पिछले कई दशकों से कृषि में जोखिमों की अधिकता के कारण कृषि व्यवसाय को खतरनाक व्यवसाय की श्रेणी में रखा गया है। प्रायः यह देखा गया है कि विभिन्न कृषिरत कार्यों में अधिक समय तक झुककर कार्य करने, नीचे बैठ कर कार्य करने, अत्याधिक भार उठाने पर अनेक प्रकार के अस्थि मज्जा विकास जैसे पीठ व गर्दन के विकार, तंत्रिका तंत्र में दबाव, सिंड्रोम, टेनोसिनोवाइटिस, एपिकॉन्डलाइटिस उत्पन्न होते हैं। कृषि में भारी शारीरिक कार्य, अपर्याप्त तरीके, कार्य करने की गलत तकनीक, उपकरणों की अनुपलब्धता, न केवल अनावश्यक थकान और व्यावसायिक दुर्घटनाओं का कारण बनते हैं अपितु कार्यक्षमता भी कम करते हैं। उपरोक्त कारणों से कृषकों, मुख्यतः महिलाओं में अस्थि मज्जा विकारों के विकास का विशेष खतरा होता है। भारत के ग्रामीण इलाकों में प्रायः कृषि विकास कार्यक्रमों में महिलाओं की सहभागिता नगण्य होती है। अधिकतर कृषि से संबंधित प्रशिक्षण कार्यक्रमों में महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों की भागीदारी अधिक पाई गई है। क्योंकि अधिकतर तकनीकी उपकरणों के विकास में महिलाओं के शारीरिक बनावट का ध्यान ही नहीं रखा गया है अतः ये कम उपयोगी एवं अनुकूल हैं । बदलते पर्यावरण, गलत या अपरियाप्त कृषि उपकरणों के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाएं मांसपेशियों संबंधी विकार और शारीरिक तनाव का अनुभव करती हैं।
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किसानी मसलों का शाश्वत समाधान कैसे हो?
आज के भारतीय किसान संघर्ष ने दुनिया के इतिहास में विलक्षण तारीख लिख दी है। सरकार जितनी जोर के साथ इस संघर्ष को कुचलने का प्रयत्न कर रही है, इस संघर्ष की पकड़ उससे भी ज्यादा मजबूत होती जा रही है।
किसान आंदोलन निर्णय की प्रतीक्षा में...
भारत सरकार ने इस वर्ष किसानों के नाम पर तीन कानून लागू किये हैं। पहला किसान सुशक्तिकरण और संरक्षण कीमत असवाशन और खेती सेवा समझौता कानून, दूसरा किसान उत्पादन व्यापार और व्यापार प्रोत्साहन और सुविधा कानून और तीसरा जरूरी वस्तु (संशोधन) अध्यादेश ।
गोभी वर्गीय फसलों में घातक काला सड़न (ब्लैक रोट) रोग व रोकथाम
पौधों की पत्तियों पर अंग्रेजी के अक्षर वी के आकार के हरितहीन, मुरझाए हुए धब्बे बनने शुरू होते हैं, जो बाद में पूरी पत्ती पर फैल जाते हैं। इस तरह से पत्ती एक और के किनारे से सूखना और मुड़ना आरंभ कर देती है और बाद में सूखकर मर जाती है। पत्तियों की नसें अंदर से काली पड़ जाती हैं। पौधों के तनों के अंदर भी काले रंग का द्रव्य दिखाई पड़ता है जो कि संक्रमण का कारण बनता है।
आखिर क्यों है खेती कानूनों को लेकर किसानों का विरोध?
इन दिनों में किसान खेती कानूनों के विरूद्ध लड़ाई लड़ रहा है, जो उसके अस्तित्व के लिए खतरा बन रहे हैं और जिन्होंने उसको शारीरिक, आर्थिक और भावनात्मिक तौर पर प्रभावित किया है।
पशुपालक की जागरूकता समय की आवश्यकता
पशुपालक गलती करके पीड़ित पशु के मुंह में हाथ डाल बैठते हैं, जिससे वो रेबीज से पीड़ित हो जाते हैं। कुछ पशुओं में पशु धरती पर पांव मार मार के गिरने लगते हैं तथा बेकाबू हो जाते हैं। कुछ पशुओं में अधरंग हो जाता है तथा पशु की मौत भी हो जाती है।
डेयरी पशुओं को खरीदते समय प्रजनन जांच जरूरी क्यों?
कई बार तो ऐसी स्थिति हो जाती है कि पशुपालक मंडी में से पशु को गाभिन समझ कर खरीद कर ले आते हैं, घर में नए आए पशु के पोषण का उचित ध्यान भी रखा जाता है, प्रबंधन में कोई कमी नहीं रखी जाती, पर पशु ब्याहता नहीं है।
कृषि में साइट-विशिष्ट पोषक तत्व प्रबंधन का महत्व
किसान अकसर उर्वरक को एक दर एवं एक समय पर फसलों में डालते हैं जो कि उनकी फसल की जरूरतों के अनुरूप नहीं होता है साइटविशिष्ट पोषक तत्व प्रबंधन उन सिद्धांतों और दिशानिर्देशों को प्रदान करता है
संघर्ष 'अन्नदाता' के अधिकारों का...
संघर्ष 'अन्नदाता' के अधिकारों का...
किसान संघर्ष एक नये युग का आगाज
कृषि कानूनों को रद्द करवाने के लिए शुरु हुआ किसान संघर्ष आज आंदोलन का एक रुप धार चुका है। युवक, बच्चे एवं बुजुर्ग काबिल-ए-तारीफ ढंग से दिल्ली में अपनी आवाज़ पहुंचाने में सफल हुए हैं।
कृषि अध्यादेश बनाम किसान
अंकित यादव (शोध छात्र), देवेन्द्र सिंह (असि. प्रो.), अंशुल सिंह (शोध छात्र), सत्यवीर सिंह (शोध छात्र ), चंद्रशेखर आजाद