दहल उठा हरदा
Outlook Hindi|March 04, 2024
राज्य में अवैध कारखानों और उनमें होने वाले हादसों का थम नहीं रहा सिलसिला
अनूप दत्ता
दहल उठा हरदा

चार दशक पहले हुए ऐतिहासिक भोपाल गैस हादसे की भयावह स्मृतियां बीती 6 फरवरी को एक बार फिर लौट आईं जब यहां से महज डेढ़ सौ किलोमीटर की दूरी पर स्थि‍त हरदा शहर धधक उठा। इस बार फिजाओं में रातोरात चुपचाप फैलने वाली कोई जहरीली गैस नहीं थी, बल्कि हरदा-मगरधा रोड पर 35 नंबर वॉर्ड की एक अवैध पटाखा फैक्ट्री में रखा 15 टन बारूद सुलग उठा। इस विस्फोट का विनाशक असर पैंतीस किलोमीटर  के दायरे में हुआ। मकानों की खिड़कियों के कांच टूट-टूट कर गिरने लगे। चंद मिनटों के भीतर एक के बाद एक इतने धमाके हुए कि लगा कोई ज्वालामुखी फूट पड़ा हो। पूरे शहर में अफरातफरी मच गई। हादसे के वक्त लोगों की आवाजाही ज्यादा थी और कम से कम सौ लोग कारखाने में काम कर रहे थे, इसलिए लोगों और स्थानीय विधायक की मानें तो इस हादसे में सैकड़ों जानें गई हैं, हालांकि सरकारी आंकड़ा अभी केवल 13 तक पहुंचा है। घायलों की अधिकारिक संख्या 200 के ऊपर है और लापता लोगों की कोई गिनती नहीं है क्योंंकि आसपास के खेतों में बिखरे हुए शवों और शरीर के अंगों के साथ मलबे में से अब तक लाशों का निकलना जारी है।

हरदा की तहसीलदार लवीना घागरे का कहना है कि इस फैक्ट्री की पूर्व में हुई शिकायत के बाद जांच भी हुई थी और इसे सील भी किया गया था, लेकिन फैक्ट्री मालिक अपने राजनीतिक संपर्कों का लाभ उठाकर यहां सुतली बम और पटाखे बना रहा था। घटना की भयावहता और मीडिया रिपोर्टिंग में सरकारी आंकड़ों पर सवाल के चलते राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने 7 फरवरी, 2024 को घटना का स्वत: संज्ञान लेते हुए मध्य प्रदेश के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक को नोटिस जारी कर चार सप्ताह के भीतर मामले में विस्तृत रिपोर्ट मांगी है।

इस मामले में फैक्ट्री के मालिक राजेश अग्रवाल, सोमेश अग्रवाल सहित पर्यवेक्षक रफीक खान और तीन अन्य लोगों को भारतीय दंड संहिता की धारा 304 (गैर इरादतन हत्या के लिए सजा), 308 (गैर इरादतन हत्या का प्रयास) और अन्य प्रासंगिक प्रावधानों के तहत गिरफ्तार किया गया है।

この記事は Outlook Hindi の March 04, 2024 版に掲載されています。

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