शैली मकड़ी कीट नगर में रहती थी, वहां झींगुर, गुबरैला, टिड्डा, तितली, मधुमक्खी, बिच्छू, ततैया, चींटी आदि अन्य जीव भी रहते थे.
शैली को सजनसंवरने का बहुत शौक था. 3 दिन बाद उसे मधुमक्खी के घर पार्टी में जाना था. उस में पहनने के लिए उस ने गुलाबी व नीले रंग की नई ड्रैस खरीदी.
This story is from the February Second 2022 edition of Champak - Hindi.
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जादुई आईना
खेल का पीरियड था. सभी विद्यार्थियों के साथ रिया भी फुटबौल के मैदान की ओर बढ़ी. तभी एक छात्र बोला, \"अरे, हम फुटबौल लाना तो भूल ही गए.\"...
मुकुल चला पहलवान बनने
\"मुकुल, जल्दी नाश्ता कर लो. मैं ने आमलेट बना कर डाइनिंग टेबल पर रख दिया है,\" मम्मी ने किचन से आवाज लगाई...
जीरो की 100 तक की यात्रा
सुंदरवन के जीरो नाम का जेबरा में स्कूल एक पढ़ता था. जीरो गणित विषय में कमजोर था और वह हर बार फेल हो जाता था...
पानी के अंदर रेनबो कंसर्ट
बैकी व्हेल को गाने लिखने और गाने का बहुत शौक था. उस के पास अलबमों का संग्रह था, जिस में उस के नए गाने थे. वह गाने का अभ्यास कर रही थी, तभी उस के चचेरे भाइयों ने पुकारा, \"बैकी, आओ, इस समय हम सभी दक्षिण की ओर जा रहे हैं.\"...
दोस्तों ने की केशव की मदद
\"ट्रिंगट्रिंग, ट्रिंगट्रिंग...\", केशव उठा और उस ने अलार्म बंद कर दिया. सुबह की धूप केशव के कमरे की फर्श पर कई आकृतियां बना रही थी...
अनजान मदद
चीकू खरगोश मीकू चूहा और जंपी बंदर के साथ स्कूल जा रहा था. अचानक जंपी को जमीन पर एक लिफाफा दिखा, जिसे उस ने लात मारी. लिफाफा लात लगने से खुल गया, उस के अंदर कुछ रुपए दिखे...
चांद पर जमीन
रौबी घोड़ा, रौनक खरगोश और गरिमा बकरी तीनों रोज की तरह ही क्रिकेट खेल रहे थे. तभी बौल आ कर रौनक के कान के पास जा लगी.
कौन जीता
सरसवन सोसायटी में सभी उत्साहित थे, क्योंकि वार्षिकोत्सव दिवस आने वाला था. यह सोसायटी का सालाना कार्यक्रम था, जिस में सांस्कृतिक कार्यक्रम तथा तरहतरह की खेल प्रतियोगिताएं होती थीं. उस में देशप्रेम से भरी कविताएं तथा गाने सुनाए जाते थे. बच्चों के अन्य समूह नाटक भी किया करते थे. इस के अलावा फैंसी ड्रैस शो होता था, जिस में बच्चे तरहतरह के परिधान पहन कर एक्टिंग करते थे.
दादाजी का बक्सा
10 वर्षीय अमय को अपने दादादादी से बड़ा लगाव था. उस के मम्मीपापा दोनों बिजनैस में व्यस्त रहते. घर पर दादादादी उस का खयाल रखते. दादाजी भी सुबह ही अपनी दुकान पर चले जाते और दोपहर में खाना खाने घर लौटते. इसी समय अमय स्कूल से आ जाता. वे तीनों खूब सारी बातें करते. अमय स्कूल की उस दिन की हर छोटीबड़ी बात उन के साथ शेयर करता. दादाजी भी मौका मिलने पर उसे अपने पुराने अनुभव सुनाते रहते. अमय को किस्से सुनने में में बहुत मजा आता.
लिली से प्यार
\"आओ निखिल, अंदर आओ. कहो कैसे हो?” दरवाजा खोलते ही सुमित अपने सहपाठी निखिल को देख कर खुशी से भर उठा.