![कानून के निशाने पर पेट्स लवर](https://cdn.magzter.com/1338803896/1663001668/articles/BpRU9yWt01663072092815/1663072457691.jpg)
शहरों में 'पेट्स लवर्स' की संख्या बढ़ती जा रही है. इन में कुत्ते के साथसाथ बिल्ली और दूसरे पेट्स भी आते हैं. कुत्ते को ले कर कई बार पड़ोसियों में आपस में झगड़े होने लगते हैं. कई बार लोग शौकिया पेट्स पाल लेते हैं, फिर आवारा छोड़ देते हैं. छोटे डौग्स को खिलौने जैसा समझने लगते हैं. मगर अब ऐसा करने वाले सावधान हो जाएं. अब सरकार पशु क्रूरता निवारण अधिनियम का सख्ती से पालन कराने लगी है. पशु अधिकारों के लिए मेनका गांधी ने बड़ी लड़ाई लड़ी. उस के बाद अब तमाम एनजीओ ऐसे बन गए हैं जो पशु अधिकारों की लड़ाई लड़ने लगे हैं.
ऐसे में कोई भी गलती करना पशुओं को पालने वाले पर भारी पड़ सकती है. सरकारी कर्मचारी सड़कों पर घूम रहे पशुओं का भले ही ध्यान न रखें, लेकिन अगर पशु पालने वा खिलाफ कोई शिकायत मिलेगी तो वे अपनी मनमानी पर उतर आएंगे. काला हिरन का शिकार करना फिल्म स्टार सलमान खान को भारी पड़ चुका है.
लखनऊ का चर्चित पिटबुल कांड
पेट्स पालने वालों में सब से अधिक संख्या डौग पालने वालों की होती है. ये जहां रहते हैं वहां इन के पड़ोसी परेशान रहते हैं. इस की सब से बड़ी वजह यह है कि अब लोग खतरनाक किस्म के डौग पालने लगे हैं, जिन को देख कर ही लोग डर जाते हैं खासकर बच्चे बहुत डरते हैं. इस के अलावा कई बार डौग घरों के आसपास गंदगी करते हैं. ऐसे में डौग लवर जिस भी सोसाइटी में रहते हैं वहां लोगों के निशाने पर रहते हैं. सोसाइटी और अपार्टमैंट्स में भी इन के लिए अलग नियम बन गए हैं.
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के कैसरबाग महल्ले में एक घर में पिटबुल और लैब्राडोर प्रजाति के 2 डौग पले हुए थे. घर में एक जवान लड़का अमित त्रिपाठी और उस की 82 साल की बूढी मां सुशीला त्रिपाठी रहती थीं. मां टीचर के पद से रिटायर थीं. बेटा जिम ट्रेनर के रूप में काम करता था. एक दिन घर में मां अकेली थीं. पता नहीं किन हालात में पिटबुल प्रजाति वाले कुत्ते ने उन्हें काट लिया.
इस के बाद उन की बौडी से खून ज्यादा निकल गया और जब तक कि बेटे को पता चला काफी देर हो चुकी थी. वह अपनी मां को ले कर अस्पताल गया. वहां पता चला मां की मौत हो चुकी है.
この記事は Grihshobha - Hindi の September First 2022 版に掲載されています。
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![आजादी सिर्फ आदमियों के लिए नहीं](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/861/1728448/qq1htPDYY1718105958507/1718106023380.jpg)
आजादी सिर्फ आदमियों के लिए नहीं
पैट डॉग्स आदमी का साथी सदियों से रहा है पर जब से आदमी ने गांवों को छोड़ कर घने शहरों की बस्तियों और फिर बहुमंजिले मकानों में रहना शुरू कर दिया है, मैन ऐनिमल कंपीटिशन चालू हो गया है.
![यहां मायावी मकड़जाल है](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/861/1728448/OvlW6FMNK1718105851846/1718105958339.jpg)
यहां मायावी मकड़जाल है
ई कॉमर्स के हजार गुण हों पर ई असलियत में यह एक तरह की साजिश है जिस में सस्ती लेबर का इस्तेमाल कर के खातेपीते लोगों को घर से निकले बिना सब सुविधाएं दिलाना है. ई कॉमर्स का मुख्य धंधा एक तरफ वेयर हाउसिंग, स्टैकिंग और डिलिवरी पर निर्भर है तो दूसरी ओर ग्राहकों को मनमाने प्रोडक्ट घर बैठे पाने के लालच में खरीदने के लिए एनकरेज करना है.
![औरतों को गुलाम बनाए रखने की साजिश](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/861/1728448/5SMnmwLJK1718105713090/1718105850025.jpg)
औरतों को गुलाम बनाए रखने की साजिश
पिछले छले आम चुनावों में तरहतरह से मतदाताओं को प्रलोभन देने और हर वोट की कीमत है, समझ कर सभी पार्टियों ने परस्पर विरोधी बातें भी कहीं पर फिर भी जड़ों में अंदर तक जमा भेदभाव पिघला नहीं. देश का बड़ा वर्ग मुसलमानों, दलितों को ही अलगअलग रखता रहा. इन की ही नहीं सवर्णों व ओबीसी यानी पिछड़ों की औरतों को भी निरर्थक समझता रहा.
![मोबाइल जब फोबिया बन जाए](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/861/1728448/LIrFeUXNC1718105466833/1718105667495.jpg)
मोबाइल जब फोबिया बन जाए
क्या आप भी हर समय अपने फोन में लगे रहते हैं, तो आइए जानते हैं क्या हैं इस के नुकसान...
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इंडियन ब्राइडल फैशन शो और क्राफ्ट कला प्रतियोगिता का आयोजन
दिल्ली प्रैस की पत्रिका 'गृहशोभा' द्वारा समयसमय पर महिलाओं को ले कर अनेक छोटेबड़े आयोजन होते रहते हैं. इन आयोजनों के लिए 'गृहशोभा' एक मजबूत मंच है.
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सैक्स के बिना नीरस है दांपत्य
सैक्स को ले कर अकसर गलत और भटकाने वाली बातें होती हैं. मगर क्या आप जानते हैं इसके फायदों के बारे में...
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क्राइम है सैक्सुअल हैरसमैंट
शिक्षा ने महिलाओं के विकास और बराबरी का मार्ग तो प्रशस्त किया है, लेकिन कई बार उन्हें कितनी भारी कीमत चुकानी पड़ती है, जान कर हैरान रह जाएंगे आप...
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सुखसुविधा से संपन्न जिंदगी जी रहे हैं मगर खुश नहीं रह पाते, तो यह जानकारी आप के लिए ही है...
![गृहशोभा एम्पावर मौम्स इवैंट](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/861/1728448/KRRi3uewW1718103902454/1718104331289.jpg)
गृहशोभा एम्पावर मौम्स इवैंट
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![संस्कार धर्म का कठोर बंधन](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/861/1728448/b3PMwUniX1718103760866/1718103899129.jpg)
संस्कार धर्म का कठोर बंधन
व्यावहारिकता के बजाय संस्कारों के नाम पर औरतों को गुलाम रखने की एक साजिश सदियों से चली आ रही है. आखिर इस के जिम्मेदार कौन हैं...