आज यह प्रश्न सबकी जुबान पर है। पुलिस हैरान, फिल्म इंडस्ट्री परेशान और सुशांत के फ्लैट के नीचे खड़ी भीड़ उस एम्बुलेन्स के साथ दौड़ते हुए पुकार उठे, ‘ऐसा भी कोई जाता है भला? कहाँ चल दिये दोस्त?' और एम्बुलेन्स सुशांत सिंह राजपूत की मृत देह लेकर पोस्ट मार्टम के लिए हिंदुजा हॉस्पिटल और फिर कूपर हॉस्पिटल चली गई, पीछे रह गया सन्नाटे का शोर जो चिल्ला-चिल्ला कर बॉलीवुड में दिन प्रतिदिन बढ़ते अकेलेपन के काले साए तले जीने को मजबूर ना जाने कितने और सुशांतों की खामोश कराहों की कहानी बयां कर रही थी जो बॉलीवुड की चकाचौंध तले झूठी मुस्कान ओढ़े चुपचाप तड़पते रहतें हैं ।क्यों यह युवा टॉप स्टार चुपचाप अपने मुंबई स्थित, बांद्रा जैसे पॉश इलाके के छठे माले वाले अपार्टमेंट में लॉक डाउन के कई दिन गुजारने के बाद, जब लॉक डाउन ओपन हो गया तो खुद को हमेशा के लिए आजाद कर गया? ना कोई सुसाइड नोट, ना आजू बाजू वालों को कोई आवाज आयी ना किसी के आने जाने की आहट मिली ।अवाक पड़ोसियों ने कहा, 'लॉक डाउन के चलते हम अपने पड़ोसियों को दस दस दिन देख ही नहीं पाते सुशांत को भी कई दिनों तक नहीं देखा।सुबह सुशांत ने जूस भी पिया और फिर कमरे का दरवाजा जो बन्द किया तो फिर नहीं खोला।घर में काम करने वाले नौकर ने कमरे का दरवाजा खटखटाने पर भी ना खुलने पर अगर पुलिस को आगाह ना किया होता तो ना जाने कब तक इस हैरान कर देने वाली घटना पर पर्दा पड़ा रहता।
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सुशांत सिंह राजपूत
यह सुशांत के अशांत मन का हाहाकार था या दबे पांव कोई गहरी साजिश?
कोरोना वायरस से घबराई इंडस्ट्री !
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