दिलचस्प पहेली है. ऐसा कैसे है कि जिस भारत के पास दुनिया के कुछ सबसे जानदार रॉकेट विज्ञान और बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम हैं, उसके पास देश में डिजाइन की गई विश्वस्तरीय असॉल्ट राइफल नहीं है, जो थल सेना का बुनियादी हथियार है. वजहें कई और मिली-जुली हैं-देसी डिजाइन में लगातार खामियां, भारतीय सेना की ऊहापोह कि उसे आखिरकार किस किस्म का हथियार चाहिए, और हथियार निर्माताओं की तरफ से बेजा मांगें. दुनिया में छोटे हथियारों (जिसमें असॉल्ट राइफलें आती हैं) का सबसे ज्यादा इस्तेमाल भारत में होता है. फिलहाल करीब बीस लाख राइफलें इस्तेमाल में हैं. भारतीय सेना और पैरामिलिटरी फोर्स आइएनएसएएस (इंडियन स्मॉल आर्म्स सिस्टम, भारतीय जवानों को दिया जाने वाला मानक निजी हथियार ) या इनसास, एम4ए1 एके-47, कार्बाइन, टी91 असॉल्ट राइफल, सिग सॉर 716 और टवोर सरीखी कई तरह की असॉल्ट राइफलें इस्तेमाल करते हैं. भारत की छोटे हथियारों की फेहरिस्त में बड़ा हिस्सा इनसास का है, जिनका करीब दस लाख की तादाद में इस्तेमाल किया जा रहा है. सशस्त्र बल तीनों सेनाओं के लिए 8,10,000 असॉल्ट राइफलों का इस्तेमाल करते हैं, जिनमें से अकेले सेना 7,60,000 राइफलें काम में लाती है.
この記事は India Today Hindi の February 14, 2024 版に掲載されています。
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