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टिया के जूतों की रेस

Champak - Hindi

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August First 2025

हर रात, जब चांद निकलता तो टिया गहरी नींद में सो जाती.

- रितु जैन

टिया के जूतों की रेस

उस के सोने के बाद बेड के नीचे कुछ अजीबोगरीब घटना घटती.

उस के लालसफेद जूते सक्रिय हो उठते. वे अपनी उंगलियां हिलाते, फीते खींचते और एकदूसरे से सटते हुए पूछते, “क्या टाइम हो गया है?”

जब उन्हें यकीन हो जाता कि टिया सचमुच सो गई है और वह धीरेधीरे खर्राटे ले रही है, तो उस की नाक तक ओढ़ा हुआ कंबल बाहर निकल आता और उन का रोमांच शुरू हो जाता.

टिया को अपने जूते साफ रखना बहुत पसंद था. उन पर कोई कीचड़ नहीं, कोई खरोंच नहीं, कोई गड्ढा नहीं, लेकिन उस के जूतों के सपने बिलकुल उलट थे.

imageवे गलियारों से तेजी से गुजरते और परिवार की बिल्ली के चारों ओर दबे पांव घूमते थे, जो कभीकभी अपना दरवाजा खोलती थी, लेकिन वह उन का पीछा करने की कभी परवाह नहीं करती थी.

जूतों ने वह सब किया, जो टिया ने उन्हें कभी नहीं करने दिया. वे गड्ढों में नाचते और कीचड़ भरे धब्बों में कूदते. एक बार तो वे उस के पापा की कार की छत पर भी उछल पड़े, हालांकि वह रोमांच एक जोरदार आवाज और घबराहट में बरामदे के नीचे वापस भागने के साथ खत्म हुआ.

किसी भी चीज से ज्यादा जूतों को साथ रहना पसंद था. बाएं और दाएं पैर के जूते सब से अच्छे दोस्त थे. एकदम घनिष्ठ साथी. एक घूमता, तो दूसरा भी घूमता. एक छलांग लगाता, तो दूसरा जमीन पर गिर जाता. वे कभी अलग नहीं होते थे.

एक अजीब रात थी.

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