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चुनावी नक्शे से लापता कश्मीर
लोकसभा चुनाव की घोषणा के बाद हर राज्य, हर पार्टी अपने स्तर पर उत्साह से लोकतंत्र के इस उत्सव की तैयारी में व्यस्त है, सिवाय जम्मू-कश्मीर के लोगों के
बॉन्ड का गड़बड़झाला
सुप्रीम कोर्ट के जोर से सामने आए चुनावी चंदा के आंकड़े बताते हैं कि अधिकतर कारोबारी क्षेत्र की कंपनी का सत्तारूढ़ दल सहित अन्य पार्टियों के साथ सीधा लेना-देना है, जिसकी कीमत नागरिकों को चुकानी पड़ रही है
विपक्षबंदी वाकई?
मुख्यमंत्रियों की गिरफ्तारी, कांग्रेस के बैंक खातों पर रोक से चुनाव के दौरान विपक्ष की घेराबंदी के उठे सवाल
बेगूसराय
शहर का बस नाम लेने भर से ही रेलगाड़ी में जगह मिलना आसान हो जाए, ऐसे विशिष्ट गुणों से लैस है बिहार का बेगूसराय! कुछ काम में विख्यात तो कुछ में कुख्यात।
पहली बार में ही कमाल
अनुभव की जगह युवा ताकत को तरजीह मिली, तो युवा खिलाड़ियों ने भी खरा उतर कर दिखाया
कंटेंट इज नॉट किंग
भारतीय दर्शकों को समझना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है, कथानक को सराहने वाले दर्शकों ने स्टारडम को फिर गले लगाया
बादशाहत बहाल
बॉक्स ऑफिस पर एक्शन अवतार में उतरे पचास पार के शाहरुख ने दर्शकों का दिल फिर जीता, क्या कायम रह पाएगा यह जादू
तूफानी वापसी
कोविड महामारी के बाद दर्शक थिएटरों में लौटे तो रोमांस, मारधाड़, ऐक्शन का मसाला और बड़े सितारों का जलवा लुभाने लगा, जवान, एनिमल, पठान और गदर 2 की कामयाबी क्या बताती है, क्या कंटेंट प्रधान फिल्मों का दौर फिर पिछड़ गया
अयोध्या बनी आकर्षण का केंद्र
देश में आध्यात्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने में राम मंदिर साबित हो रहा है अहम स्थल, धार्मिक स्थलों पर सुविधाओं में इजाफा भी मददगार
सहानुभूति की कल्पना
झामुमो के 51 वें स्थापना दिवस पर पूर्व मुख्यमंत्री की पत्नी ने बढ़ाया सियासी कदम
आखिर क्यों है अनसुनी पुकार
लेह और करगिल के राजनीतिक समूहों की अपनी मांगों पर केंद्र से वार्ता कामयाब होती नहीं दिख रही
नायब माथे चुनावी दांव
जपा से गठबंधन टूटा, खट्टर की छुट्टी, आम चुनाव के मद्देनजर ओबीसी नायब सैनी को गद्दी
ये अनुमान अटकलबाजी जैसे
पारिवारिक उपभोग व्यय के आंकड़े अभी अधूरे, गरीबी में कमी के सरकारी दावे ठोस निष्कर्ष नहीं
'यह चुनावी प्रचार के लिए ज्यादा लगता है'
सरकार ने मल्टी डायमेंशनल पावर्टी के नए पैमाने और हाल में जारी कंजप्शन सर्वे के आधार पर बताया कि करीब 25 करोड़ लोग गरीबी से ऊपर उठ गए हैं और देश में गरीब सिर्फ 5 प्रतिशत के आसपास बच गए हैं। क्या है सच्चाई, इस पर प्रतिष्ठित अर्थशास्त्री प्रो. अरुण कुमार से हरिमोहन मिश्र की बातचीत के अंश:
सेलेब्रिटी की खोज
पहली सूची के अपने उम्मीदवारों में कई के इनकार और संन्यास के ऐलान के बाद पंजाब में भाजपा की राह आसान नहीं
राहें आसान नहीं
भाजपा के लिए जांजगीर, कांकेर और राजनंदगांव लोकसभा सीटें कठिन तो कांग्रेस के लिए रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग, कोरबा, सरगुजा और बस्तर बड़ी चुनौती
चुनौतियां नई
पहले सूची जारी कर भाजपा ने ली बढ़त लेकिन कांग्रेस से आए प्रत्याशियों की चुनौती
बुश्नेल, नवलनी और शाशा की कतार में
तानाशाह निजामों के खिलाफ अकेले मनुष्य के साहस और बलिदान के ताजा प्रसंग
बल्ले का यश
टीम इंडिया को शायद यशस्वी जायसवाल के रूप में दूसरा सहवाग मिल गया
कूटनीति के बुद्ध
30 साल के बाद बुद्ध के पवित्र अवशेष की थाईलैंड में प्रदर्शनी
मानवाधिकारों का बुलंद पैरोकार
सबसे प्रतिष्ठित न्यायविद और देश के कानूनी इतिहास के इस दिग्गज का ऐतिहासिक मामलों और संवैधानिक कानून में योगदान अद्वितीय है। 1929 में जन्मे नरीमन ने 1950 में बॉम्बे के सरकारी लॉ कॉलेज से स्नातक की उपाधि प्राप्त की। उन्होंने 1949 में बॉम्बे हाइकोर्ट में प्रैक्टिस शुरू की और 1971 में सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ वकील की हैसियत से पहुंचे।
रेडियो का हिंदुस्तानी लहजा
अफसोस, आवाज की दुनिया का सुनहरा पंछी उड़ गया और उनके जाने से सूनी हो गई है वह डाली। यह ख्वाब भी नहीं देखा था कि कभी हमारे कदम भी रेडियो की दुनिया में आएंगे। वह कौन-सी पहली आवाज थी, जिसने मुझे लुभाया था। यकीनन वे अमीन सायानी थे। मन में सवाल उठता था, वे दिखते कैसे होंगे? बहुत बरस तक दुनिया सिर्फ इस आवाज से वाकिफ थी। उस आवाज का चेहरा कैसा है, लोगों को पता न था।
शायर, संन्यासी और पुरस्कार
इस बार ज्ञानपीठ पुरस्कार दो लोगों को मिला तो विवाद भी उछल पड़े, रचनाकारों के काम पर एक नजर
गए, गए, नहीं गए नाथ
पार्टी से खुली छूट और भरपूर संभावनाओं के बावजूद विधानसभा चुनाव में हार शायद कमलनाथ को भारी पड़ी
दिल और दिल्ली की दूरी
लोगों की नजर में मोदी की 'अच्छे आदमी' की छवि के बावजूद लगता है कि भाजपा को चुनाव में उतना राजनैतिक लाभ नहीं मिलेगा
क्या होगा असर
सबकी नजर इस पर रहेगी कि चंदा देने वालों की सूची उजागर होती है, तो राजनैतिक परिदृश्य में कोई फर्क पड़ता है भी या नहीं
अपारदर्शी चुनावी बॉन्ड
चुनावों के माध्यम से एक राष्ट्र के जीवन की पड़ताल करने वाली एस. वाइ. कुरैशी की लिखी किताब इंडियाज एक्सपेरिमेंट विद डेमोक्रेसी का एक अंश, जिसमें बताया गया है कि चुनावी बॉन्ड क्यों पारदर्शी नहीं हैं
बॉन्डनामा
राजनैतिक फंडिंग की मोदी सरकार की चुनावी बॉन्ड योजना को सुप्रीम कोर्ट ने सिरे से असंवैधानिक करार दिया, तो क्या तकरीबन छह साल से जारी योजना से राजनीति के रंगढंग में आए बदलावों को बदला जा सकेगा?, क्या चुनाव निष्पक्ष और परदर्शी हो पाएंगे?, क्या काले धन की पॉलिटिकल इकोनॉमी से मुक्ति मिल पाएगी?
कांग्रेस बनाम शाही खानदान!
दिवंगत वीरभद्र सिंह की कांग्रेस सांसद पत्नी प्रतिभा सिंह और बेटा विक्रमादित्य विरासत को बढ़ा रहे
गाठें बांधने तोड़ने के जुगाड़
राज्यसभा चुनावों में हिमाचल और उत्तर प्रदेश में भाजपा का रणनीतिक कौशल दिखा तो विपक्ष सड़क को गरम करने में जुटा