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वित्त वर्ष 2023 में भारत की जीडीपी में कृषि की हिस्सेदारी घटकर हुई 15%
देश की सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी दर में कृषि सैक्टर की हिस्सेदारी में गिरावट दर्ज की गई है।
2028 से भारत नहीं करेगा दालों का आयात
दिसंबर 2027 तक दलहन के उत्पादन में भारत को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला किया है। देश के किसान ज्यादा से ज्यादा अरहर दाल की खेती कर सकें इसके लिए सरकार ने एक बड़ी स्कीम लांच की है।
नरमे के रोग और उनका निवारण
नरमा खरीफ ऋतु की मुख्य नकदी फसल है, जिसकी बिजाई 15 अप्रैल से जून के पहले पखवाड़े तक की जाती है।
भारत के लकड़ी के पेड़: व्यावसायिक रूप से महत्वपूर्ण प्रजातियों और उद्योगों में उनके महत्व की खोज
लकड़ी के पेड़ की प्रजातियों और उनके आवासों को संरक्षित करने के महत्व को गले लगाना महत्वपूर्ण है। विभिन्न उद्योगों में उनके महत्व को महत्व देकर और टिकाऊ प्रथाओं को लागू करके, हम भारत के जंगलों और जैव विविधता के संरक्षण को बढ़ावा देते हुए भविष्य की पीढ़ियों के लिए इन संसाधनों की निरंतर उपलब्धता सुनिश्चित कर सकते हैं।
फ्रांसबीन (फ्रेंचबीन) की जैविक खेती: किस्में, देखभाल और उत्पादन
फ्रांसबीन (फ्रेंचबीन) फसल के रोगों में जड़ सड़न तथा अंगमारी, श्याम वर्ण, पत्तों का कोणदार धब्बा, फ्लावरी लीफ स्पॉट, क्राऊन सड़न, जीवाणु अंगामरी और मौजेक आदि प्रमुख है।
गेहूँ की खेती में सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी, लक्षण और उपचार
लगभग पांच दशक पहले जब से हरित क्रांन्ति का आगमन हुआ है तब से हमारे किसान भाई अधिक उपज वाली फसलों का उत्पादन निरन्तर करते आ रहे हैं। परन्तु जिस गति से मृदा से पोषक तत्वों का शोषण हो रहा है उस गति से हम खेत में उनकी आपूर्ति नहीं कर पा रहे हैं।
बीज से बीज नियन्त्रण आदेश तक
सौभाग्य से 19.09.2023 को मुझे प्रयागराज की यात्रा में ऑल इंडिया एग्री. इनपुट डीलर्स की गोष्ठी में राष्ट्रीय प्रवक्ता जनाब संजय रघुवंशी, उत्तर प्रदेश राज्य के अध्यक्ष श्री अतुल त्रिपाठी जी एवं सुरेश वर्मा कन्नौज उपाध्यक्ष से मिलने का अवसर मिला और इस समय मुझे भी बीज कानून विषय पर बोलने का अवसर मिला। इस अवसर पर मैंने अपने उदबोधन में बताने का प्रयास किया कि बीज उद्योग बीज उत्पादन विषय लेकर चला था और बीज नियन्त्रण आदेश-1983 तक की यात्रा कैसे की?
प्रदूषण रहित ऊर्जा का स्रोत मेथनॉल
जैव ईंधन उद्योग में भारत और चीन एकमात्र प्रतिभागी हैं। जबकि दक्षिणपूर्व एशियाई देश मुख्य रूप से निर्यात पर ध्यान केन्द्रित करते हैं, जबकि भारत और चीन अपने जैव ईंधन कार्यक्रमों को अपने उत्साही आर्थिक विकास को बनाए रखने और पेट्रोलियम निर्भरता को कम करने के लिए आगे बढ़ रहे हैं।
अनार की खेती - किस्में, रोपाई, पोषक तत्व, सिंचाई, देखभाल, पैदावार
अनार उष्ण कटिबंधीय एवं उप-उष्ण कटिबंधीय प्रदेशों की एक महत्वपूर्ण व्यावसायिक फल वाली फसल है। इसका उत्पति स्थान ईरान है। अनार पौष्टिक गुणों से परिपूर्ण, स्वादिष्ट, रसीला एवं मीठा फल है। जिसे देश के शुष्क वातावरण वाले क्षेत्रों में सफलता पूर्वक उगाया जा सकता है। हमारे देश में इसकी खेती मुख्य रुप से महाराष्ट्र, गुजरात, हरियाणा, राजस्थान, कर्नाटक, आन्ध्र प्रदेश, तमिलनाडू एवं उत्तरप्रदेश राज्यों में की जाती है।
जायद मूंग की उन्नत फसल
दलहनी फसल में मूंग एक महत्वपूर्ण है जिसकी खेती समस्त राजस्थान में की जाती है। जायद मूंग की खेती पेटा काश्त वाले क्षेत्रों, जलग्रहण वाले क्षेत्रों एवं बलुई दोमट, काली तथा पीली मिट्टी जिसमें जल धारण क्षमता अच्छी होती है, में करना लाभप्रद होता है। अंकुरण के लिए मृदा में उचित तापमान होना आवश्यक है। जायद मूंग की बुवाई 15 फरवरी से 15 मार्च के मध्य करना उपर्युक्त रहता है। जायद मूंग की अधिक उपज देने वाली किस्मों का चयन करें। जबकि कुछ किस्मों (जैसे - एस. एम. एल. 668 आदि) की बुवाई मार्च के अन्त तक भी कर सकते हैं।
आम की उन्नत किस्में
आम को फलों का राजा माना जाता है। भारत का राष्ट्रीय फल का दर्जा भी आम को ही मिला हुआ है। आम बहुत ही पुराने समय से भारत में उगाया जाता है। भरत में आम की बागवानी का बड़ा महत्व है। आम के उत्पादन में भारत का विश्व में प्रथम स्थान है। इसकी काश्त उष्ण एवं समशीतोष्ण दोनों प्रकार की जलवायु में अच्छी प्रकार से की जाती है। आम पोष्कात की दृष्टि से विटामीन ए व विटामीन सी का महत्वपूर्ण स्त्रोत है। रेशा और पोटाशियम भी प्रचूर मात्रा में पाया जाता है। इसकी लकड़ी फर्नीचर बनाने में इस्तेमाल होती हैं। कच्चा आम आचार, चटनी आदि बनाने में प्रयोग होता है।
पौधा विज्ञानी डॉ.नटालिया ए.पीरीस
खोज के समय पीरीस ने स्वयं को नींबू के पत्तों पर होने वाले फफूंदीनुमा रोग के लिए एक माहिर के तौर पर स्थापित कर लिया। उन्होंने मौजूद पीसीआर खोज सिस्टम की जांच की और काला धब्बा रोगाणु पहचानने के लिए अपना सिस्टम तैयार किया, इसकी मौजूदा सिस्टम के साथ तुलना की और आमतौर पर नींबू के रोगों को अलग समझा।
आईआईटी नौकरी छोड़ शुरू करने वाले युवा जी.सैकेश गौड़
आजकल युवा अपनी जमी जमायी आराम की नौकरी छोड़कर गांव का रुख कर रहे हैं और खेती-किसानी को करियर विकल्प के तौर पर अपना रहे हैं। हैदराबाद के जी सैकेश गौड़ एक आईआईटी ग्रैजुएट हैं और उन्होंने टेक की नौकरी छोड़ देसी मुर्गियां बेचने के लिए रिटेल मीट सैक्टर में कदम रखा। गौड़ ने रिटेल मीट सैक्टर में एक बेंचमार्क बनाया है, जिसने कई लोगों की चिकन खरीदने के लिए रिटेल मीट की दुकान पर जाने की धारणा को बदल दिया। आज वो हर महीने एक करोड़ से ज्यादा का कारोबार कर रहे हैं।
हकीकत भी बनें उपज की कीमत बढ़ाने के चुनावी वादे
एनडीए सरकार ने प्रांतों की सरकारों को निर्देश दिया था कि वे गेहूं और धान की खरीद के एमएसपी पर कोई बोनस न दें, यह कहते हुए कि यदि उन्होंने ऐसा किया तो केंद्र खरीद समर्थन वापस ले लेगा- तो क्या उच्चतर कीमत को खरीद कीमतों पर पर बोनस के रूप में नहीं देखा जाएगा?
जेनरेटिव एआई कृषि क्षेत्र का बदलेगी दृश्य
भारत, अपने विशाल और विविध कृषि परिदृश्य के साथ, एक तकनीकी क्रांति के शिखर पर है और जेनरेटिव एआई कृषि क्षेत्र को बदलने की क्षमता के साथ एक जादुई गोली के रूप में उभर रहा है। अन्य उद्योगों के विपरीत, भारत में कृषि अब तक एआई जैसी परिवर्तनकारी प्रौद्योगिकियों से काफी हद तक अछूती रही है, लेकिन यह एक जबरदस्त अवसर प्रस्तुत करती है।
किसानों पर कर्ज का बढ़ता बोझ
लोकप्रिय घोषणाओं से कर्ज बढ़ता रहा है। यह बढ़कर 2.52 लाख करोड़ से अधिक हो गया है। पंजाब और हरियाणा अपनी कमाई का 21 फीसदी हिस्सा ब्याज में चुका रहे हैं, जो देश में सर्वाधिक है।
पानी में विषैले पदार्थों का पता लगाने के लिए नई तकनीक
पानी में कई तरह के रसायन हो सकते हैं जो किसी भी जीव के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकते हैं। जिनमें से प्रति और पॉलीफ्लोरोएल्काइल पदार्थ (पीएफएएस), अत्याधिक फ्लोराइड युक्त पदार्थों का एक वर्ग है, जो लोगों और पर्यावरण के लिए खतरा पैदा करता है। इस वर्ग के विशेष रूप से खतरनाक केमिकल, जैसे कि पेरफ्लूरूक्टेन सल्फोनेट (पीएफओएस) और पेरफ्लूरूक्टैनोइक एसिड (पीएफओए) से अंगों को नुकसान और कैंसर की बीमारी हो सकती हैं, साथ ही ये अंत: स्रावी तंत्र के काम को रोक सकते हैं।
क्यों नहीं हो रहा धान का विकल्प?
पराली जलाने का मुद्दा मुख्य रूप से 15 सितंबर से 30 नवंबर की अवधि के बीच उठता है। वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग द्वारा तैयार की गई एक रिपोर्ट के मुताबिक 15 सितंबर, 2023 से 28 नवंबर, 2023 के बीच पंजाब में पराली जलाने की 36,632 घटनाएं सामने आई थीं। वहीं हरियाणा में ऐसी 2,285 घटनाएं दर्ज की गई हैं। वहीं दिल्ली-एनसीआर में जिसमें पंजाब, हरियाणा के हिस्से शामिल हैं उसमें पराली जलाने की 39,129 घटनाएं दर्ज की गई हैं। रिपोर्ट के अनुसार 15 सितंबर से 16 नवंबर, 2023 के बीच हरियाणा के फतेहाबाद में पराली जलाने की सबसे ज्यादा 476 घटनाएं दर्ज की गई। वहीं पंजाब के संगरूर में, इस अवधि के दौरान सबसे ज्यादा 5,352 घटनाएं सामने आई थीं।
किसानों से सीधे मक्का खरीदने पर नजर
सरकार मक्के को एथनॉल मिश्रण कार्यक्रम का एक प्राथमिक उत्पाद बनाने के प्रस्ताव पर विचार कर रही है। इसका कारण यह है कि हर महीने चीनी की आपूर्ति में दिक्कतें बढ़ती जा रही हैं।
दूध दुहने के प्रबंधन में ध्यान देने योग्य बातें
वच्छ दूध का लक्ष्य तभी पूरा हो सकता है जब दूध के बर्तनों को कुशलता से साफ और कीटाणुरहित किया जाएगा। दूध दुहने के बर्तनों को पानी और डिटर्जेंट से अच्छी तरह धोना चाहिए। उन्हें धूप में सुखाने के लिए रखा जा सकता है। यह उन्हें कीटाणुओं से सुरक्षित बनाता है।
कल्लर भूमि के सुधार के उपाय
हरियाणा की भूमि को मोटे तौर पर दो भागों में बांटा जा सकता है - लवणीय व क्षारीय भूमि। लवणीय भूमि में मुख्यतः कैल्शियम, मैगनीशियम, सोडियम के क्लोराइड व सल्फेट से बने नमक की मात्रा अधिक होती है (0.1% ई.सी. ई. 4 डैसीसीमन या मीटर)। ऐसी भूमि को उपयुक्त फसल चक्रों व प्रबन्ध क्रियाओं को अपनाकर सुधारा जा सकता है।
कर्ज और उधारी के भरोसे हैं लोकतंत्र के दिव्य स्वप्न
देहाती कहावत घर में नहीं है दानं, अम्मा चली भुनाने। सौं टका देश के उन पांच राज्यों पर लागू होती है, जहां आगामी दिनों में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं। यह चुनाव उस दौर में हो रहे हैं जब पूरे विश्व की अर्थव्यवस्था अस्थिरता के दौर से गुजर रही है। विश्व में दो बड़े युद्ध चल रहे हैं। लेकिन कर्ज में गले तक डूबे देश के यह चुनावी राज्यों के राजनैतिक दल वोट पाने के लिए उन योजनाओं के सपने दिखा रहे हैं जो विकसित होने वाले इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए कैंसर से कम नहीं हैं।
शीतलहर (सर्दी) से पशुओं को बचाने के लिए पशुपालकों को सलाह
पशुओं को हरे चारे विशेषकर बरसीम या रिजका के साथ तूड़ी अथवा भूसा मिलाकर खिलाएं। इससे पशु स्वस्थ एवं निरोग बना रहेगा और दूध का उत्पादन भी कम नहीं होगा। क्योंकि केवल हरा चारा खिलाने से अफारा तथा अपच होने का भय बना रहता है।
अश्वगंधा उगाएं, अच्छा मुनाफा पाएं
मध्य प्रदेश के नीमच और मंदसौर के बाजार अश्वगंधा के लिए दुनिया भर में लोकप्रिय हैं। हर साल अश्वगंधा की जड़ों की खरीद के लिए आयातक, देश के खरीदार, प्रोसैसर, पारंपरिक चिकित्सक, आयुर्वेदिक और सिद्ध दवा निर्माता इन बाजारों में आते हैं।
गेहूं में मूल्य श्रृंखला प्रबंधन
मौजूदा मूल्य श्रृंखला को मजबूत करने के लिए एक समग्र बहु-हितधारक प्रक्रिया की आवश्यकता है और उत्पादन के वांछित स्तर को प्राप्त करने और बेहतर सामाजिक और आर्थिक प्रभावों को सुरक्षित करने के लिए अनुसंधान-विस्तार-नीति संस्थानों के बीच एक सहक्रियात्मक दृष्टिकोण समय की आवश्यकता है। इसके अलावा, मूल्य श्रृंखला विश्लेषण अनुसंधान को प्राथमिकता देने में मदद करता है।
फूलों की खेती और इसके लाभ
फूलों की खेती को कृषि का उभरता हुआ क्षेत्र माना जाता है और इसमें आय और रोजगार पैदा करने की काफी संभावनाएं हैं। ग्रीनहाउस, शेड नेट, पॉलीहाउस आदि का उपयोग करके संरक्षित खेती के बढ़ते उपयोग के साथ वाणिज्यिक फूलों की खेती लगातार बढ़ रही है।
जुगाली करने वाले पशुओं हेतु पशु चाकलेट की उपयोगिता
अपने देश में विभिन्न स्रोतों से प्राप्त शुष्क पदार्थ में हरे चारे का उत्पादन 12.60 करोड़ टन है, सूखे चारे का उत्पादन 36.50 करोड़ टन है और दाना 3.4 करोड़ टन उपलब्ध है।
मृदा प्रदूषण चिंता का विषय, नैनोकण का खतरा
वर्तमान अनुसंधान खाद्य व अनाज वाली फसलों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण है। उन्होंने बताया कि बढ़ता औद्योगीकरण तथा मानवजनित गतिविधियों को करना अत्याधिक मात्रा में विषाक्त धातुएं कृषि योग्य मिट्टी में आ रही है
सूत्रकृमि प्रबंधन में फसल चक्र का महत्व
सूत्रकृमि प्रबंधन के लिए फसल चक्र के लाभों को अधिकतम करने के लिए, मौजूद विशिष्ट सूत्रकृमि प्रजातियों, उनके द्वारा पसंद किए जाने वाले परपोषी पौधों और विभिन्न फसलों की संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए, फसल चक्र अनुक्रम की सावधानीपूर्वक योजना बनाना आवश्यक है।
उपभोक्ता न्यायालय एवं बीज के मामले (प्रथम कड़ी) आवश्यक सावधानियाँ
प्रशासन निजी बीज उत्पादकों द्वारा उत्पादित बीज के आँकड़े लेकर उत्पादन स्तम्भ बनाते हैं और अधिकारी अपनी पीठ थपथपाते हैं परन्तु निजी उद्यमियों को वह मान-सम्मान नहीं मिलता जिसके वे अधिकारी हैं बल्कि उन्हें बड़ी हेय दृष्टि से देखा जाता है। हर बीज व्यापारी अपनी शाख बनाने के लिए भारतीय बीज कानूनों की पालना करते हुए उत्तम ही नहीं उत्तमोतर बीज तैयार करता है और देश तथा राज्यों में उत्पादन स्तम्भ बनाने के लिए सहायक सिद्ध होता है।