पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बढ़ती स्ट्राबैरी की मांग लघु व सीमांत किसानों के लिए वरदान साबित होती जा रही है. फलों का आकार व आकृति प्रजाति पर निर्भर करता है. सामान्य प्रजातियों का फल गोल से कोणाकार आकृति का होता है.
स्ट्राबैरी का फल स्वादिष्ठ और पौष्टिक होता है. इस में विटामिन ए, बी, बी-2, विटामिन सी और खनिज पदार्थों में पोटेशियम, कैल्शियम और फास्फोरस प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं.
जलवायु
भारत में स्ट्राबरी की खेती पहाड़ी और मैदानी क्षेत्रों में की जा रही है. मैदानी क्षेत्रों में इस की फसल सिर्फ सर्दियों में की जाती है, जिस के लिए अक्तूबर नवंबर माह में पौधे लगाए जाते हैं.
जमीन का चुनाव
इस की खेती हलकी रेतीली से ले कर दोमट चिकनी मिट्टी में की जा सकती है, परंतु दोमट मिट्टी और उचित जल निकास वाली जमीन इस के लिए उपयुक्त है.
खेत की जुताई कर के मिट्टी भुरभुरी बना ली जाती है. 60'-30' की उच्चीकृत क्यारी खेत की लंबाई के अनुरूप बना ली जाती है. गोबर की सड़ी खाद 5-10 किलोग्राम और 50 ग्राम उर्वरक मिश्रण यूरिया, सुपर फास्फेट और म्यूरेट औफ पोटाश 2:2:1 के अनुपात में दिया जाता है. यह मिश्रण साल में 2 बार मार्च व अगस्त माह में दिया जाता है.
पौधे लगाने की विधि
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चूहा प्रबंधन घर से खेत तक कैसे करें
हमारे यहां ग्रामीण क्षेत्रों में चूहे को विभिन्न नामों से जाना जाता है. कहीं चुहिया, कहीं मूस, तो कहीं मूसी कहते हैं. चूहा घर व खेतखलिहान तक हानि पहुंचाता है.
उन्नत तकनीकी अपनाने से उत्पादन लागत करे कम
गांव में आज भी कृषि ही आजीविका का मुख्य साधन है. लगातार हो रहे अनुसंधान और नई किस्मों के आने से कृषि के स्तर में विकास हुआ है, लेकिन अब किसानों को खाद, बीज, दवाओं, कृषि औजारों, पानी, बिजली आदि पर अधिक खर्च करना पड़ रहा है.
कौट्रैक्ट फार्मिंग के नाम पर किसानों से ठगी
कृषि सुधार कानून में गड़बड़झाला
सेब के पौष्टिक उत्पाद खाएं भी कमाएं भी
अम्लीय फल सेब पोषक तत्त्वों से भरपूर है. इस के सेवन से केवल ऊर्जा ही नहीं मिलती, बल्कि विभिन्न मैटाबौलिक क्रियाओं के पूरे विकास में भी बहुत मदद मिलती है.
आज के जमाने में केले की खासीयत
आज के खाद्य वैज्ञानिकों ने अपनी रिसर्च में केले को बहुत ज्यादा उपयोगी पाया है. जरमनी के गोली जन विश्वविद्यालय के प्रोफैसर फूडल ने अपनी रिसर्च के आधार पर सलाह दी है कि डिप्रैशन के शिकार आदमी को केले का सेवन करना चाहिए. प्रोफैसर फूडल के मुताबिक, केले में सेरोटोनिन नामक तत्त्व पाया जाता है. इस से मानसिक परेशानियों से छुटकारा मिलता है.
प्याज व लहसुन में कीट और रोग प्रबंधन
प्याज व लहसुन कंद समूह की मुख्य रूप से 2 ऐसी फसलें हैं, जिन का सब्जियों के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण स्थान है. देश में इन की खपत और विदेशी मुद्रा अर्जन में बहुत बड़ा योगदान है.
गन्ने की खेती में नया कीर्तिमान
भारत में ज्यादातर किसान खेती से परेशान हैं. ऐसे में वे मजबूरी में खेती कर रहे हैं. इस की मुख्य वजह कहीं न कहीं उन की उपज का सही दाम न मिल पाना है, जिस्म के चलते उन्हें लगातार घाटा हो रहा है. फिर भी कुछ ऐसे किसान हैं, जो जरा कर के खेतीबारी कर रहे हैं.
केले की खेती ने दिखाई मुनाफे की राह
परंपरागत रूप से हो रही खेती में हर साल लागत बढ़ती जा रही है, पर फसल के सही दाम न मिलने से मुनाफे में कमी आ रही है. सरकार द्वारा फसल का सही समर्थन मूल्य न मिलने व अनाज व्यापारियों द्वारा किसान की फसल औनेपौने दाम पर खरीदने से किसानों की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं. ऐसे में खेती करने के तरीकों में बदलाव की ओर किसानों ने ध्यान देना शुरू कर दिया है.
प्रबंधन तकनीक से किसानों को रोजगार
बागबानी फसलों की तुड़ाई के उपरांत
ड्रिप और मल्चिग पद्धति से शिमला मिर्च की खेती
परंपरागत खेती में रोज ही नएनए तरीके अपना कर किसान उन्नत खेती के साथ मुनाफा ले रहे हैं. ड्रिप और मल्चिग पद्धति से खेती कर के फसलों की पैदावार बढ़ाई जा सकती है. इन के इस्तेमाल से न सिर्फ अच्छा उत्पादन मिलता है, बल्कि खरपतवार नियंत्रण और सिंचाई जल की बचत भी की जा सकती है.
भूलना भूल जाएगा आपका बच्चा
बच्चों के फाइनल एग्जाम्स शुरूहोने वाले और माता-पिता की चिंता बढ़ रही है। अगर आपके बच्चे को भी पढ़ाई की चीजों को याद करने में परेशानी होती है तो कुछ ट्रिक्स इसमें आपकी मदद कर सकते हैं
हरे चारे के लिए जई की खेती
पशुओं के लिए पर्याप्त गुणवत्ता युक्त हरा चारा उपलब्ध न होने की वजह से उनकी उत्पादकता पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है।
युवाओं में बढ़ता जंक फूड्स का क्रेज
कई लोग नाश्ता नहीं करते, काफी सारे फास्ट फूड्स या जंक फूड्स रवाते हैं और बड़े पैमाने पर सप्लीमेंट फूड्स पर ही रहते हैं। ऐसा देखा गया है कि टीनएजर्स ऐसा ज्यादा स्वतंत्र महसूस करने के लिए करते हैं या फिर अपने पैसे से अपनी आजादी का प्रदर्शन करना चाहते हैं।
पौष्टिकता से भरपूर सेंजना की खेती किसान के लिए मुनाफे का सौदा
सहजन, ड्रमस्टिक, मुनगा, सहिजन, सेंजना, मुरिंगा, गठीगना, सिंहफली आदि नामों से जाना जाता है। यह किसानों के लिए एक बहुवर्षीय सब्जी देने वाला जाना-पहचाना पौधा है।
बदलती जनसंख्या के परिदृश्य में मशरूम की खेती का महत्व
पिछले कुछ वर्षों में भारतीय बाजार में मशरूम की मांग तेजी से बढ़ी है, जिस हिसाब से बाजार में इसकी मांग है, उस हिसाब से अभी तक इसका उत्पादन नहीं हो रहा है, ऐसे में किसान मशरूम की खेती कर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। इसे देखते हुए मशरूम के बड़े पैमाने पर उत्पादन की आवश्यकता है।
पौष्टिक एवं संतुलित आहार से पाएं दीर्घायु
तन स्वस्थ तो मन भी स्वस्थ । और यह तभी संभव है जब व्यक्ति को पौष्टिक तथा संतुलित भोजन मिले।
कामकाजी व्यक्तियों का आहार कैसा हो?
रोजमरा की ज़िन्दगी में कामकाजी व्यक्तियों का आहार क्या - क्या होना चाहिए और कैसा ?
आचार्य खिचड़ी
स्वाद की दुनिया से आचार्य खिचड़ी
क्या आप भी ऐसे खाते हैं सलाद? नहीं होगा कोई लाभ
यदि देखा जाए तो हेल्दी फूड में सबसे अधिक डिमांड सलाद की ही होती है । लोगों का मानना है कि कि सलाद सलाद ज़रूर खाना चाहिए । वैसे इसमें कोई दोराय नहीं हेल्दी खाएं ना खाएं कुछ और सेहत के लिए अच्छी होती है । लेकिन इसे कब और कैसे खाया जाना चाहिए ये ज़रूरी होता है । ये बहुत आवश्यक है कि आपको फ्रेश वेजिटेबल्स का उपयोग ही सलाद में करना चाहिए । इसके अलावा चाट मसाला या इसी तरह की सलाद ड्रेसिंग से भी दूर रहना चाहिए । साथ ही फ्रूट सलाद और स्प्राउट्स सलाद को खाने में भी कुछ नियम जुड़े होते हैं । एक बात आपको और भी ध्यान रखना चाहिए कि आप सेंधा नमक का ही उपयोग करें । सामान्य नमक के मुकाबले सेंधा नमक ज़्यादा अच्छा होता है । लोगों को इस बात को लेकर भी असमंजस हो सकता है कि सलाद को सुबह खाएं या रात को? आपको सलाद खाने के पहले खाना चाहिए या खाने के बाद इस बारे में भी जानकारी होना चाहिए । चलिए आपको सलाद से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण तथ्य बताते हैं...
सलाद से लगाएं स्वाद का तड़का
सलाद पौष्टिक आहार का जरूरी हिस्सा है, जिसके जरिए बॉडी को फाइबर्स और पोषक तत्व मिलते हैं। वहीं सलाद में कुछ सब्जियों को मिलाकर इसका स्वाद बढ़ाया जा सकता है।