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जादुई आईना
खेल का पीरियड था. सभी विद्यार्थियों के साथ रिया भी फुटबौल के मैदान की ओर बढ़ी. तभी एक छात्र बोला, \"अरे, हम फुटबौल लाना तो भूल ही गए.\"...
मुकुल चला पहलवान बनने
\"मुकुल, जल्दी नाश्ता कर लो. मैं ने आमलेट बना कर डाइनिंग टेबल पर रख दिया है,\" मम्मी ने किचन से आवाज लगाई...
जीरो की 100 तक की यात्रा
सुंदरवन के जीरो नाम का जेबरा में स्कूल एक पढ़ता था. जीरो गणित विषय में कमजोर था और वह हर बार फेल हो जाता था...
पानी के अंदर रेनबो कंसर्ट
बैकी व्हेल को गाने लिखने और गाने का बहुत शौक था. उस के पास अलबमों का संग्रह था, जिस में उस के नए गाने थे. वह गाने का अभ्यास कर रही थी, तभी उस के चचेरे भाइयों ने पुकारा, \"बैकी, आओ, इस समय हम सभी दक्षिण की ओर जा रहे हैं.\"...
दोस्तों ने की केशव की मदद
\"ट्रिंगट्रिंग, ट्रिंगट्रिंग...\", केशव उठा और उस ने अलार्म बंद कर दिया. सुबह की धूप केशव के कमरे की फर्श पर कई आकृतियां बना रही थी...
अनजान मदद
चीकू खरगोश मीकू चूहा और जंपी बंदर के साथ स्कूल जा रहा था. अचानक जंपी को जमीन पर एक लिफाफा दिखा, जिसे उस ने लात मारी. लिफाफा लात लगने से खुल गया, उस के अंदर कुछ रुपए दिखे...
चांद पर जमीन
रौबी घोड़ा, रौनक खरगोश और गरिमा बकरी तीनों रोज की तरह ही क्रिकेट खेल रहे थे. तभी बौल आ कर रौनक के कान के पास जा लगी.
कौन जीता
सरसवन सोसायटी में सभी उत्साहित थे, क्योंकि वार्षिकोत्सव दिवस आने वाला था. यह सोसायटी का सालाना कार्यक्रम था, जिस में सांस्कृतिक कार्यक्रम तथा तरहतरह की खेल प्रतियोगिताएं होती थीं. उस में देशप्रेम से भरी कविताएं तथा गाने सुनाए जाते थे. बच्चों के अन्य समूह नाटक भी किया करते थे. इस के अलावा फैंसी ड्रैस शो होता था, जिस में बच्चे तरहतरह के परिधान पहन कर एक्टिंग करते थे.
दादाजी का बक्सा
10 वर्षीय अमय को अपने दादादादी से बड़ा लगाव था. उस के मम्मीपापा दोनों बिजनैस में व्यस्त रहते. घर पर दादादादी उस का खयाल रखते. दादाजी भी सुबह ही अपनी दुकान पर चले जाते और दोपहर में खाना खाने घर लौटते. इसी समय अमय स्कूल से आ जाता. वे तीनों खूब सारी बातें करते. अमय स्कूल की उस दिन की हर छोटीबड़ी बात उन के साथ शेयर करता. दादाजी भी मौका मिलने पर उसे अपने पुराने अनुभव सुनाते रहते. अमय को किस्से सुनने में में बहुत मजा आता.
लिली से प्यार
\"आओ निखिल, अंदर आओ. कहो कैसे हो?” दरवाजा खोलते ही सुमित अपने सहपाठी निखिल को देख कर खुशी से भर उठा.
सैली की पूंछ
जंपी बंदर और सैली गिलहरी की दोस्ती पूरे चंपकवन में प्रसिद्ध थी. दोनों का बसेरा एक ही पेड़ पर था.
वैलेंटाइन डे की खुशी
मिहिर मोर बड़ा घमंडी था. उसे अपनी सुंदरता पर बड़ा गर्व था. वह अपने पंखों को देख कर फूला नहीं समाता. उसे लगता था कि उस के जैसा पूरे चंदनवन में दूसरा कोई नहीं है. उसे दूसरे जानवर और पक्षी बेकार लगते थे. उसे लगता कि इन सब से दोस्ती करना मूर्खता है, क्योंकि वे सब उस की दोस्ती के योग्य नहीं हैं. मिहिर केवल मोरों से ही बात करता था. उसे दूसरी जाति के पक्षियों से बात करना और उन के साथ रहना पसंद नहीं था.
जंगल में भूत
रोबिन अपने पापा के साथ अकसर गांव से सटे जंगल में घूमने जाता था. उस के पापा को जड़ीबूटियों का अच्छा ज्ञान था. वे जंगल से जड़ीबूटियां ले कर आते और उन से दवा बना कर गांव वालों को देते. उन के साथ रह कर रोबिन को भी पेड़पौधों की अच्छी पहचान हो गई थी.
सियारों को गरम कपड़े
सुंदरवन में लोकतंत्र की बहाली हुई तो जानवर काफी खुश हुए. पहले वनराज का बेटा ही विरासत में राजगद्दी का हकदार होता था, भले ही वह उस के योग्य न हो, लेकिन अब आम जानवर भी चुनाव लड़ सकते थे.
गुप्पी की शीतकालीन यात्रा
गुप्पी गिलहरी ने कड़ी मेहनत कर के सर्दियों के लिए मेवे जमा किए थे. उन का पैकेट बना कर वह रखने ही जा रही थी कि चैन्नई से उस की बचपन की सहेली कोको गिलहरी का फोन आया.
दीया और अका का गणतंत्र दिवस
दीया और अका एक छोटे से शहर चेरापूंजी में रहती थीं. वे टैलीविजन पर गणतंत्र दिवस परेड देखने के लिए बहुत उत्साहित थी. दादाजी ने अपने दोस्तों को अगले दिन परेड देखने और उत्सव मनाने के लिए आमंत्रित किया था. घर सजाने के लिए दीया और अका झंडे बनाने में व्यस्त थीं.
चिपकू दोस्त
नील बड़बड़ाते हुए स्कूल से घर लौटा. उस का मूड देख कर मम्मी ने पूछा, “अरे, क्या हुआ? आज तुम्हारा मूड औफ क्यों है?\"
चंपकवन में गणतंत्र दिवस
26 जनवरी यानी कि भारतीय राष्ट्रीय पर्व गणतंत्र दिवस आने वाला था. हर बार की तरह इस बार भी नई दिल्ली में धूमधाम से गणतंत्र दिवस की परेड की तैयारी चल रही थी. यहां तक कि चंपकवन के राजा शेरसिंह भी इस में शामिल होना चाहते थे.
हल हो गई मुश्किल
शाम ढलते ही भिनभिनाने वाली बजी मच्छर अपने छिपने की जगह से बाहर निकली. वह दिन से भूखी थी. उसे एक ऐसे इनसान की तलाश थी, जिस का खून चूस कर वह अपनी भूख मिटा सके. एक घर में घुसते ही उसे बुजुर्ग जीवन अंकल दिखाई दे गए. वे एक कुरसी पर बैठे थे और दूसरी पर अपना दायां पैर रखा हुआ था. उन्होंने एक पतला सा पाजामा पहन रखा था. शायद मच्छरों के डर से उन्होंने यह काम किया था. बजी ने इधरउधर देखा, आसपास कोई नहीं था और जीवन अंकल कुरसी पर बैठे ऊंघ रहे थे.
अनुवाद, अनिरुद्ध और मामोनी
आप कैसा महसूस करते हैं, जब मित्र नहीं बना पाते हैं, क्योंकि आप और आप के सहपाठी एक ही भाषा नहीं बोलते?
पतंग ड्रोन
सरिस्का के जंगल से एकएक कर कई बाघ गायब हो रहे हैं. सारे जानवर परेशान थे कि आखिर उन के साथ कौन सा हादसा हुआ होगा ?
तारू की यात्रा का अंत
जैसे ही ट्रेन स्टेशन से रवाना हुई, तारू जल्दी से बड़ी खिड़की वाली सीट के पास बैठ गई और स्टेशन को पीछे छूटते हुए देखने का आनंद लेने लगी. ट्रैन पहले धीरेधीरे फिर तेज गति पकड़ने लगी.
बैडी का संकल्प
बैडी लोमड़ बहुत झगड़ालू था. उसे लड़नेझगड़ने में मजा आता था. वह छोटे या बड़ों का भी खयाल नहीं रखता था, जो भी मिलता उस से झगड़ने लगता.
पतंगबाजी और ढोल की थाप
आनंद सोसायटी में हर कोई काफी उत्साहित और व्यस्त था. चारों ओर मकर संक्रांति, लोहड़ी मेले और पतंगबाजी के परचे लगे हुए थे. सामान्यतौर पर होने वाली 'सब से ऊंची उड़ान वाली पतंग' और 'पतंगबाजी' प्रतियोगिता के अलावा इस साल सर्वश्रेष्ठ 'डिस्प्ले पतंग शो' के लिए एक नई श्रेणी भी आयोजित की गई थी.
एक नई शुरुआत
नए साल का पहला दिन नजदीक था. 12 वर्षीय आर्यन ने इसे अपने प्यारे दादादादी और उनके दोस्तों के लिए एक विशेष दिन बनाने के लिए संकल्प लिया.
फ्रेडी और स्टैपी
फ्रेडी मेढक और स्टैपी गौरैया एक घास के मैदान में रहते थे. वे दोनों बहुत दोस्त थे. वे अकसर घास के मैदानों पर एकसाथ घूमते और खेलते थे.
सब से अच्छा खिलाड़ी
वान्या स्कूल बस से नीचे उतरी तो उसे मम्मी नहीं दिखी. आज उस की बस थोड़ा जल्दी आ गई थी, इसलिए मम्मी बसस्टौप पर नहीं पहुंच पाई थीं. वान्या का घर स्टौप से 10 मिनट की दूरी पर था.
क्रिसमस वाली रात
\"क्रिसमस का त्योहार आने वाला है और तुम मुंह लटकाए बैठे हो?” रोबिन हिरन को उदास बैठे देख कर कोबी भालू ने पूछा.
होशियार बिल्ली चिंगरी
पापा सयारी और विपुल के व्यवहार में कुछ बदलाव देख रहे थे. उन दोनों ने बाहर जा कर खेलना बिलकुल बंद कर दिया था. वे या तो स्कूल का काम करते या फिर अपने मोबाइल फोन लैपटौप पर समय बिताते थे.
प्रिय सैंटा...
रविवार का दिन था और मैरी घर की सफाई में लगी हुई थी. क्रिसमस आने वाला था और अभी उस की बहुत सारी तैयारी बाकी रह गई थी.