समुद्र मंथन की बहुश्रुत कथा में इस मंथन से जो चौदह | रत्न प्राप्त हुए उनमें हलाहल विष भी था। इस विष में ब्रह्मांड को नष्ट करने की क्षमता थी। और इसे केवल शिव ही नष्ट कर सकते थे। शिव ने इस हलाहल विष को अपने कंठ में धारण कर लिया। यह विष इतना प्रभावशाली और तीव्र था कि न केवल शिव को भयंकर पीडा का अनुभव हुआ वरन् उनका कंठ भी नीला पड़ गया, इसी कारण उन्हें नीलकंठ नाम मिला। शिव की इस पीड़ा को देख देवों ने धन्वन्तरि वैद्य से सलाह ली। उन्होंने शिव को रात्रि भर जागने की सलाह दी। शिव रात्रि जागरण का आनंद ले सकें इसके लिए देवों ने रात्रि भर नृत्य और संगीत का आयोजन किया। सुबह शिव की पीड़ा बहुत कम हो गई और उन्होंने सभी देवताओं को प्रसन्न होकर आशीर्वाद दिया। शिवरात्रि इसी घटना का उत्सव है।
इस कथा का यदि विश्लेषण करें तो स्पष्ट हो जाएगा कि किसी भी अनुसंधान के परिणाम स्वरूप विध्वंसक वस्तुएं । या तत्त्व भी प्राप्त हो सकते हैं। और ऐसे तत्त्वों को वो ही संभाल कर रख सकता है जिसमें शक्ति, सामर्थ्य और करुणा के साथ-साथ इतनी बुद्धि भी हो कि वह इसे संभाल कर रखने का रास्ता खोज सके। विष इसी विध्वंस तत्त्व का प्रतीक है। विष को अगर बाहर रहने दिया गया तो वह अपने सामर्थ्य के अनुरूप वातावरण को विषाक्त कर नष्ट कर देगा और अगर ग्रहण कर लिया गया तो वह ग्रहणकर्ता को ही नष्ट कर देगा। ऐसे में अपनी योग-शक्ति से शिव द्वारा उसे अपने कंठ में धारण करना ही एकमात्र संभव एवं सतर्कतात्मक उपाय है जिससे न बाहर का संसार नष्ट हो और न ग्रहणकर्ता शिव पर उसका प्रभाव हो। बुद्धि, सामर्थ्य, क्षमता और विश्व कल्याण की भावना के समन्वय का इससे श्रेष्ठ और कोई उदाहरण विश्व के पौराणिक संदर्भो में उपलब्ध नहीं है।
जब हलाहल विष सम्मुख हो तो सर्वत्र निराशा और अंधकार ही अंधकार नजर आता है। महाशिवरात्रि वर्ष की सर्वाधिक अंधेरी रात्रि मानी जाती है। विशेष बात यह है कि मा रात्रि में ग्रहों की स्थिति ऐसी होती है कि ये मानव शरीर में ऊर्जा को शक्तिशाली ढंग से ऊपर की ओर ले जाती है। इस कारण इस पात्रि में जागरण की परंपरा है।।
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रम जाइए 'कच्छ के रण में'
गुजरात की लोक संस्कृति और परंपरा का मेल देवना हो तो आइए कच्छ के रण महोत्सव में, जहां का प्रमुख आकर्षण है 'ग्रेट रण ऑफ कच्छ', जिसका नाम सुनते ही ऊंट, रेगिस्तान, रेत और रंग-बिरंगी पोशाकों से सजे-धजे स्थानीय निवासी और पर्यटकों का ध्यान आता है जो इस उत्सव को महोत्सव में बदलते हैं और इसे विश्व प्रसिद्ध बनाते हैं।
पक्षाघात में आयुर्वेदिक चिकित्सा
पक्षाघात या लकवा मारना एक बहुत ही तकलीफदेह बीमारी है। इसमें शरीर काफी पीड़ा से गुजरता है । पक्षाघात शरीर के जिस अंग पर होता है उस भाग में कोई हलचल नहीं होती। पक्षाघात क्या है, क्या हैं इसके कारण, लक्षण एवं निवारण? आइए जानते हैं।
भारतीय संस्कृति का महापर्व 'कुंम्भ'
कुम्भ हमारी भारतीय संस्कृति का अत्यंत प्राचीन महापर्व है, जो कि बारह साल में एक बार आता है। इस बार यह 15 जनवरी से 4 मार्च 2019 तक प्रयाग (इलाहाबाद) में मनाया जाएगा। कुम्भ हमारी संस्कृति के साथसाथ हमारी आस्था का भी प्रतीक है। महाकुम्भ का अर्थ क्या है? क्यों यह बारह साल में एक बार आता है तथा इसका सांस्कृतिक महत्त्व क्या है? जानिए इस लेख से।
विज्ञान से भी सर्वोपरि ज्योतिष शास्त्र
वर्तमान युग विज्ञान का युग है किंतु हम ज्योतिष को नकार नहीं सकते, या कहें विज्ञान से भी सर्वोपरि है ज्योतिष, कैसे? आइए जानें इस लेख से।
ब्रेन पॉवर कैसे बढ़ाएं
सारा खेल दिमाग का है विशेष तौर पर परीक्षाओं के समय यदि दिमाग दुरुस्त तो समझो सब ठीक है। परंतु परीक्षा के समय डर के कारण तो अच्छे-अच्छों के दिमाग को जंग लग जाती है और सब कुछ जानते हुए भी गलतियां हो जाती हैं। इसलिए जरूरी है कि हम अपने ब्रेन की पावर बढ़ाएं ताकि सही समय पर इसका सही व बेहतर उपयोग हो सके।
ज्ञान, कला और वाणी की देवी सरस्वती
वाग्देवी, वीणावादिनी तथा भारती, जैसे नामों से हमारी संस्कृति में विरव्यात देवी सरस्वती ज्ञान व विद्या की देवी हैं। उनकी आराधना से व्यक्ति परम ज्ञान प्राप्त कर सकता है। भारतीय संस्कृति में देवी सरस्वती का स्थान बहुत उच्च है। इन्हीं पूजनीय देवी सरस्वती के नाम का अर्थ, उनकी जन्म कथा तथा रूप-स्वरूप को विस्तारपूर्वक जानें इस लेख से।
क्या है आर.ओ.वॉटर का सच?
शुद्धता व स्वच्छता के नाम पर आजकल बाजार में फिल्टर पानी बेचा जा रहा है, जो हमारे सेहत के लिए ठीक नहीं है। साथ ही यह पर्यावरण के लिए गंभीर समस्या है। कैसे, जानें इस लेख से।
बसंत पंचमी से जुड़ी कथाएं और घटनाएं
विद्या की देवी सरस्वती की पूजा का पर्व बसंत पंचमी एक पवित्र हिन्दू त्योहार है। इस दिन विद्या की देवी सरस्वती की पूजा की जाती है। यह पूजा उत्तर प्रदेश, पूर्वी भारत, पश्चिमोत्तर बांग्लादेश, नेपाल और कई राष्ट्रों में बड़े उल्लास से मनायी जाती है।
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मकर संक्रांति सूर्य उपासना का विशेष पर्व है, इस दिन से सूर्य उत्तरायण होना शुरू होते हैं। इस पर्व को समस्त भारत में बड़े हर्षोल्लास से मनाया जाता है। क्या है इस पर्व का महात्म्य ? आइए लेव से विस्तारपूर्वक जानें।
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Fears Texas Tornado’s lover will ride into sunset
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Will 2021 be the year Apple's U1 chip goes wide?
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