दिन था 22 जून, 1986। जगह मेक्सिको सिटी का एज्टेका फुटबॉल स्टेडियम। और मौका? हमारे मम्मीपापा और दादी-दादा की पीढ़ी के लाखों लोग इसका जवाब चुटकी बजाते दे देंगे बशर्ते कि उनके पास उस समय एक अदद टीवी रहा हो जो चलता हो!
जी हाँ। मौका था 1986 के फीफा फुटबॉल वर्ल्ड कप में अर्जेन्टिना व इंग्लैंड के बीच हो रहा क्वार्टर फाइनल। उस मैच में डिएगो मैराडोना नाम के एक शख्स अर्जेन्टिना की टीम के कप्तान के तौर पर खेल रहे थे।
और अब तक तो लाखों लोग (जो उस तारीख तक इस दुनिया में आए भी नहीं थे) आसानी से बता देंगे कि उस मैच में अर्जेन्टिना ने इंग्लैंड को 1 के मुकाबले 2 गोल से हरा दिया था।
वैसे तो अर्जेन्टिना की तरफ से दोनों गोल उस रहस्यमय शख्स जनाब मैराडोना ने ही किए थे। लेकिन दूसरा गोल कुछ खास था। इतना खास कि दुनिया का हर वो शख्स जिसने उस अर्जेन्टिनियाई कप्तान का नाम सुना हो या भविष्य में कभी सुनेगा, उसने यकीनन उस गोल के बारे में भी सुना होगा या सुनेगा। इसकी वजह क्या है?
एक अद्भुत घटना
कुछ महीनों पहले मैंने अखबार में एक दिलचस्प लेख पढ़ा। उस लेख में इस सवाल का जवाब इतनी संजीदगी से दिया गया है जैसा मैंने पहले कभी नहीं पढ़ा-सुना। तुम्हें सिर्फ गूगल दादा को कहना है कि इन्द्रजीत हाज़रा का लेख “How Maradona gave boomers their collective 'Mexico Event'' निकाले। यह लेख द टाइम्स ऑफ इंडिया में 29 नवम्बर, 2020 को छपा था।
लेख 25 नवम्बर, 2020 को मैराडोना के निधन के बाद लिखा गया था। तुम लोगों ने शायद टीवी और इंटरनेट पर मैराडोना के खेल की महज़ कुछ ही क्लिप्स देखी होंगी। इसी वजह से मैं इस लेख पर कुछ बात करना चाहता हूँ ताकि तुम यह समझ सको कि अपने टीवी पर उस खास गोल को देख रहे लाखों लोगों ने उस वक्त कैसा महसूस किया होगा। और शायद तुम यह भी देख सको कि इतने साल बाद तुम उस गोल के बारे में कैसा महसूस करते हो, है ना?
इन्द्रजीत दा के लेख से कुछ लाइनें यहाँ पेश हैं:
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सफेद गुब्बारे
अचानक से गुब्बारे मेरे चारों ओर मँडराने लगे! दूध जैसे रंग के, नुकीले, मेरे शरीर से भी बड़े। एक गुब्बारा मेरे मुँह में घुस गया। एक-एक करके वो मेरे मुँह में घुसे जा रहे थे। मैं चिल्लाना चाहता था। पर गला गुब्बारों से ठसाठस भर गया। उनकी नोक कई पिनों जैसी चुभ रही थीं।
पृथ्वी पर कुल कितने टी. रेक्स थे?
एक अनुमान है कि क्रेटेशियस काल के दौरान किसी एक समय में लगभग 20,000 टी. रेक्स पृथ्वी पर जीवित थे। यानी किसी एक समय में मध्य प्रदेश के बराबर क्षेत्र में लगभग 3,390 टी. रेक्स घूमते थे।
माल्टे वाले बीड़ा जी
पहली कहानी
नन्हा राजकुमार
लेखक को बचपन में बड़ों ने चित्र बनाने से हतोत्साहित किया तो वह पायलट बन बैठा। अपनी एक यात्रा के दौरान उसे रेगिस्तान में जहाज़ उतारना पड़ा। वहाँ उसकी भेंट एक छोटे-से राजकुमार से हुई। और फिर परिचय का सिलसिला शुरू हुआ। राजकुमार ने बताया कि वह एक छोटे-से ग्रह का निवासी है। राजकुमार ने अपने ग्रह के बारे में और बहुत-सी विचित्र बातें बताईं। अब आगे...
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नन्हा राजकुमार
अब तक तुमने पढ़ा... लेखक को बचपन में बड़ों ने चित्र बनाने से हतोत्साहित किया तो वह पायलट बन बैठा। अपनी एक यात्रा के दौरान उसे रेगिस्तान में जहाज़ उतारना पड़ा। वहाँ उसकी भेंट एक नन्हे राजकुमार से हुई, जो किसी दूसरे ग्रह का निवासी है। राजकुमार ने लेखक को अपने ग्रह के बारे में बहुत-सी विचित्र बातें बताईं। आकाश से विचरते हुए उसने कुछ अलग-अलग ग्रहों में जाने के बारे में सोचा। पहले ग्रह में उसकी मुलाकात एक ऐसे राजा से हुई जो उस ग्रह पर अकेले रहता था। अब आगे....
मकड़ी का जाला
मकड़ी की बुनाई पर तितली को बड़ा फख था। “किसका होगा ऐसा घर! इतना महीन! पारदर्शी! उस पार पूरी दुनिया देखी जा सके। न ज़मीन, न आसमान। हवा के बीचोंबीच झूलता।”
तकिए में सुरक्षित ड्रेस
तालाबन्दी में बचपन