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श्रीराम की वनवास यात्रा का भौगोलिक परिचय
Jyotish Sagar
|January 2024
भगवान् श्रीराम का यौवराज्याभिषेक कैकेयी के तीन वर माँगने के कारण न केवल स्थगित हुआ, वरन् उन्हें 14 वर्ष वनवास भी भोगना पड़ा। ये 14 वर्ष उन्होंने भ्राता लक्ष्मण एवं पत्नी सीता के साथ मध्य एवं दक्षिण भारत के दुर्गम वनों में व्यतीत किए।
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वस्तुतः भगवान् श्रीराम की अधिकांश लीला इन्हीं 14 वर्षों में हुई थी। अपने अवतार के उद्देश्य को उन्होंने इसी अवधि में पर्ण किया था। वाल्मीकि रामायण में राम की वनवास यात्रा का वर्णन तत्कालीन भारत की भौगोलिक एवं राजनीतिक स्थिति का परिचय भी करवाता है। अयोध्या से भगवान् राम, सीता एवं लक्ष्मण सुमन्त्र के साथ रथ पर सवार होकर निकले थे। गिरिधर कृत अब्दरामायण के अनुसार वनवास की यात्रा वैशाख शुक्ल प्रतिपदा को आरम्भ हुई थी। वाल्मीकि रामायण में उल्लेख है कि यौवराज्याभिषेक चैत्र मास तथा पुष्य नक्षत्र में किया जाना था। चैत्र मास में पुष्य नक्षत्र शुक्ल पक्ष की नवमी से एकादशी तिथि के मध्य आता है। नवमी रिक्ता तिथि होने तथा एकादशी के नन्दा तिथि होने के कारण विद्वानों की मान्यता है कि पूर्णा तिथि अर्थात् दशमी को पुष्य नक्षत्र में यौवराज्याभिषेक किया जाना था।
Dit verhaal komt uit de January 2024-editie van Jyotish Sagar.
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