आने से पहले ही अपने आन्तरिक कलह में घिर गई है।
हाइब्रिड सुरक्षा मॉडल समय की मांग
हाइब्रिड सुरक्षा मॉडल समय की मांग है। निजी क्षेत्र की विभिन्न औद्योगिक और विनिर्माण इकाइयों को प्रभावी सुरक्षा मुहैया कराने के लिए केंद्र सरकार का अर्धसैनिक बल सीआईएसएफ और निजी सुरक्षा एजेंसियां एक साथ मिल कर काम कर सकती हैं। गृह मंत्रालय का मानना है कि सीआईएसएफ जैसे सुरक्षा बल अकेले देशभर में निजी क्षेत्र की विभिन्न औद्योगिक और विनिर्माण इकाइयों को प्रभावी सुरक्षा मुहैया नही उपलब्ध करा सकते। इसी कड़ी में सीआईएसएफ से निजी सुरक्षा एजेंसियों को प्रशिक्षण देने की जिम्मेदारी लेने पर विचार करने को भी कहा गया है।
भीमताल : मशरूम क्रांति का नया पड़ाव
उत्तराखंड के पर्वतीय ग्रामीण क्षेत्रों से पलायन रोकने के लिए मशरूम की खेती को एक बड़े समाधान के रूप में देखा जा रहा है। इसीलिए नैनीताल के मुख्य विकास अधिकारी डॉ. संदीप तिवारी का कहना है कि गांवों से पलायन रोकने के लिए मशरूम उत्पादन, पॉलीहाउस योजना, बागवानी, मत्स्य पालन समेत अन्य योजनाओं से लोगों को स्वरोजगार से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है।
ट्रेडिशनल मेडिसिंस के क्षेत्र में बजता भारत का डंका
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Conservatives want to limit social media companies’ power to control content
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Europe's Travel Rebound Wobbles
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