दीपावली, दीवाली, दीप पर्व या दीपोत्सव कुछ भी कह लीजिए, यह दीयों और रोशनी का त्योहार है. दीप वह जो अज्ञान और मन के अंधेरों को दूर करता है. सच तो यह है कि दीप हम स्वयं ही हैं ओर ज्योति हमारे अंदर ही प्रदीप्त होनी है. यही दीवाली का असली मर्म है.
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से प्रकाश यानी रोशनी ऊर्जा का एक रूप है. पौधों से ले कर जीवजंतु तक के भोजन और जीवन के लिए प्रकाश की आवश्यकता होती है. बिना इस के पेड़पौधे अपना भोजन बना ही नहीं सकते क्योंकि प्रकाश संश्लेषण (फोटोसिंथेसिस) का अर्थ ही है फोटो, प्रकाश या ज्योति जिस से निर्माण कार्य संपन्न होता है. प्रकाश के बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती. अमावस्या की अंधेरी रात में दीये जला कर हम यही रोशनी यानी प्रकाश को प्रतीकात्मक रूप से अपने जीवन में लाते हैं.
बहुत से लोगों को लगता है कि दीवाली एक धार्मिक त्योहार है यानी इस का धर्म से गहरा जुड़ाव है. पूजापाठ, लक्ष्मीपूजन विधिविधान ज्यादा अहम हैं पर इस में पूरा दिन लगा देना अनुचित है. दीवाली तो हंसीखुशी और रोशनी का त्योहार है. यह दिन हमें एक पारंपरिक प्रथा के रूप में मिला है जिस में हम अपनी सालभर की जिंदगी की बोरियत दूर करते हैं, दिल और दिमाग में रोशनी भरते हैं और अपनों से मिलतेजुलते हैं, परिवार, रिश्तेदारों, पड़ोसियों और दोस्तों के साथ समय बिताते हैं. उन के सान्निध्य का खूबसूरत एहसास महसूस कर पाते हैं. इस तरह हमारी जिंदगी में एक ऊर्जा और रोशनी का संचार होता है. हम एक नया उत्साह महसूस करते हैं. यही असली दीवाली है.
दीवाली को सिर्फ हिंदुओं का त्योहार न मानें. इस तरह के त्योहार तो एक पूरे समूह द्वारा मनाए जाते हैं, जैसे क्रिसमस और न्यू ईयर. अगर आप के पड़ोस में किसी और धर्म के लोग हैं तो आप उन के साथ भी दीवाली मनाएं. उन्हें दीवाली की मिठाई दीजिए. जरूरतमंदों में गिफ्ट बांटिए और अपने घर को रोशन कीजिए. मिठाइयां खाना, मिलनामिलाना, हंसीमजाक करना, प्यार बांटना यही तो दीवाली है. इस से एकदूसरे के बीच प्यार और जुड़ाव बढ़ता है. दीवाली का पहला मकसद भी यही है.
この記事は Sarita の November First 2023 版に掲載されています。
7 日間の Magzter GOLD 無料トライアルを開始して、何千もの厳選されたプレミアム ストーリー、8,500 以上の雑誌や新聞にアクセスしてください。
すでに購読者です ? サインイン
この記事は Sarita の November First 2023 版に掲載されています。
7 日間の Magzter GOLD 無料トライアルを開始して、何千もの厳選されたプレミアム ストーリー、8,500 以上の雑誌や新聞にアクセスしてください。
すでに購読者です? サインイン
50 प्लस की एंड यंग हौट ब्यूटीज
बढ़ती उम्र के साथ व्यक्ति की सुंदरता कम होने लगती है. उम्र के साथ चेहरे पर लकीरें नजर आना और शरीर में थोड़ी चरबी का बढ़ना आम बात है. लेकिन फिल्म जगत में ऐसी कई अदाकाराएं हैं जिन्होंने अपनी खूबसूरती से उम्र को मात दी है. बढ़ती उम्र के साथ ये ऐक्ट्रैसेस और ज्यादा खूबसूरत होती जा रही हैं.
खुशी हमारी मुट्ठी में
जिंदगी में हमेशा खुश रहने के साथ स्वस्थ, सक्रिय व संतुष्ट जीवन बिताना चाहते हैं, तो यह जानकारी आप के लिए ही है.
मैट्रो और मोबाइल
मोबाइल का गलत उपयोग करना कितना गलत परिणाम देता है, यह मुझे तब पता चला जब मैं एक दिन मैट्रो में सफर कर रहा था. विश्वास न हो खुद ही जान लीजिए ताकि आप को भी एहसास हो ही जाए.
करीबी रिश्ते में खटास लाए बीमारियां
रिलेशनशिप में खटास न सिर्फ मैंटल हैल्थ को प्रभावित करती है बल्कि फिजिकल हैल्थ पर भी इस का बुरा असर पड़ता है क्योंकि इस से होने वाले स्ट्रैस से कई तरह की बीमारियां पनपने लगती हैं.
एबौर्शन का फैसला औरत का ही हो
भारत के अनाथाश्रमों में लाखों की संख्या में ऐसे नवजात शिशु पल रहे हैं जिन को पैदा कर के मरने के लिए सड़कों, कूड़े के ढेर, नालियों व गटर में फेंक दिया गया. क्यों? क्योंकि समय पर गर्भवती अपना गर्भ गिराने में नाकाम रही और मजबूरन उसे अनचाहे बच्चे को जन्म देना पड़ा.
क्यों घर से भाग कर पछताती नहीं लड़कियां
कम उम्र की लड़कियों के घर से भागने की वजहें, थोड़ी ही सही, बदल रही हैं. माना यह जाता है कि लड़कियां आमतौर पर फिल्मों में हीरोइन बनने के लिए भागती हैं और नासमझी के चलते कोई भी उन्हें इस बाबत बहका लेता है.
दहेज से जुड़ी मौतें जिम्मेदार कौन
दहेज हत्या मामले में अकसर लड़के और उस के घर वालों को हिरासत में ले लिया जाता है. मगर क्या सही में दहेज से जुड़े मामलों में हमेशा सारा दोष लड़के या उस के घर वालों का ही होता है? कई बार इस के लिए दोषी खुद लड़की, उस के घर वाले और हमारा समाज भी होता है.
एकादशी महात्म्य - एकादशियों की ऊलजलूल कथाएं बनाम लूट का साधन
एकादशी के कर्मकांड अधिकतर संपन्न व खातापीता तबका करवाते दिखाई देता है. वे बड़े चाव से इस की ऊलजलूल कथाएं सुनते हैं, लेकिन शायद ही वे इस पर कोई सार्थक विमर्श कर पाते हैं या सवाल खड़े कर पाते हैं. अगर वे चिंतनशील होते तो जान जाते कि कैसे एकादशी कर्मकांड पंडों के लूट का साधन के सिवा और कुछ नहीं.
गुड गवर्नेस को मुंह चिढ़ाता पेपर लीक
'मैं अब और जीना नहीं चाहता, मेरा मन भर गया है. मेरी मौत के बाद किसी को परेशान न किया जाए. मैं ने अपनी बीएससी की डिग्री जला दी है. ऐसी पढ़ाई का क्या फायदा जो एक नौकरी न दिला सके.' पेपर लीक से परेशान व निराश युवा बृजेश पाल ने अपनी जान दे दी. यह उत्तर प्रदेश के कन्नौज के रहने वाले बृजेश पाल की ही व्यथा नहीं है, देश के कई मजबूर व बेरोजगार नौजवानों की भी यही कहानी है.
प्रज्वल रेवन्ना - राजनेता और पोर्न फिल्मों का धंधेबाज
पोर्न फिल्में अब हर किसी की जरूरत बन चुकी हैं. लोग इन्हें उत्तेजना के लिए भी देखते हैं और कई इन्हीं के जरिए जिज्ञासाएं शांत करते हैं. यह देह व्यापार की तरह का अपराध है जिसे कानूनन तो क्या, किसी भी तरीके से बंद नहीं किया जा सकता. वजह, इस का नैसर्गिक होना है. टैक्नोलौजी ने इस की पहुंच सस्ती और आसान भी कर दी है. पोर्न इंडस्ट्री की अपनी अलग दुनिया है लेकिन इस में हलचल तब मचती है जब प्रज्वल रेवन्ना जैसी कोई हस्ती इस में इन्वाल्व पाई जाती हैं.