बात कोविड के समय की है. सोशल मीडिया पर बहुत सारे शोक संदेश लोग दे रहे थे. मोहनलाल नामक एक व्यक्ति रेलवे से रिटायर हुए थे. उन के बेटे मदन ने अपनी फेसबुक पर उन की फोटो पोस्ट की जिस में उन के गले में फूलमाला पड़ी हुई थी. बेटे मदन ने लिखा पिताजी रिटायर हो गए. सफलतापूर्वक नौकरी की. उस के नीचे कमैंट में कई लोगों ने शोक संदेश लिख दिए. कुछ ने लाइक भी कर दिया.
शोक संदेश देने में जल्दी का कोई महत्त्व समझ नहीं आया. कई बार छोटेबड़े सभी के साथ ऐसा हो गया कि वह अस्पताल में भरती है. किसी ने उस के मरने की अफवाह उड़ा दी. ऐसे में बिना सच का पता किए लोगों ने शोक संदेश देने शुरू कर दिए. बाद में पता लगा कि वह इंसान तो अभी जिंदा है. पहली बात बिना किसी सच को जाने ऐसे संदेश देना बहुत ही गलत बात होती है. इस से बचना चाहिए.
この記事は Sarita の February Second 2024 版に掲載されています。
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50 प्लस की एंड यंग हौट ब्यूटीज
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