उन्नीस साल पहले प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की मौजूदगी में हमने दो दिन का कॉन्क्लेव शुरू किया, जिसकी थीम थी 'बिल्डिंग ऐन इंडियन सेंचुरी' या भारतीय सदी का निर्माण. हमें पता था कि यह विचार आकांक्षी है, पर आजमाने लायक था. हैरत तो तब हुई जब वक्ताओं की आकाशगंगा ने न केवल विचार का अनुमोदन किया बल्कि भारतीय सदी के निर्माण के रास्ते भी बताए. उनमें प्रधानमंत्री वाजपेयी, विपक्ष की नेता सोनिया गांधी, मुकेश अंबानी, रघुराम राजन और कोलिन पॉवेल तथा कई अन्य हस्तियां शामिल थीं.
उससे अगले साल थीम थी 'भारत: ग्लोबल जायंट ऑर पिग्मी' यानी भारत वैश्विक दिग्गज है या बौना. धूमधान से भरी उस रात के वक्ता थे राष्ट्रपति बिल क्लिंटन. उन्होंने हमें यह कहने के लिए प्रोत्साहित किया, और मैं उद्धृत करता हूं, "दुनिया भारत का बौना होना गवारा नहीं कर सकती. आपको दिग्गज होना होगा और सही किस्म का दिग्गज. " 21वीं सदी के दो दशक बीत चुके हैं, और वह दिग्गज आ गया है.
यह भारत का समय है.
अर्थव्यवस्था से लेकर भूराजनीति और मनोरंजन से लेकर खेल त भारत का ग्राफ ऊपर उठ रहा है. आइए, कुछ अहम घटनाक्रमों पर नजर डालते हैं, यह देखने के लिए कि भारत ने इस सदी में अब तक किस तरह करवट ली है.
साल 2000 में भारत की अर्थव्यवस्था डॉलर मूल्य में अमेरिकी अर्थव्यवस्था के 5 फीसद से भी कम थी. आज यह 14 फीसद है. पिछले साल भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया. हम दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था भी हैं. हाल में हम 1.4 अरब लोगों के साथ दुनिया के सबसे ज्यादा आबादी वाले देश भी बन गए, जिनमें से 1 अरब लोग 35 साल से कम उम्र के हैं, जबकि कई देशों की आबादियां बूढ़ी हो रही हैं. इसका मतलब है हम आकांक्षी राष्ट्र हैं और यह बताता है कि हम किसी के लिए भी गजब का बाजार हैं.
भारत को सबसे ज्यादा बदलने वाली घटना हमारी डिजिटलीकरण की बेमिसाल रफ्तार है. यह पिरामिड के शीर्ष और तलछट दोनों पर लोगों की जिंदगियों का कायापलट कर रही है. दुनिया में मोबाइल डेटा की सबसे ज्यादा खपत और इंटरनेट के दूसरे सबसे ज्यादा इस्तेमाल करने वाले हमारे यहां हैं. भारत में हर सेकंड तीन लोग नेट से जुड़ते हैं, जिनमें दो गांवों के हैं.
यह भारत का समय है.
この記事は India Today Hindi の April 05, 2023 版に掲載されています。
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