दोस्ती का कर्ज
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रामपुर में अमर नाम का एक सीधा-सादा, होनहार लड़का रहता था। एक दिन विद्यालय से लौटते समय रास्ते में उसने देखा कि कुछ बच्चे एक बंदर के पीछे पड़े हुए हैं। वे उसे चिढ़ा रहे हैं। कोई उसे पत्थर से मार रहा है, तो कोई डंडे से ।
दोस्ती का कर्ज

अमर को ये सब अच्छा नहीं लगा। उसने बच्चों को समझाया कि वे लोग बंदर को न छेड़ें, पर बच्चे मानने की बजाय अमर से ही झगड़ने लगे। लेकिन अमर भी ताकत और फूर्ती में किसी से कम नहीं था। उसने उन लड़कों को मार भगाया और घायल बंदर को घर लाकर उसकी मरहम पट्टी करायी।

This story is from the Naye Pallav 9 edition of Naye Pallav .

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अंधों की सूची में महाराज
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अंधों की सूची में महाराज

गोनू झा के साथ एकदिन मिथिला नरेश अपने बाग में टहल रहे थे। उन्होंने यूं ही गोनू झा से पूछा कि देखना और दृष्टि-सम्पन्न होना एक ही बात है या अलग-अलग अर्थ रखते हैं?

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Naye Pallav 19
कौवे और उल्लू का बैर
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कौवे और उल्लू का बैर

एकबार हंस, तोता, बगुला, कोयल, चातक, कबूतर, उल्लू, आदि सब पक्षियों ने सभा करके यह सलाह की कि उनका राजा वैनतेय केवल वासुदेव की भक्ति में लगा रहता है; व्याधों से उनकी रक्षा का कोई उपाय नहीं करता; इसलिये पक्षियों का कोई अन्य राजा चुन लिया जाय। कई दिनों की बैठक के बाद सबने एक सम्मति से सर्वाङग सुन्दर उल्लू को राजा चुना।

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Naye Pallav 19
ब्राह्मण और सर्प
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ब्राह्मण और सर्प

किसी नगर में हरिदत्त नाम का एक ब्राह्मण निवास करता था। उसकी खेती साधारण ही थी, अतः अधिकांश समय वह खाली ही रहता था। एकबार ग्रीष्म ऋतु में वह इसी प्रकार अपने खेत पर वृक्ष की शीतल छाया में लेटा हुआ था। सोए-सोए उसने अपने समीप ही सर्प का बिल देखा, उस पर सर्प फन फैलाए बैठा था।

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Naye Pallav 19
जबलपुर के महानायक श्री हरिशंकर परसाई
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जबलपुर के महानायक श्री हरिशंकर परसाई

व्यंग्य लेखन के बेताज बादशाह श्री हरिशंकर परसाई जबलपुर में हमारे पड़ोसी थे। बचपन से मैं उन्हें परसाई मामा कहती आई हूं । मैंने उनके बूढ़े पिताजी को भी देखा है, जिन्हें सब परसाई दद्दा कहते थे। वह दिनभर घर के बाहर डली खटिया पर लेटे या बैठे तंबाकू खाया करते थे। मैं बचपन में उनके तंबाकू खाने की नकल किया करती थी। सबका मनोरंजन होता और सब बार-बार मुझसे उनके तंबाकू खाने की एक्टिंग करवाते थे।

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Naye Pallav 19
जुड़वां भाई
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जुड़वां भाई

कभी-कभी मूर्ख मर्द जरा-जरा सी बात पर औरतों को पीटा करते हैं। एक गांव में ऐसा ही एक किसान था। उसकी औरत से कोई छोटा-सा नुकसान भी हो जाता, तो वह उसे बगैर मारे न छोड़ता। एकदिन बछड़ा गाय का दूध पी गया। इस पर किसान इतना झल्लाया कि औरत को कई लातें जमाईं। बेचारी रोती हुई घर से भागी। उसे यह न मालूम था कि मैं कहां जा रही हूं। वह किसी ऐसी जगह भाग जाना चाहती थी, जहां उसका शौहर उसे फिर न पा सके।

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Naye Pallav 18
कुम्हार की कहानी
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कुम्हार की कहानी

युधिष्ठिर नाम का कुम्हार एकबार टूटे हुए घड़े के नुकीले ठीकरे से टकराकर गिर गया। गिरते ही वह ठीकरा उसके माथे में घुस गया। खून बहने लगा । घाव गहरा था, दवा - दारु से भी ठीक न हुआ। घाव बढ़ता ही गया। कई महीने ठीक होने में लग गये। ठीक होने पर भी उसका निशान माथे पर रह गया।

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Naye Pallav 18
पंचतंत्र के निर्माण की कहानी
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पंचतंत्र के निर्माण की कहानी

महिला रौप्य नामक एक नगर था, जिसका राजा अमर शक्ति था। वह बहुत महान था। उसके तीन पुत्र थे-बहु शक्ति, उग्र शक्ति और अनेक शक्ति।

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Naye Pallav 18
आपबीती
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आपबीती

साहित्यकारों की जिंदगी में एक ऐसा वक्त भी जरूर आता है, जब प्रशंसकों की तरफ से उन्हें ढेरों पत्र प्राप्त होते हैं और वो खुशी से झूम उठते हैं।

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Naye Pallav 18
हींगवाला
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हींगवाला

लगभग गभग 35 साल का एक खान आंगन में आकर रुका। उसकी आवाज सुनाई दी, \"अम्मा... हींग लोगी ?\" भीतर से नौ-दस वर्ष के एक बालक ने निकलकर उत्तर दिया, \"अभी कुछ नहीं लेना है, जाओ !\" पर खान भला क्यों जाने लगा ? जरा आराम से बैठ गया और अपने साफे के छोर से हवा करता बोला, \"अम्मा, हींग ले लो, अम्मा ! हम अपने देश जाता है, बहुत दिनों में लौटेगा।”

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Naye Pallav 18
लंकादहन
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लंकादहन

हनुमानजी माता सीता से लंका में अशोकवाटीका में छोटा रूप धारण कर मिले तथा सीता माता की आज्ञा से अपनी भूख मिटाने के लिए वाटिका से फल तोड़कर खाने लगे।

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