ऑक्सीटोसिन हार्मोन बच्चे के जन्म व जेर गिराने में मदद करने के साथसाथ एक अति आवश्यक दूध उतेक्षेपक हार्मोन भी है जो मुख्यतः अंत: ग्रंथी और गर्भाशय से निकलता है। इसी कारण ऑक्सीटोसिन हार्मोन को विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा आवश्यक ड्रग सूची में शामिल किया गया है। ऑक्सीटोसिन पशुओं की ल्योटी में दूध उतारने की अदभुत क्षमता रखता है। ऑक्सीटोसिन के प्रयोग को लेकर पशुपालकों में बहुत सारी भ्रातियां हैं। इनमें पशुओं के स्वास्थ्य में होने वाले दुष्प्रभाव तथा साथ ही मनुष्यों में ऑक्सीटोसिन के प्रयोग द्वारा प्राप्त दूध के उपभोग से होने वाले तथाकथित दुष्प्रभाव सम्मिलित हैं जिनको तुरंत हल करने की आवश्यकता है। दूध ल्योटी में बनता है और दोहन तक ल्योटी में ही रहता है। ल्योटी में दूध को दो हिस्सों में बांटा जा सकता है, जो हिस्सा थन और बड़ी दुग्ध वाहिनियों में मिलता है उसे सिस्टर्न दूध कहते हैं तथा जो हिस्सा छोटी वाहिनियों और कोष्ठक में होता है उसे कोष्ठक दूध कहते हैं। सिस्टर्न दूध आसानी से ल्योटी से निकल आता है पर कोष्ठक दूध का ल्योटी से निकालना इसलिए जरूरी होता है, क्योंकि अर इस दूध की ल्योटी से न निकाला जाए तो यह ल्योटी में दबाव बनाकर दूध निर्माण की प्रक्रिया को बाधित करता है।
इसके अतिरिक्त ल्योटी में बचे हुए दूध में संक्रमण को रोकने के लिए भी इस दूध का निकालना बहुत ही जरूरी है। कुछ क्रियाएं जैसे बच्चे द्वारा स्तनपान, ल्योटी का धोना व मालिश करना या सहलाना अथवा दूध निकलने से पहले बछड़े को दिखाने पर ऑक्सीटोसिन हार्मोन का स्राव पीयुषिका ग्रंथी के पिछले भाग से होता है। ल्योटी के अंदर पार्श्व संवेदी तंत्रिकाएं होती है जो थन चूसने पर या दोहने पर इन आवेगों को मेरूज्जा से ले जाकर पश्च-पीयुषिका तक पहुंचती है। पीयुषिका में ऑक्सीटोसिन हार्मोन का निर्माण होता है, जहां से यह रक्त द्वारा थन की ग्रंथियों में पहुंचता है और कोष्ठक को संकुचित कर दूध निष्कासन करता है।
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किसानी मसलों का शाश्वत समाधान कैसे हो?
आज के भारतीय किसान संघर्ष ने दुनिया के इतिहास में विलक्षण तारीख लिख दी है। सरकार जितनी जोर के साथ इस संघर्ष को कुचलने का प्रयत्न कर रही है, इस संघर्ष की पकड़ उससे भी ज्यादा मजबूत होती जा रही है।
किसान आंदोलन निर्णय की प्रतीक्षा में...
भारत सरकार ने इस वर्ष किसानों के नाम पर तीन कानून लागू किये हैं। पहला किसान सुशक्तिकरण और संरक्षण कीमत असवाशन और खेती सेवा समझौता कानून, दूसरा किसान उत्पादन व्यापार और व्यापार प्रोत्साहन और सुविधा कानून और तीसरा जरूरी वस्तु (संशोधन) अध्यादेश ।
गोभी वर्गीय फसलों में घातक काला सड़न (ब्लैक रोट) रोग व रोकथाम
पौधों की पत्तियों पर अंग्रेजी के अक्षर वी के आकार के हरितहीन, मुरझाए हुए धब्बे बनने शुरू होते हैं, जो बाद में पूरी पत्ती पर फैल जाते हैं। इस तरह से पत्ती एक और के किनारे से सूखना और मुड़ना आरंभ कर देती है और बाद में सूखकर मर जाती है। पत्तियों की नसें अंदर से काली पड़ जाती हैं। पौधों के तनों के अंदर भी काले रंग का द्रव्य दिखाई पड़ता है जो कि संक्रमण का कारण बनता है।
आखिर क्यों है खेती कानूनों को लेकर किसानों का विरोध?
इन दिनों में किसान खेती कानूनों के विरूद्ध लड़ाई लड़ रहा है, जो उसके अस्तित्व के लिए खतरा बन रहे हैं और जिन्होंने उसको शारीरिक, आर्थिक और भावनात्मिक तौर पर प्रभावित किया है।
पशुपालक की जागरूकता समय की आवश्यकता
पशुपालक गलती करके पीड़ित पशु के मुंह में हाथ डाल बैठते हैं, जिससे वो रेबीज से पीड़ित हो जाते हैं। कुछ पशुओं में पशु धरती पर पांव मार मार के गिरने लगते हैं तथा बेकाबू हो जाते हैं। कुछ पशुओं में अधरंग हो जाता है तथा पशु की मौत भी हो जाती है।
डेयरी पशुओं को खरीदते समय प्रजनन जांच जरूरी क्यों?
कई बार तो ऐसी स्थिति हो जाती है कि पशुपालक मंडी में से पशु को गाभिन समझ कर खरीद कर ले आते हैं, घर में नए आए पशु के पोषण का उचित ध्यान भी रखा जाता है, प्रबंधन में कोई कमी नहीं रखी जाती, पर पशु ब्याहता नहीं है।
कृषि में साइट-विशिष्ट पोषक तत्व प्रबंधन का महत्व
किसान अकसर उर्वरक को एक दर एवं एक समय पर फसलों में डालते हैं जो कि उनकी फसल की जरूरतों के अनुरूप नहीं होता है साइटविशिष्ट पोषक तत्व प्रबंधन उन सिद्धांतों और दिशानिर्देशों को प्रदान करता है
संघर्ष 'अन्नदाता' के अधिकारों का...
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किसान संघर्ष एक नये युग का आगाज
कृषि कानूनों को रद्द करवाने के लिए शुरु हुआ किसान संघर्ष आज आंदोलन का एक रुप धार चुका है। युवक, बच्चे एवं बुजुर्ग काबिल-ए-तारीफ ढंग से दिल्ली में अपनी आवाज़ पहुंचाने में सफल हुए हैं।
कृषि अध्यादेश बनाम किसान
अंकित यादव (शोध छात्र), देवेन्द्र सिंह (असि. प्रो.), अंशुल सिंह (शोध छात्र), सत्यवीर सिंह (शोध छात्र ), चंद्रशेखर आजाद