अचानक बढ़े सूरज के तेवरों के साथ सियासी तुर्शी भी छलांग ले रही है। 2024 के लोकसभा चुनाव के पहले चरण (19 अप्रैल) के खत्म होने के साथ मानो सियासी उफान उतावला करने लगा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 21 अप्रैल को राजस्थान की एक सभा में कांग्रेस के घोषणा-पत्र का जिक्र कुछ इस अंदाज में किया, जिससे ध्रुवीकरण को हवा मिलने की उम्मीद पाली जा सकती है। उधर, कांग्रेस सहित करीब 27 क्षेत्रीय दलों ने अपनी एकजुटता के प्रदर्शन के लिए दूसरी रैली रांची में की। दरअसल पहले चरण के मतदान से कुछ ऐसे संकेत मिले, जिससे कमोबेश कई तरह के फासले गहरे होते दिखने लगे। एक तो, चुनाव में लोगों की उदासीनता, खासकर हिंदी पट्टी में सियासी पार्टियों की पेशानी पर बल पैदा कर रही है। दूसरी तरफ उत्तर और दक्षिण की सियासी हवा अलग दिशाओं में बहती नजर आ रही है। ऐसे में सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) और विपक्षी इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इनक्लूसिव एलायंस ('इंडिया') दोनों में अपने-अपने लाव-लश्कर, रणनीतियों को मजबूत करने या नई शक्ल देने की जरूरत का गहरा एहसास जग गया। इसकी पहली वजह तो पहले चरण की सबसे विस्तृत और सबसे ज्यादा 102 संसदीय सीटों पर मतदान प्रतिशत में चौंकाने वाली गिरावट है। इस अंक के बाजार में आने तक दूसरे चरण की 89 सीटों पर वोटिंग (26 अप्रैल) खत्म होने को होगी। ये चरण दोनों ही दावेदार गठबंधनों के लिए अहम हैं। पहले चरण में पश्चिमी उत्तर प्रदेश, राजस्थान, बिहार, मध्य प्रदेश के अलावा महाराष्ट्र में मतदान प्रतिशत में औसतन पांच प्रतिशत और कई जगहों पर दस प्रतिशत तक गिरावट देखी गई (देखें, चार्ट), लेकिन दक्षिण के तमिलनाडु और बंगाल तथा पूर्वोत्तर के राज्यों में अपेक्षाकृत काफी कम औसतन दो प्रतिशत ही कमी दिखी।
कम मतदान का दंश
この記事は Outlook Hindi の May 13, 2024 版に掲載されています。
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जौनपुर
इतिहास की गोद में ऊंघता-सा एक शहर है, उत्तर प्रदेश का जौनपुर। पुराने शहरों के साथ अक्सर ऐसा होता है कि वे किसी मील के पत्थर से यू टर्न लें और सभ्यता की सामान्य दिशा से उल्टी दिशा में चल पड़ें।
समय की गति की परख
इस संग्रह का महत्वपूर्ण पक्ष यह है कि कवि यहां अस्तित्ववाद के प्रश्नों से रूबरू होते हैं। निजी और वृहत्तर तौर पर जीवन को इस विमर्श के घेरे में लाकर कवि अस्तित्व से संबंधित प्रश्नों का उत्तर पाने का प्रयास करता है।
प्रकृति का सान्निध्य
वरिष्ठ कवयित्री सविता सिंह का नया संग्रह ‘वासना एक नदी का नाम है’ स्त्री-विमर्श को नई ऊंचाई पर ले जाता है।
आजाद तवायफ तराना
तवायफों पर आई नई वेबसीरीज हीरामंडी ने फिर कोठेवालियों और देवदासियों के साथ हिंदुस्तानी सिनेमा के रिश्तों की याद दिलाई
अगला द्रोण कौन
टीम इंडिया में अर्जुन तो बहुत, उन्हीं को संवारने के लिए एक ऐसे कोच की तलाश, जो टीम को तकनीकी-मानसिक मजबूती दे सके
ममता दीदी की दुखती रग
इस चुनाव में अपनी पार्टी के नेताओं का भ्रष्टाचार ही ममता की सबसे बड़ी चुनौती
हवा का रुख दोतरफा
ईडी की कार्रवाइयों और जनता के मुद्दों पर टिका है चुनाव
तीसरी बारी क्यों
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क्या बदलाव होने वाला है?
इस बार उत्तर प्रदेश के लोकसभा चुनाव में सवर्णों को अपने धर्म और वर्चस्व की चिंता दिख रही है, तो अवर्ण समाज के दिल को संविधान और लोकतंत्र का मुद्दा छू रहा
किस ओर बैठेगा जनादेश
बड़े राज्यों में कांटे के मुकाबले के मद्देनजर 4 जून को नतीजों के दिन ईवीएम से निकलने वाला जनादेश लगातार तीसरी बार एनडीए को गद्दी सौंपेगा या विपक्षी गठजोड़ 'इंडिया' के पक्ष में बदलाव की बानगी लिखेगा, यह लाख टके का सवाल देश की सियासत की अगली धारा तय करेगा